धनबादः जिले में बारिश नहीं होने के कारण सुखाड़ की स्थिति बन गई है. धान का बिचड़ा सूख गया है. पानी के अभाव के कारण कई खेतों में हल तक नहीं चलाया गया है. अगर बारिश नहीं हुई तो मुख्य फसल धान की खेती नहीं होगी. लोग अनोखे तरीके अपना कर बारिश के देवता इंद्र को खुश करने की जुगत में लगे हैं.
राजगंज के चुंगी गांव में किसानों ने मेढक और मेढकी की शादी करवाई. इसे अंधविश्वास कहा जाय या कुछ और. लेकिन कृषकों के लिए यह रस्म डूबते को तिनके का सहारा या मरता क्या नहीं करता वाली बात तो जरूर साबित होती है. राजगंज के चुंगी में मेढक और मेढ़की की शादी पूरे रस्म के साथ की गई. मेढक पक्ष से महेंद्र डोम अभिभावक बने जबकि मेढकी के पक्ष से पांचू रजवार. ढोल बाजा के साथ सैकड़ों महिला पुरुष सहित बच्चों के साथ बारात निकली, जो चुंगी के कुम्हार बस्ती से ऊपर कुल्ही मंदिर होते हुए डोम कूल्ही पहुंची. यहां मेढक और मेढ़की को पीढ़ा पर में बैठाया गया. चादर स्वरूप पूजा में प्रयोग होने वाला लाल सलूक पीढ़ा पर बिछाया गया था. दोनों जलचर को फूल की माला के बीच रखकर विधिवत सिंदूर दान की रस्म पूरी की गई. उपस्थित महिलाएं गीत गाकर ईश्वर से वर्षा देने के लिए प्रार्थना कर रही थी. सूखे खेत में हरियाली, जानवरों के लिए चारा, तालाब- कुंआ में जल भर देने की कामना की जा रही थी.