धनबाद: नीरज सिंह हत्याकांड मामले में जेल में बंद झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह एक दूसरे मामले में अदालत में पेश हुए. मामला 2014 के विधानसभा चुनाव के दौरान का है. बीजेपी का उम्मीदवार रहते 8 दिसंबर को लोक संपत्ति नुकसान पहुंचाने का मामला जोरापोखर में संजीव सिंह के ऊपर दर्ज किया गया था. मामले में झरिया के पूर्व विधायक को स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट संतोषनी मुर्मू की अदालत ने रिहा कर दिया है. कुल छह साक्ष्यों का अदालत में प्रति परीक्षण कराया गया था, जिसमें दोष साबित नहीं हो सका.
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पूर्व विधायक के अधिवक्ता मोहम्मद जावेद ने बताया कि 8 दिसंबर 2014 को चुनाव आयोग की उड़नदस्ता टीम के अधिकारी चुरका मुर्मू के द्वारा बरारी मोड़ में लोक संपत्ति नुकसान होने का मामला दर्ज कराया गया था. इस मामले में विधायक संजीव सिंह को अदालत ने दोषमुक्त करार दिया है.
संजीव सिंह को एंबुलेंस से लाया गया अदालत: अदालत में संजीव सिंह के लाए जाने के दौरान एक गौर करने वाली बात देखने को मिली. जेल और अदालत के बीच की दूरी महज चंद कदमों की है. हर बार उन्हें पैदल अदालत लाया जाता रहा है, लेकिन इस बार उन्हें एंबुलेंस से अदालत लाया गया. एंबुलेंस से व्हीलचेयर के जरिए लिफ्ट तक ले जाया गया. लिफ्ट के बाद व्हील चेयर से अदालत में इंट्री कराई गई. बताया जा रहा है कि उनकी स्वास्थ्य की स्थिति काफी खराब है. इसी कारण ही एंबुलेंस और व्हीलचेयर का सहारा लेना पड़ा है.
अधिवक्ता जावेद ने बताया कि संजीव सिंह कई बीमारी से ग्रसित हैं. जेल में उनका इलाज मुमकिन नहीं है. पिछले दिनों एसएनएमएमसीएच में इलाज के लिए उन्हें भर्ती कराया गया था. इलाज के बाद उन्हें फिर से जेल भेज दिया गया था. एसएनएमएमसीएच की मेडिकल बोर्ड की टीम ने संजीव सिंह को रिनपास और रिम्स ले जाने की अनुशंसा की थी. मेडिकल बोर्ड के द्वारा अधिकतम तापमान और ह्यूमिडिटी से भी बचाने की नसीहत दी गई थी.
संजीव सिंह को बाहतर इलाज की जरूरत: अधिवक्ता मोहम्मद जावेद ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में व्यवस्था की कमी है. जबकि प्राइवेट अस्पतालों में आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं. संजीव सिंह का प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराना बेहद जरूरी है. उनकी स्वास्थ्य स्थिति दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है. समुचित इलाज ना करवाना उनके जीवन से खिलवाड़ करने के बराबर है. मामले की सुनवाई और फैसला आने तक उन्हें जीवित रहना बेहद जरूरी है.