धनबादः पूरी तरह से बारिश पर निर्भर कृषि व्यवस्था में किसान कमजोर मानसून से काफी परेशान हैं. इसबार मानसून की बारिश लगभग आधी हुई है. गौरतलब है कि अभी तक जिले में मानसून की बारिश 205.8mm होनी चाहिए थी, जो 104.2 mm ही हुई है. ऐसे में किसान अभी तक अपना बिचड़ा नहीं डाल पाए हैं. किसानों का कहना है कि समय बीत जाने के बाद बिचड़ा देकर कोई फायदा नहीं है. समय के बाद फसल नहीं होती है.
विशेषकर रोहिणी नक्षत्र में किसान डालते हैं बिचड़ा
गौरतलब है कि किसान अपना बिचड़ा खासकर रोहिणी नक्षत्र में ही डालते हैं. इस बार रोहिणी नक्षत्र में काफी गर्मी थी. कुछ दिनों पहले ही मानसून ने दस्तक दी है लेकिन मानसून की बारिश उतनी नहीं हुई. हालांकि कुछ जगहों पर किसानों ने बिचड़ा डाला है जो नाकाफी है.
अभी तक जिले में नहीं आया है बीज
जिला संयुक्त कृषि भवन से पता चला कि कुछ दिन पहले ही धान के बीज का टेंडर हुआ था और अभी तक बीज नहीं आ पाया है. धान के बीज की पहली किस्त जिले में पहुंची, जो महज 7 क्विंटल है. ऐसे में पूरे जिले को बीज की सप्लाई करना अधिकारियों के लिए भी चिंता का विषय बना हुआ है. हालांकि उन्होंने कुछ दिनों में बीज के आ जाने का भरोसा दिलाया है. अब सवाल ये उठता है कि समय बीत जाने के बाद इन बीजों का क्या होगा.
किसानों ने कहा अब खेती से हो रहा मोहभंग
इधर किसानों ने कहा कि खेती करने का अब मन नहीं करता. किसानों का खेती से मोहभंग हो गया है. समय पर बारिश नहीं होने से खेती करके भी कोई फायदा नहीं होता. साग-सब्जी तक नहीं उग पा रहे हैं. समय पर बिचड़ा नहीं होने से खेती करने के बाद फसल उतनी मात्रा में नहीं हो पाती है. जिसके कारण किसानों को हानि उठानी पड़ती है. किसानों ने कहा कि अब खेती छोड़कर मजदूरी का काम करने में ही ज्यादा फायदा दिख रहा है.
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योजनाओं का लाभ योग्य किसानों को नहीं मिल पा रहा
किसानों ने बताया कि सरकार ने बहुत तरह की घोषणाएं कर रखी है. किसानों के खातों में पैसा भेजा जा रहा है लेकिन कई किसानों को अब तक कोई पैसा नहीं मिला है. पैसा उन्हीं लोगों का आया है जिनकी प्रखंड कार्यालय में पैरवी चलती है. गोविंदपुर के जियलगढ़ा पंचायत के कृषक मित्र ने बताया कि सही किसानों को पैसा नहीं मिल रहा है और बिचौलिए इस पर हावी हो रहे हैं. सरकार को इस पर ध्यान देने की जरूरत है.