धनबाद: चिरकुंडा थाना क्षेत्र स्थित डुमरीजोड़ में करीब 50 फीट लंबी कच्ची सड़क धंस गई है. ग्रामीणों का कहना है कि जहां भू-धसान हुआ है, उस क्षेत्र में काफी समय से अवैध खनन हो रहा है. इसी वजह से जमीन धंसी है. खास बात यह है कि जमीन करीब दस फीट तक धंस गई है. ग्रामीणों ने आशंका जतायी है कि घटना के वक्त कई मजदूर आस-पास के इलाके में अवैध खनन कर रहे थे. ऐसे में कुछ लोगों के दबे होने से इनकार नहीं किया जा सकता है. हालांकि अभी तक घटनास्थल पर किसी ने अपनों के दबे होने का दावा नहीं किया है. इस बीच घटनास्थल पर पहुंचे चिरकुंडा के थाना प्रभारी जितेंद्र कुमार ने बताया कि 21 अप्रैल को सुबह करीब साढ़े आठ बजे कच्ची सड़क धंस गई. सड़क में दरार भी पड़ी है. उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी सीसीएल को भी दे दी गई है. हालाकि किसी भी तरह से जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है. वहीं धनबाद के डीसी ने कहा कि इस घटना में किसी के दबने या मरने या फिर घायल होने की सूचना नहीं है.
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घटनास्थल पर बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे. ग्रामीणों ने कुछ लोगों के दबे होने की आशंका जताई है. हालांकि प्रत्यक्षदर्शी के रूप में किसी ने दावा नहीं किया है. ईटीवी भारत की टीम ने घटनास्थल का मुआयना किया तो कई जगह अवैध खनन के मुहाने नजर आए. एक जगह एक कुआं भी दिखा, जिसमें रस्सी झूल रहा था. लोगों का कहना है कि अवैध खनन के लिए पश्चिम बंगाल या जामताड़ा से मजदूरों को लाया जाता है. अवैध खनन के कोयले को ट्रैक्टर के जरिए पक्की सड़क पर खड़े ट्रकों में लादकर मंडियों के लिए रवाना कर दिया जाता है.
ग्रामीणों का कहना है कि जिस जगह पर भू-धसान हुआ है, उससे चंद कदम की दूरी पर अवैध खनन चल रहा था. आशंका जताई जा रही है कि कच्ची सड़क के नीचे तक अवैध खनन होने की वजह से ही जमीन धंसी होगी. हालांकि यह जांच का विषय है. निरसा के पूर्व विधायक अरूप चटर्जी ने बताया कि इस इलाके में धड़ल्ले से अवैध उत्खनन हो रहा है. इसपर प्रशासन को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए. एक बुजुर्ग ग्रामीण ने बताया कि यह इलाका वन क्षेत्र में आता है. बीसीएल का लीज होल्ड एरिया है. लेकिन इस इलाके में अवैध उत्खनन के लिए कई कुएं हैं. बेरोजगारी और मजबूरी की वजह से लोग जान जोखिम में डालने को मजबूर हैं. यह काला कारोबार जिला प्रशासन, सीआईएसएफ और माफिया के गठजोड़ से चल रहा है.
आपको बता दें कि कुछ माह पूर्व निरसा के गोपीनाथपुर में अवैध खनन के दौरान चाल धंसने से कई लोगों की मौत हो गई थी. हालांकि वर्तमान मामला फौरी तौर पर भू-धसान से जुड़ा दिख रहा है. पिछले साल भी इसी जगह से करीब 600 मीटर की दूरी पर पीसीसी सड़क धंस गयी थी. 10 मीटर के दायरे में जमीन धंसी थी. तब किसी तरह के जान माल का नुकसान नहीं हुआ था.