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सैलानियों की लापरवाही से मैथन डैम में गंदगी का अंबार, प्रशासन है बेखबर - मैथन बांध में सैलानियों की लापरवाही

धनबाद का मैथन डैम सुंदर पर्यटन स्थलों में से एक है. हर साल दिसंबर और जनवरी महीने में यहां लाखों की संख्या में सैलानी आते हैं और पिकनिक करते हैं. डैम के आसपास डस्टबिन की व्यवस्था नहीं होने के कारण यहां गंदगी का अंबार लगना शुरु हो गया है.

Dirt spreading dirt in Maithon Dam in dhanbad
मैथन बांध में गंदगी का अंबार
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Published : Jan 17, 2020, 6:22 PM IST

धनबाद: कोयलांचल का स्वर्ग कहे जाने वाले मैथन बांध में इन दिनों सैलानियों की लापरवाही के कारण गंदगी का अंबार लगना शुरु हो गया है. झारखंड और पश्चिम बंगाल के सीमा पर स्थित मैथन डैम प्रकृति की गोद में बसा एक सुंदर पर्यटन स्थल है. यहां हर साल लाखों की तादाद में सैलानी आते हैं और जमकर लुत्फ उठाते हैं.

देखें पूरी खबर

मैथन डैम में दिसंबर और जनवरी महीने में दूर दूर से सैलानी पिकनिक और नौका विहार करने आते हैं. इस दौरान सैलानी यहां खाना बनाते हैं और खाते हैं. इस दौरान प्लास्टिक का ग्लास और थर्माोकोल के पत्ते डैम के आसपास छोड़कर चले जाते हैं, जिससे डैम का पानी भी प्रदूषित हो रहा है. आसपास के इलाके में रहने वाले जानवर भी चारा खाने यहां चले आ रहे हैं और प्लास्टिक्स, थर्मोकोल के बने चीजों को खा जा रहे हैं, जिससे जानवरों को भी नुकसान हो रहा है.

इसे भी पढ़ें:- धनबाद: पीके राय कॉलेज में स्वच्छता पखवाड़े का शुभारंभ, सफाई की दिलाई गई शपथ

मैथन डैम की देखरेख का जिम्मा दामोदर वैली कॉर्पोरेशन का है. डीवीसी अगर डैम के किनारे डस्टबिन की व्यवस्था कर दे, तो यहां काफी हद तक गंदगी होने से रोका जा सकता है.

धनबाद: कोयलांचल का स्वर्ग कहे जाने वाले मैथन बांध में इन दिनों सैलानियों की लापरवाही के कारण गंदगी का अंबार लगना शुरु हो गया है. झारखंड और पश्चिम बंगाल के सीमा पर स्थित मैथन डैम प्रकृति की गोद में बसा एक सुंदर पर्यटन स्थल है. यहां हर साल लाखों की तादाद में सैलानी आते हैं और जमकर लुत्फ उठाते हैं.

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मैथन डैम में दिसंबर और जनवरी महीने में दूर दूर से सैलानी पिकनिक और नौका विहार करने आते हैं. इस दौरान सैलानी यहां खाना बनाते हैं और खाते हैं. इस दौरान प्लास्टिक का ग्लास और थर्माोकोल के पत्ते डैम के आसपास छोड़कर चले जाते हैं, जिससे डैम का पानी भी प्रदूषित हो रहा है. आसपास के इलाके में रहने वाले जानवर भी चारा खाने यहां चले आ रहे हैं और प्लास्टिक्स, थर्मोकोल के बने चीजों को खा जा रहे हैं, जिससे जानवरों को भी नुकसान हो रहा है.

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मैथन डैम की देखरेख का जिम्मा दामोदर वैली कॉर्पोरेशन का है. डीवीसी अगर डैम के किनारे डस्टबिन की व्यवस्था कर दे, तो यहां काफी हद तक गंदगी होने से रोका जा सकता है.

Intro:सैलानियों के लापरवाही सें लग रहा मैथन में गन्दगी का अम्बार।



Body:निरसा/ कोयलांचल धनबाद के स्वर्ग कहे जाने वाले मैथन बांध इन दिनों सैलानियों के लापरवाही के कारण गंदगी का अंबार लगना चालू हो गया है। ज्ञात हो कि झारखंड और पश्चिम बंगाल के सीमा पर स्थित मैथन बांध प्राकृतिक के गोद में रचा बसा यह सुंदर दृश्य यहां प्रतिवर्ष लाखों की तादात में सैलानियों आते हैं और जमकर लुफ्त उठाते हैं। खासकर दिसंबर और जनवरी माह में काफी दूर दूर से यहां सैलानी बनभोज एवं नौका विहार करने हेतु मैथन डैम आते हैं। बनभोज के दौरान सैलानियों द्वारा भोज करने के उपरांत सारा प्लास्टिक से बने ग्लास एवं थर्माकोल के पत्ते इत्यादि मैथन डैम के आसपास छोड़ चले जाते हैं जिससे मैथन का जल भी प्रदूषित हो रहा है। आसपास के इलाके में रहने वाले जानवरों भी भोजन करने के चक्कर में प्लास्टिक्स एवं थर्माकोल के बने वस्तुओं को खा लेते हैं जिससे जानवरों को काफी नुकसान हो रहा है। सैलानी अगर जागरूक हो तो प्लास्टिक के गिलास एवं थर्माकोल के पत्ते इधर उधर ना फेक कर एकत्रित जमा करें ताकि मैथन की सुंदरता बरकरार रहे और भी आने वाली सैलानी स्वच्छ एवं साफ-सुथरे माहौल में बनभोज का लुफ्त उठा सके।


Conclusion:मैथन डैम का देखरेख का जिम्मा दामोदर वैली कारपोरेशन के जीमें है उन्हीं की देखरेख में यह पूरा डैम रहता है। डीवीसी द्वारा डैम के किनारे डस्टबिन की व्यवस्था की जाए तथा लोगों को जागरूक की जाए तो यहां काफी हद तक गंदगी को रोका जा सकता है। स्थानीय मुखिया पहल करें तो मैथन की सुंदरता सदैव बरकरार रहेगी और सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करती रहेगी।

बाइट :- राज कुमार दत्त (सैलानी)

बाइट :- नितेश पाल (सैलानी)
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