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धनबाद: कुड़मी जाति को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग, 20 सितंबर को आंदोलन की चेतावनी - प्रिमिटिव ट्राइब

टूटोमिक कुड़मी व कुड़मी जाति को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग को लेकर कुड़मी समाज ने आंदोलन का ऐलान किया है. अपनी मांग के समर्थन में समाज 20 सिंतबर को आंदोलन करेगा.

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Published : Aug 14, 2022, 1:50 PM IST

धनबाद: टूटोमिक कुड़मी व कुड़मी जाति को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग को लेकर कुड़मी सामाज के लोगों ने 20 सितंबर 2022 को पूरे झारखंड में अनिश्चितकालीन चक्का जाम करने की चेतावनी दी है. इस समाज के लोगों ने सरकार से कुड़मी जाति को अनुसूचित जाति में जल्द से जल्द शामिल करने की मांग की और कहा कि ऐसा नहीं होने पर वे रेल रोको आंदोलन करेंगे.

ये भी पढ़ें:- विधायक सरयू राय की चेतावनी, 15 दिनों में जलजमाव की समस्या का स्थायी निदान नहीं हुआ तो करेंगे उग्र आंदोलन

क्या कह रहे हैं कुड़मी समाज के लोग: दरअसल टोटेमिक कुड़मी / कुड़मी (महतो) जनजाति देश की आजादी से पहले प्रिमिटिव ट्राइब (भादिम जनजाति) में सूचीबद्ध था. किन्तु 1950 ई० में अनुसूचित जनजाति का जब सूची तैयार हुआ तब कुरमी /कुडनी (महतो) जनजाति को छोड़कर सभी आदिम जनजातियों को अनुसूचित जनजाति की सूची में सूचीबद्ध किया गया. भारत सरकार दवारा प्रेषित पत्रांक नं0- 26/12/50-RG, दिनांक 15.02.1951 जनजाति सूची में कुरमी, कुड़मी जनजाति का उल्लेख नहीं होने के कारण तत्कालीन सांसद सदस्य हृदयनाथ कुजूर द्वारा संसद में पूछे गए प्रश्न के जवाब में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सरकारी भूल एवं मूल सुधारने की बात कबूल की थी, तब से अबतक 72 वर्षों से लगातार यह जनजाति अनुसूचित जनजाति की सूची में सूचीबद्ध हेतु संघर्षरत हैं.इस मुहिम के अंतर्गत पूरे प्रदेश में एक साथ प्रत्येक जिला में आज एक दिवसीय धरना प्रदर्शन के माध्यम से मांग पत्र सौंपा जा रहा है. यदि राज्य सरकार के माध्यम से केंद्र सरकार यथाशीघ्र कुरमी / कुड़मी (महतो) जनजाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में सूचीबद्ध करने की पहल नहीं करती है तो आगामी 20 सितम्बर 2022 से पूरे झारखंड में अनिश्चितकालीन रेल चक्का जाम कर दिया जाएगा.

धनबाद: टूटोमिक कुड़मी व कुड़मी जाति को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग को लेकर कुड़मी सामाज के लोगों ने 20 सितंबर 2022 को पूरे झारखंड में अनिश्चितकालीन चक्का जाम करने की चेतावनी दी है. इस समाज के लोगों ने सरकार से कुड़मी जाति को अनुसूचित जाति में जल्द से जल्द शामिल करने की मांग की और कहा कि ऐसा नहीं होने पर वे रेल रोको आंदोलन करेंगे.

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क्या कह रहे हैं कुड़मी समाज के लोग: दरअसल टोटेमिक कुड़मी / कुड़मी (महतो) जनजाति देश की आजादी से पहले प्रिमिटिव ट्राइब (भादिम जनजाति) में सूचीबद्ध था. किन्तु 1950 ई० में अनुसूचित जनजाति का जब सूची तैयार हुआ तब कुरमी /कुडनी (महतो) जनजाति को छोड़कर सभी आदिम जनजातियों को अनुसूचित जनजाति की सूची में सूचीबद्ध किया गया. भारत सरकार दवारा प्रेषित पत्रांक नं0- 26/12/50-RG, दिनांक 15.02.1951 जनजाति सूची में कुरमी, कुड़मी जनजाति का उल्लेख नहीं होने के कारण तत्कालीन सांसद सदस्य हृदयनाथ कुजूर द्वारा संसद में पूछे गए प्रश्न के जवाब में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सरकारी भूल एवं मूल सुधारने की बात कबूल की थी, तब से अबतक 72 वर्षों से लगातार यह जनजाति अनुसूचित जनजाति की सूची में सूचीबद्ध हेतु संघर्षरत हैं.इस मुहिम के अंतर्गत पूरे प्रदेश में एक साथ प्रत्येक जिला में आज एक दिवसीय धरना प्रदर्शन के माध्यम से मांग पत्र सौंपा जा रहा है. यदि राज्य सरकार के माध्यम से केंद्र सरकार यथाशीघ्र कुरमी / कुड़मी (महतो) जनजाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में सूचीबद्ध करने की पहल नहीं करती है तो आगामी 20 सितम्बर 2022 से पूरे झारखंड में अनिश्चितकालीन रेल चक्का जाम कर दिया जाएगा.

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