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धनबाद में झमाडा के मृत कर्मियों के आश्रितों ने सड़क पर मांगी भीख, नियोजन की मांग को लेकर दो सालों से कर रहे आंदोलन - मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन

धनबाद में मृत झमाडा कर्मियों के आश्रित दो साल से आंदोलन कर रहे हैं. वे नियोजन की मांग कर रहे हैं. सरकार और प्रशासन का ध्यान आकर्षण कराने के लिए आश्रितों ने सड़कों पर भीख मांगी है. Deceased Jhamada workers Dependents protest in Dhanbad.

Deceased Jhamada workers Dependents protest in Dhanbad
Deceased Jhamada workers Dependents protest in Dhanbad
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 30, 2023, 5:08 PM IST

झमाडा के मृत कर्मियों के आश्रितों ने सड़क पर मांगी भीख

धनबाद: पिछले दो वर्षों से झमाडा के मृत कर्मचारियों के आश्रित लुबी सर्कुलर रोड स्थित कार्यालय के समक्ष धरना के माध्यम से आंदोलन कर रहे हैं. लेकिन न तो विभाग और न ही सरकार उनकी मांगों पर विचार कर रही है. आंदोलनरत आश्रितों की आर्थिक स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है. उनका परिवार भूख से मरने की कगार पर है. जिसके बाद आंदोलनरत आश्रितों ने शहर में घूम-घूमकर भिक्षाटन की और लोगों से आर्थिक सहायता मांगी. साथ ही सरकार और अधिकारियों का ध्यान भी आकर्षित किया.

यह भी पढ़ें: Clash in Dhanbad: नगर आयुक्त के सामने झमाडा आश्रितों से मारपीट! प्रशासन से सुरक्षा की गुहार

मृत झमाडा कर्मी के आश्रित मो अजहर ने बताया कि उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय हो गयी है. उनके परिवार को भरण-पोषण में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वे नियोजन की मांग को लेकर करीब दो वर्षों से झमाडा कार्यालय के बाहर सड़क किनारे धरना पर बैठे हैं. लेकिन मांगों पर न तो कोई जनप्रतिनिधि ध्यान दे रहे हैं और न ही कोई अधिकारी. उनके द्वारा सिर्फ आश्वासन ही दिया जा रहा है.

अधिकारियों को नहीं है परवाह: आश्रितों ने बताया कि धरनास्थल से कई अधिकारियों की गाड़ियां गुजरती हैं, लेकिन फिर भी उन्हें हमारी कोई परवाह नहीं है. जिस तरह से 2006 से 2010 तक झमाडा में बहाली हुई है, उसी आधार पर हमारे सभी आश्रित बहाली की मांग कर रहे हैं. आश्रितों ने बताया कि हमने झारखंड मुक्ति मोर्चा की जामा विधायक सीता सोरेन से भी गुहार लगाई थी, जिसके बाद वह हमारे बीच भी पहुंचीं थी. उन्होंने भी सिर्फ आश्वासन ही दिया है. सीता सोरेन ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पास इस मामले को उठाने को कहा है.

झमाडा के मृत कर्मियों के आश्रितों ने सड़क पर मांगी भीख

धनबाद: पिछले दो वर्षों से झमाडा के मृत कर्मचारियों के आश्रित लुबी सर्कुलर रोड स्थित कार्यालय के समक्ष धरना के माध्यम से आंदोलन कर रहे हैं. लेकिन न तो विभाग और न ही सरकार उनकी मांगों पर विचार कर रही है. आंदोलनरत आश्रितों की आर्थिक स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है. उनका परिवार भूख से मरने की कगार पर है. जिसके बाद आंदोलनरत आश्रितों ने शहर में घूम-घूमकर भिक्षाटन की और लोगों से आर्थिक सहायता मांगी. साथ ही सरकार और अधिकारियों का ध्यान भी आकर्षित किया.

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मृत झमाडा कर्मी के आश्रित मो अजहर ने बताया कि उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय हो गयी है. उनके परिवार को भरण-पोषण में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वे नियोजन की मांग को लेकर करीब दो वर्षों से झमाडा कार्यालय के बाहर सड़क किनारे धरना पर बैठे हैं. लेकिन मांगों पर न तो कोई जनप्रतिनिधि ध्यान दे रहे हैं और न ही कोई अधिकारी. उनके द्वारा सिर्फ आश्वासन ही दिया जा रहा है.

अधिकारियों को नहीं है परवाह: आश्रितों ने बताया कि धरनास्थल से कई अधिकारियों की गाड़ियां गुजरती हैं, लेकिन फिर भी उन्हें हमारी कोई परवाह नहीं है. जिस तरह से 2006 से 2010 तक झमाडा में बहाली हुई है, उसी आधार पर हमारे सभी आश्रित बहाली की मांग कर रहे हैं. आश्रितों ने बताया कि हमने झारखंड मुक्ति मोर्चा की जामा विधायक सीता सोरेन से भी गुहार लगाई थी, जिसके बाद वह हमारे बीच भी पहुंचीं थी. उन्होंने भी सिर्फ आश्वासन ही दिया है. सीता सोरेन ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पास इस मामले को उठाने को कहा है.

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