धनबाद: भू-धंसान और अग्नि प्रभावित 595 साइट के रैयतों को सुरक्षित स्थानों पर पुनर्वासित कराने के उद्देश्य से उपायुक्त सह प्रबंध निदेशक ने न्यू टाउन हॉल में रैयतों के साथ सीधा संवाद स्थापित कर उनके सुझावों को सुना. इस मौके पर झरिया पुनर्वास और विकास प्राधिकार, धनबाद से उमा शंकर सिंह और भारत कोकिंग कोल लिमिटेड के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक गोपाल सिंह शामिल थे.
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रैयतों के लिए बनेगी पुनर्वास पॉलिसी
इस अवसर पर झरिया, लोदना, गोधर, ब्लॉक 2, गडरिया, भौंरा, केंदुआडीह, पुटकी बलिहारी सहित अन्य क्षेत्र के रैयतों ने खुलकर अपने सुझाव और मांग को अधिकारियों के समक्ष रखा. सुझाव सुनने के बाद उपायुक्त ने कहा कि भारत सरकार अग्नि प्रभावित क्षेत्र के लोगों को सुरक्षित स्थान पर पुनर्वासित करने के लिए गंभीरतापूर्वक विचार कर रही है. रैयतों की प्राथमिकता को ध्यान में रखते हुए पुनर्वास पॉलिसी बनानी है. सब जगह बेलगड़िया मॉडल लागू नहीं होगा. जनभागीदारी के साथ रैयतों की सुरक्षा और सुविधा को ध्यान में रखकर पॉलिसी बनाई जाएगी.
रैयतों को दिया भरोसा
इस दौरान उन्होंने कहा कि संवाद के दौरान बेहतर सुझाव को सूचीबद्ध कर लिया गया है. जिला प्रशासन ने पुनर्वास को गंभीरतापूर्वक लिया है. रैयत जिला प्रशासन पर विश्वास रखे. संवाद के दौरान जो भी सुझाव आए हैं वे भारत सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा. इसका सकारात्मक परिणाम उभर कर सामने आएगा. उन्होंने कहा जिला प्रशासन कभी भी एकतरफा निर्णय नहीं लेगा. जिला प्रशासन और बीसीसीएल को जितनी बार रैयतों के पास जाने की आवश्यकता होगी, उतनी बार जाया जाएगा.
दिए गए दिशा-निर्देश
बीसीसीएल के सीएमडी ने कहा कि बीते वर्षों में रैयतों के साथ जो कुछ भी हुआ उसे भुला कर सभी को आगे बढ़ना है. बीसीसीएल के सभी क्षेत्रों में समाधान केंद्र खोले हैं. यहां हर गुरुवार को एरिया जनरल मैनेजर लोगों की समस्या को सुनेंगे. सीएमडी ने सभी एरिया जनरल मैनेजर को इमानदारी पूर्वक समाधान केंद्र चलाने और रैयतों की बातों को सुनने का निर्देश दिया है. सीएमडी ने रैयतों को बीसीसीएल पर भरोसा रखने और नया अध्याय लिखने में सहभागिता निभाने का अनुरोध किया है.
बैठक के दौरान बेलगड़िया की तर्ज पर फ्लैट नहीं बनाने, भूमि का अंश या मुआवजा देने, मूलभूत उम्दा सुविधा मिलने, घर निर्माण के लिए यथोचित राशि देने, ऐसे स्थान पर विस्थापित करने की सलाह दी गई, जहां रोजगार या स्वरोजगार के साधन हो. जब तक पुनर्वास नहीं तब तक विस्थापन क्षेत्र में माइनिंग नहीं करने के सुझाव दिए गए