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गलफरबाड़ी गांव में कोयले के सर्वे का काम तेज, पेड़-पौधों पर मंडरा रहा संकट!

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Published : Jan 24, 2021, 4:39 PM IST

धनबाद में सीएमपीडीआईएल के माध्यम से कोयला सर्वेक्षण कार्य तेज गति से चल रहा है. इसके बाद यहां से कोयला निकालने की तैयारी की जाएगी. अगर यहां से कोयला निकाला जाता है तो यहां हजारों की संख्या में लगे पेड़ पौधों को भी नष्ट करना पड़ेगा.

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औद्योगीकरण के नाम पर पर्यावरण से खिलवाड़

धनबादः इन दिनों वृक्षों की बेतहाशा कटाई देश ही नहीं बल्कि दुनिया में चिंता का विषय बना हुआ है. दुनिया में ग्लोबल वार्निंग जैसी समस्या बढ़ती ही जा रही है. लगातार वृक्षों की कटाई का दुष्प्रभाव पड़ रहा है. धीरे-धीरे धरती के दुर्लभ जीव जंतु विलुप्त होते जा रहे हैं. अगर यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में हमारा जीवन भी खतरे में आ सकता है. इधर निरसा एग्यारकुंडप्रखंड के ग्राम गलफरबाड़ी में हजारों की तादाद में लगे पेड़-पौधों के नष्ट होने का खतरा मंडरा रहा है.

देखें पूरी खबर

इसे भी पढ़ें- देवघर में 11 साइबर अपराधी गिरफ्तार, कई सामान बरामद


हजारों की संख्या में लगे पेड़ पौधे
सीएमपीडीआईएल के माध्यम से कोयले का सर्वेक्षण कार्य तीव्र गति से किया जा रहा है, जिसके बाद यहां से कोयला निकालने की तैयारी की जाएगी. अगर यहां से कोयला निकाला जाता है तो यहां हजारों की संख्या में लगे पेड़ पौधों को भी नष्ट करना पड़ेगा. जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचेगा.

माइंस किस प्रकार से होगा, यह कितने क्षेत्रफल में होगा, इसमें कितने लोग बेघर होंगे, कितने वृक्षों की कटाई होगी, इन सब सवालों पर सीएमपीडीआईएल के महाप्रबंधक श्रीराम सिंह ने कहा कि प्रोजेक्ट की डिजाइनिंग या क्षेत्रफल कैसा होगा इसका निर्णय दूसरी एजेंसी करेंगी.

धनबादः इन दिनों वृक्षों की बेतहाशा कटाई देश ही नहीं बल्कि दुनिया में चिंता का विषय बना हुआ है. दुनिया में ग्लोबल वार्निंग जैसी समस्या बढ़ती ही जा रही है. लगातार वृक्षों की कटाई का दुष्प्रभाव पड़ रहा है. धीरे-धीरे धरती के दुर्लभ जीव जंतु विलुप्त होते जा रहे हैं. अगर यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में हमारा जीवन भी खतरे में आ सकता है. इधर निरसा एग्यारकुंडप्रखंड के ग्राम गलफरबाड़ी में हजारों की तादाद में लगे पेड़-पौधों के नष्ट होने का खतरा मंडरा रहा है.

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हजारों की संख्या में लगे पेड़ पौधे
सीएमपीडीआईएल के माध्यम से कोयले का सर्वेक्षण कार्य तीव्र गति से किया जा रहा है, जिसके बाद यहां से कोयला निकालने की तैयारी की जाएगी. अगर यहां से कोयला निकाला जाता है तो यहां हजारों की संख्या में लगे पेड़ पौधों को भी नष्ट करना पड़ेगा. जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचेगा.

माइंस किस प्रकार से होगा, यह कितने क्षेत्रफल में होगा, इसमें कितने लोग बेघर होंगे, कितने वृक्षों की कटाई होगी, इन सब सवालों पर सीएमपीडीआईएल के महाप्रबंधक श्रीराम सिंह ने कहा कि प्रोजेक्ट की डिजाइनिंग या क्षेत्रफल कैसा होगा इसका निर्णय दूसरी एजेंसी करेंगी.

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