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धनबाद के सिंफर की महिला वैज्ञानिक का नया शोधः शैवाल से बनाए फायरप्रूफ कपड़े

Dr V Anguselv made fireproof clothes from algae in Dhanbad. धनबाद में सिंफर की प्रिंसिपल सीनियर साइंटिस्ट डॉ वी एंगूसेल्वी ने शैवाल से फायरप्रूफ कपड़े बनाए हैं. उनके इस शोध से कपड़ा उद्योग को नया आयाम मिला है. ईटीवी भारत से साइंटिस्ट डॉ वी एंगूसेल्वी की खास बातचीत में जानिए, क्या है इस कपड़े की खासियत.

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 30, 2023, 12:55 PM IST

CIMFR Principal Senior Scientist Dr V Anguselv made fireproof clothes from algae in Dhanbad
धनबाद में सिंफर की प्रिंसिपल सीनियर साइंटिस्ट डॉ वी एंगूसेल्वी ने शैवाल से फायरप्रूफ कपड़े बनाए
धनबाद सिंफर की प्रिंसिपल सीनियर साइंटिस्ट डॉ वी एंगूसेल्वी ने शैवाल से बनाए फायरप्रूफ कपड़े, ETV Bharat के साथ खास बातचीत

धनबादः देश के प्रमुख शोध संस्थानों में धनबाद के सिंफर का नाम शुमार है. सिंफर की एक महिला वैज्ञानिक की शोध ना सिर्फ कपड़ा उद्योग को एक नया अवसर मिल सकेगा बल्कि लोग आग से होने वाले छोटे बड़े हादसों से सुरक्षित रहेंगे.

सिंफर की सीनियर महिला वैज्ञानिक डॉ वी एंगूसेल्वी ने समुद्री तल में पाए जाने वाले शैवाल से कपड़े का निर्माण किया है. समुद्री शैवाल से बने कपड़े पूरी तरह से अग्निरोधी हैं. आग का प्रभाव इन कपड़ों के ऊपर बिल्कुल नहीं है. कॉटन, वूलेन या फिर किसी भी फैब्रिक्स का निर्माण इससे किया जा सकता है.

सिंफर की प्रिंसिपल सीनियर साइंटिस्ट डॉ वी एंगूसेल्वी ने ईटीवी भारत संवाददाता नरेंद्र कुमार निषाद से खास बातचीत की. महिला वैज्ञानिक ने बताया कि पिछले दो साल से वो शैवाल पर रिसर्च कर रही हैं. रिसर्च के दौरान कई बातें सामने आई हैं, शैवाल की कोशिकाओं में अग्निरोधी गुण विद्यमान होते हैं. इन्ही कोशिकाओं से प्रोटोटाइप कपड़े बनाने की दिशा में पहल की जा रही है. जिस पर आग का कोई असर नहीं होता है. शैवाल से बने यह कपड़े अग्निरोधी होने के साथ ही पर्यावरण के अनुकूल भी है. ऊन, कपास, रेशम और लेनिन जैसे धागों में शैवाल के धागों को मिलाकर कपड़े बनाए जाते हैं.

उन्होंने बताया कि शैवाल से निर्मित कपड़ों पर आग का असर नहीं होता है. उन्होंने माचिस की तीली से इन कपड़ों में आग से संपर्क कर भी दिखाई. कपड़े आग से संपर्क में आने के बाद भी उनमें आग नहीं पकड़ी. शैवाल से बने कपड़े फायरप्रूफ है. बच्चे आग का शिकार हो जाते हैं. बच्चों को शैवाल से निर्मित कपड़े पहनाने से उन्हें आग से बचाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अभी आगे शोध चल रहा है. आने वाले दिनों में कपड़ा उद्योग को एक नया फैब्रिक्स बनाने का अवसर मिल सकेगा.

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धनबादः देश के प्रमुख शोध संस्थानों में धनबाद के सिंफर का नाम शुमार है. सिंफर की एक महिला वैज्ञानिक की शोध ना सिर्फ कपड़ा उद्योग को एक नया अवसर मिल सकेगा बल्कि लोग आग से होने वाले छोटे बड़े हादसों से सुरक्षित रहेंगे.

सिंफर की सीनियर महिला वैज्ञानिक डॉ वी एंगूसेल्वी ने समुद्री तल में पाए जाने वाले शैवाल से कपड़े का निर्माण किया है. समुद्री शैवाल से बने कपड़े पूरी तरह से अग्निरोधी हैं. आग का प्रभाव इन कपड़ों के ऊपर बिल्कुल नहीं है. कॉटन, वूलेन या फिर किसी भी फैब्रिक्स का निर्माण इससे किया जा सकता है.

सिंफर की प्रिंसिपल सीनियर साइंटिस्ट डॉ वी एंगूसेल्वी ने ईटीवी भारत संवाददाता नरेंद्र कुमार निषाद से खास बातचीत की. महिला वैज्ञानिक ने बताया कि पिछले दो साल से वो शैवाल पर रिसर्च कर रही हैं. रिसर्च के दौरान कई बातें सामने आई हैं, शैवाल की कोशिकाओं में अग्निरोधी गुण विद्यमान होते हैं. इन्ही कोशिकाओं से प्रोटोटाइप कपड़े बनाने की दिशा में पहल की जा रही है. जिस पर आग का कोई असर नहीं होता है. शैवाल से बने यह कपड़े अग्निरोधी होने के साथ ही पर्यावरण के अनुकूल भी है. ऊन, कपास, रेशम और लेनिन जैसे धागों में शैवाल के धागों को मिलाकर कपड़े बनाए जाते हैं.

उन्होंने बताया कि शैवाल से निर्मित कपड़ों पर आग का असर नहीं होता है. उन्होंने माचिस की तीली से इन कपड़ों में आग से संपर्क कर भी दिखाई. कपड़े आग से संपर्क में आने के बाद भी उनमें आग नहीं पकड़ी. शैवाल से बने कपड़े फायरप्रूफ है. बच्चे आग का शिकार हो जाते हैं. बच्चों को शैवाल से निर्मित कपड़े पहनाने से उन्हें आग से बचाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अभी आगे शोध चल रहा है. आने वाले दिनों में कपड़ा उद्योग को एक नया फैब्रिक्स बनाने का अवसर मिल सकेगा.

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