धनबाद: जिला एवं सत्र न्यायाधीश अष्टम उत्तम आनंद की मौत की गुत्थी सुलझाने में सीबीआई की टीम जुट गई है. सीबीआई के द्वारा ऑटो चालक और उसके सहयोगी को रिमांड में लेने की कोर्ट में अर्जी लगाई थी. जिसकी स्वीकृति कोर्ट ने दे दी है. सीबीआई ने दोनों आरोपियों को 5 दिनों के लिए रिमांड पर लिया है. सीबीआई की टीम अगले 5 दिनों तक दोनों पूछताछ करेगी.
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ऑटो चालक लखन वर्मा और उसके सहयोगी राहुल वर्मा को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. गठित एसआइटी की टीम ने पांच दिनों तक पुलिस रिमांड में लेकर दोनों से पूछताछ की थी. अब चुकी यह केस सीबीआई के पाले में है, इसलिए सीबीआई अब दोनों आरोपियों से पूछताछ कर घटना के पीछे की सुराग का पता लगाने में जुट गई है.
सूत्रों की मानें तो सीबीआई आरोपियों की ब्रेन मैपिंग और नार्को टेस्ट के लिए भी अदालत में आवेदन दे सकती है. आपको बता दें कि पहले इस मामले की जांच कर रही SIT की टीम इस पहेली को सुलझाने में नाकाम साबित हो रही थी. जिसके बाद केस की गंभीरता को देखते हुए हेमंत सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा की थी. जिसके बाद बुधवार को देर शाम सीबीआई ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.
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इसी क्रम में सीबीआई एसपी विजय कुमार शुक्ला के नेतृत्व में बनी 20 सदस्यीय टीम बुधवार देर रात ही धनबाद पहुंच गई थी और गुरुवार से टीम ने अपना काम शुरू कर दिया. गुरुवार को सीबीआई की टीम ने सर्किट हाउस में एसआईटी के अधिकारियों के साथ बैठक की. वहीं, सीबीआई टीम के कुछ सदस्यों ने धनबाद थाना में केस से संबंधित कागजात एवं सबूतों की घंटों जांच की. सीबीआई की टीम ने धनबाद थाना में तकरीबन 8 घंटे से ज्यादा समय तक केस व अबतक की जांच से संबंधित आवश्यक कागजातों का अध्ययन किया और इन कागजातों की कॉपी करा अपने साथ ले गयी. इसके लिए धनबाद थाना में ही एक जेरोक्स मशीन मंगाई गई थी. जिससे तकरीबन चार हजार पेज की केस डायरी की कॉपी निकाली गई.
कब कब क्या हुआ
28 जुलाई की सुबह जज उत्तम आनंद मॉर्निंग वॉक के लिए निकले थे. वॉक के दौरान अज्ञात वाहन के चपेट में आने से उनकी मौत की बात सामने आयी थी, लेकिन उसी दिन सीसीटीवी का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें स्पष्ट दिखा था कि एक ऑटो में बैठे लोग किनारे की तरफ ऑटो ले जाकर उत्तम आनंद को चपेट में लिया था. घटना के बाद जज उत्तम आनंद की पत्नी के बयान पर धनबाद के सदर थाने में अज्ञात ऑटो चालक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. हत्या के मामले में एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद राज्य पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर एडीजी अभियान संजय आनंद लाठकर के नेतृत्व में एसआईटी गठित की गई थी. एसआईटी ने अबतक की जांच में सुनियोजित हत्या से जुड़ा कोई साक्ष्य नहीं पाया था. वहीं, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट ने भी संज्ञान लिया था. मामले में झारखंड हाईकोर्ट के द्वारा मॉनिटरिंग की जा रही है. 30 जुलाई को झारखंड सरकार ने सीबीआई से जांच कराने की अनुशंसा की थी.