धनबाद: सरकार लगातार आयुर्वेद को बढ़ावा देने की बात कर रही है. वहीं हाल ही में आयुर्वेद पद्धति से सर्जरी तक किए जाने की बात कहीं गई है, जिसको लेकर बीते दिनों विरोध भी देखने को मिला था. इसके ठीक विपरीत दूसरी और कोयलांचल में संयुक्त औषधालय का हाल बेहाल है. बिल्डिंग भी जर्जर है और डॉक्टर की भी कमी है.
संयुक्त औषधालय का बुरा हाल
कोयलांचल धनबाद के सदर अस्पताल के ठीक बगल में संयुक्त औषधालय है. 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की तरफ से इसका निर्माण करवाया गया था. यहां पर यूनानी, आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक पद्धति से मरीजों का इलाज किया जाता है. काफी संख्या में मरीज भी यहां आते थे और अपना इलाज करवाते थे, लेकिन संयुक्त औषधालय का हाल इन दिनों बेहाल है. यहां की जर्जर बिल्डिंग में बैठकर डॉक्टर इलाज करने को मजबूर हैं. मेडिसिन नहीं होने के कारण अब मरीज भी नहीं आते हैं. यूनानी में एक भी डॉक्टर पूरे जिले में नहीं है. यूनानी के डॉक्टर दूसरे जिले से धनबाद इलाज के लिए आते थे, लेकिन पिछले सितंबर से यह पद भी रिक्त है.
कभी भी बिल्डिंग के गिरने की आशंका
संयुक्त औषधालय की चिकित्सा प्रभारी डॉ. निर्मला सिन्हा का कहना है कि मात्र 2 डॉक्टर पूरे जिले के विभिन्न इलाकों में अलग-अलग दिनों में जाकर इलाज करते हैं. जिससे काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. यहां पर 10 से 15 मरीज प्रतिदिन आया करते थे, लेकिन मेडिसिन नहीं होने के कारण अब मरीजों ने भी आना कम कर दिया है. चिकित्सा प्रभारी ने बताया कि बिल्डिंग में बैठने में भी डर लगता है. जहां-तहां छज्जा गिरता है, जिससे की कभी भी कोई अनहोनी हो सकती है.
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आयुष चिकित्सा को बढ़ावा देने का बात
आयुष चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार की तरफ से अनेक प्रयास किए गए, लेकिन यह धरातल पर सफल नहीं हो सका है. दूसरी और इतनी
समस्या होने के बावजूद अभी भी आयुष चिकित्सा को बढ़ावा देने की बात कही जा रही है. यहां तक की सर्जरी भी आयुर्वेदिक पद्धति से करवाने की बात कही जा रही है. जिसको लेकर आईएमए ने बीते दिनों अपनी नाराजगी भी व्यक्त की थी लेकिन सवाल यह उठता है कि इस परिस्थिति में जहां इलाज होना ही संभव नहीं है वहां पर सर्जरी जैसी बात कहां तक जायज है.