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शैवाल से दूर होगा कुपोषण, सिंफर के वैज्ञानिक 2 साल में तैयार करेंगे फूड प्रोडक्ट - सिंफर के वैज्ञानिकों का कमाल

तालाब, नदियों में उगने वाले शैवाल से अब फूड मटेरियल तैयार होगा. इसके जरिये छोटे बच्चों और बुजुर्गों में कुपोषण दूर किया जा सकेगा. जी हां सिंफर यानी केंद्रीय खनन और ईंधन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक इन दिनों शैवाल से खाद्य पदार्थ बनाने की कोशिश कर रहे हैं. अगर ये प्रयोग सफल रहा तो आने वाले दिनों में यह हमारे दैनिक खानपान में शामिल हो जाएगा.

Algae, शैवाल
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Published : Mar 19, 2020, 9:52 PM IST

धनबाद: देश के जाने माने वैज्ञानिक संस्थान केंद्रीय खनन और इंधन अनुसंधान संस्थान (सिंफर) के वैज्ञानिक हमेशा नए-नए आविष्कार के लिए जाने जाते हैं. अब सिंफर की एक महिला वैज्ञानिक ने तालाबों और नदियों में पाए जाने वाले शैवाल से फूड मटेरियल बनाने का जिम्मा उठाया है. जिस पर काम शुरू भी हो चुका है जिसे पूरे होने में दो साल का समय लग सकता है.

देखें स्पेशल स्टोरी

शैवाल से दूर होगा कुपोषण

बता दें कि केंद्रीय खनन और इंधन अनुसंधान संस्थान के धनबाद में दो कैंपस है. एक झरिया के डिगवाडडीह में है तो दूसरा बरटांड इलाके में है. दोनों ही जगहों पर वैज्ञानिक अपने आविष्कारों को अंजाम देने में जुटे रहते हैं. इस बार डिगवाडीह में कार्यरत एक महिला वैज्ञानिक डॉ वी अंगु सेल्वी ने तालाबों और नदियों में उगने वाले शैवाल (एल्गी) से फूड मटेरियल तैयार करने का महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट शुरू किया है. इसके लिए तालाबों, नदियों और अन्य जल स्रोतों से शैवाल एकत्रित किया जाएगा. जिसके बाद मानव शरीर को हानि पहुंचानेवाले तत्वों को लैब अलग किया जाएगा. उसके बाद इन शैवालों से प्रोटीन और अन्य उपयोगी पदार्थ निकालकर उससे फूड प्रोडक्ट तैयार किया जाएगा. जिसके जरिए छोटे बच्चों और बुजुर्गों में होने वाले कुपोषण को दूर किया जा सकता है. इस बारे में डॉक्टर सेल्वी बताती हैं कि इस काम को पूरा करने के लिए 2 वर्ष निर्धारित किया गया है. उन्होंने आगे बताया कि यह प्रोडक्ट कैप्सूल, टेबलेट और पाउडर फॉर्म में तैयार किया जाएगा, ताकि इसे लोगों तक आसानी से पहुंचाया जा सके. दूध के साथ इसका सेवन करने पर ज्यादा लाभ हो सकेगा.

ये भी पढ़ें- धधकते अंगारों ने छीना इस शहर का चैन, जानिए दशकों पहले भड़की चिंगारी की कहानी

किसानों को किया जाएगा प्रशिक्षित

हालांकि, किस तरह से यह आम लोगों तक पहुंच पाएगा और इसकी रूपरेखा क्या होगी इस पर अभी विस्तृत योजना नहीं बन पाई है. डॉक्टर सेल्वी आगे कहती हैं कि शैवाल से तैयार यह फूड प्रोडक्ट पूरी तरह से शाकाहारी होगा यह वैसे लोगों के लिए ज्यादा लाभदायक है जो मांसाहारी नहीं हैं और दवा का सेवन करने से घबराते हैं. उन्होंने कहा कि इसकी लागत भी बहुत कम होगी ताकि गरीब तबके के लोग भी इसका उपयोग कर सकें. उन्होंने कहा शैवाल में क्लोरोफिल भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो मानव शरीर के लिए काफी लाभदायक है. दुनिया के कई देश इसका उपयोग कर भी रहे हैं. उन्होंने कहा शैवाल के उत्पाद को लेकर भी किसानों को प्रशिक्षित किया जाएगा जिससे रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे.

सिंफर निदेशक ने की सराहना

वहीं, सिंफर निदेशक पीके सिंह का कहना है कि सिंफर की टीम लगातार जनहित करने के लिए शोध में लगी रहती हैं. उन्होंने कहा की वैज्ञानिक डॉक्टर सेल्वी शैवाल से फूड मटेरियल तैयार करने का जो काम हो रहा है वह काफी महत्वपूर्ण है. इसका एकमात्र उद्देश्य देश के गरीबों को सस्ती दर पर पोषणयुक्त सामग्री उपलब्ध कराना है. ताकि इसका ज्यादा से ज्यादा लाभ गरीब तबके के लोग उठा सके.

धनबाद: देश के जाने माने वैज्ञानिक संस्थान केंद्रीय खनन और इंधन अनुसंधान संस्थान (सिंफर) के वैज्ञानिक हमेशा नए-नए आविष्कार के लिए जाने जाते हैं. अब सिंफर की एक महिला वैज्ञानिक ने तालाबों और नदियों में पाए जाने वाले शैवाल से फूड मटेरियल बनाने का जिम्मा उठाया है. जिस पर काम शुरू भी हो चुका है जिसे पूरे होने में दो साल का समय लग सकता है.

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शैवाल से दूर होगा कुपोषण

बता दें कि केंद्रीय खनन और इंधन अनुसंधान संस्थान के धनबाद में दो कैंपस है. एक झरिया के डिगवाडडीह में है तो दूसरा बरटांड इलाके में है. दोनों ही जगहों पर वैज्ञानिक अपने आविष्कारों को अंजाम देने में जुटे रहते हैं. इस बार डिगवाडीह में कार्यरत एक महिला वैज्ञानिक डॉ वी अंगु सेल्वी ने तालाबों और नदियों में उगने वाले शैवाल (एल्गी) से फूड मटेरियल तैयार करने का महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट शुरू किया है. इसके लिए तालाबों, नदियों और अन्य जल स्रोतों से शैवाल एकत्रित किया जाएगा. जिसके बाद मानव शरीर को हानि पहुंचानेवाले तत्वों को लैब अलग किया जाएगा. उसके बाद इन शैवालों से प्रोटीन और अन्य उपयोगी पदार्थ निकालकर उससे फूड प्रोडक्ट तैयार किया जाएगा. जिसके जरिए छोटे बच्चों और बुजुर्गों में होने वाले कुपोषण को दूर किया जा सकता है. इस बारे में डॉक्टर सेल्वी बताती हैं कि इस काम को पूरा करने के लिए 2 वर्ष निर्धारित किया गया है. उन्होंने आगे बताया कि यह प्रोडक्ट कैप्सूल, टेबलेट और पाउडर फॉर्म में तैयार किया जाएगा, ताकि इसे लोगों तक आसानी से पहुंचाया जा सके. दूध के साथ इसका सेवन करने पर ज्यादा लाभ हो सकेगा.

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किसानों को किया जाएगा प्रशिक्षित

हालांकि, किस तरह से यह आम लोगों तक पहुंच पाएगा और इसकी रूपरेखा क्या होगी इस पर अभी विस्तृत योजना नहीं बन पाई है. डॉक्टर सेल्वी आगे कहती हैं कि शैवाल से तैयार यह फूड प्रोडक्ट पूरी तरह से शाकाहारी होगा यह वैसे लोगों के लिए ज्यादा लाभदायक है जो मांसाहारी नहीं हैं और दवा का सेवन करने से घबराते हैं. उन्होंने कहा कि इसकी लागत भी बहुत कम होगी ताकि गरीब तबके के लोग भी इसका उपयोग कर सकें. उन्होंने कहा शैवाल में क्लोरोफिल भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो मानव शरीर के लिए काफी लाभदायक है. दुनिया के कई देश इसका उपयोग कर भी रहे हैं. उन्होंने कहा शैवाल के उत्पाद को लेकर भी किसानों को प्रशिक्षित किया जाएगा जिससे रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे.

सिंफर निदेशक ने की सराहना

वहीं, सिंफर निदेशक पीके सिंह का कहना है कि सिंफर की टीम लगातार जनहित करने के लिए शोध में लगी रहती हैं. उन्होंने कहा की वैज्ञानिक डॉक्टर सेल्वी शैवाल से फूड मटेरियल तैयार करने का जो काम हो रहा है वह काफी महत्वपूर्ण है. इसका एकमात्र उद्देश्य देश के गरीबों को सस्ती दर पर पोषणयुक्त सामग्री उपलब्ध कराना है. ताकि इसका ज्यादा से ज्यादा लाभ गरीब तबके के लोग उठा सके.

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