धनबाद: झारखंड प्रतियोगी परीक्षा विधेयक के विरोध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने धनबाद के रणधीर वर्मा चौक पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पुतला दहन किया. विद्यार्थी परिषद ने इस विधेयक को काला कानून बताया है. इसके साथ ही इसे ब्रिटिश रॉलेट एक्ट की संज्ञा दी है.
छात्र की गलती पर प्राथमिकी दर्ज करना अनुचितः अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता ने कहा कि एक तरफ हेमंत सरकार छात्रों के हित में कदम उठाने की बात कहती है, वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकार लगातार छात्र विरोधी कार्य कर रही है. मानसून सत्र के दौरान सरकार ने झारखंड प्रतियोगी परीक्षा विधायक को पास किया है. यह विधेयक छात्र विरोधी है. छात्र के गलती करने पर उसपर प्राथमिकी दर्ज करना कहीं से उचित नहीं है. सरकार का यह फैसला छात्रों के हित में नहीं है, बल्कि छात्र का भविष्य इससे संवरने के बजाय और भी खराब हो जाएगा. इस विधेयक को वापस लेने की मांग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने की है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने सरकार के इस विधेयक को ब्रिटिश शासन काल के 1919 में पास हुए रॉलेट एक्ट की संज्ञा दी है.
एसएसएलएनटी कॉलेज प्राचार्य पर लगाया तानाशाही करने का आरोपः वहीं कल हुई एसएसएलएनटी कॉलेज की घटना को लेकर भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने प्राचार्य शर्मिला रानी के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति ऐसे ही सुसाइड करने की कोशिश नहीं करता है. इतिहास की प्रोफेसर बीना झा को काफी प्रताड़ित किया गया था. जिसके बाद ही उन्होंने यह कदम उठाया था. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का आरोप है कि एसएसएलएनटी कॉलेज की प्राचार्य शर्मिला रानी तानाशाही कर रही हैं. कर्मचारियों को कॉलेज का आम तोड़ने के नाम पर भी उन्हें प्रताड़ित करती हैं. उनकी हरकतों से लगातार कॉलेज में कार्य करने वाले स्टाफ से लेकर प्रोफेसर तक परेशान हैं.