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राज्य में 10 से 12 भूकंप स्टेशन बनाने की है जरुरत, नहीं तो हो सकती है ये समस्या - धनबाद न्यूज

धनबाद में भविष्य में भूकंप से बचने के लिए 10-12 भूकंप स्टेशन होनी चाहिए, ताकि, भूकंप की स्थितियों का अध्यन किया जा सके. अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो भविष्य में कभी भी घट सकती है बड़ी घटनाएं.

भूकंप विशेषज्ञ प्रो. पीके खान
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Published : May 27, 2019, 11:14 PM IST

धनबाद: जिले के बांकुड़ा में आए 4.8 रिक्टर स्केल पैमाने पर भूकंप की तीव्रता यदि प्वाइंट तीन या चार बढ़ जाती तो बड़ा नुकसान हो सकता था. बिल्डिंगों में दरारें, पुराने पुल और माइंस सहित कई बहुमंजिली इमारतें भूकंप की जद में आ सकते थे.

भूकंप विशेषज्ञ प्रो. पीके खान का बयान

ईटीवी से खास बातचीत में आईटीआई, आईएसएम के भूकंप विशेषज्ञ प्रो. पीके खान ने बताया कि भूकंप की जानकारी के लिए पूरे राज्य में करीब दस से बारह स्टेशन होने चाहिए, ताकि इन स्टेशनों पर भूकंप की स्थितियों का अध्ययन किया जा सके. साथ ही इन स्टडी सेंटर की सहायता से भूकंप पर वैज्ञानिक शोध किया जा सके. अगर बिहार की बात करें तो वहां दस स्टेशन बनाया भी जा चुका है.

नार्थ में नेपाल और सिक्किम है, जहां पूर्व में बड़े-बड़े भूकंप आ चुके हैं.1934 में यहां 8 मैग्नेटयूट से भी ज्यादा भूकंप हुआ है. यह अगर दोबारा हुआ तो बहुत बड़ा नुकसान भविष्य में हो सकता है. झारखंड का नुकसान तो होगा ही साथ ही साथ कोलकाता जैसे महानगर भी इसकी जद में आ सकते हैं.

उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार को आवश्यक कदम उठाना बेहद जरूरी है. अगर ऐसा नहीं हुआ तो एक दिन इसके नुकसान का सरकार को भी भरपाई करने में बहुत बड़ी कठिनाई होगी.

धनबाद: जिले के बांकुड़ा में आए 4.8 रिक्टर स्केल पैमाने पर भूकंप की तीव्रता यदि प्वाइंट तीन या चार बढ़ जाती तो बड़ा नुकसान हो सकता था. बिल्डिंगों में दरारें, पुराने पुल और माइंस सहित कई बहुमंजिली इमारतें भूकंप की जद में आ सकते थे.

भूकंप विशेषज्ञ प्रो. पीके खान का बयान

ईटीवी से खास बातचीत में आईटीआई, आईएसएम के भूकंप विशेषज्ञ प्रो. पीके खान ने बताया कि भूकंप की जानकारी के लिए पूरे राज्य में करीब दस से बारह स्टेशन होने चाहिए, ताकि इन स्टेशनों पर भूकंप की स्थितियों का अध्ययन किया जा सके. साथ ही इन स्टडी सेंटर की सहायता से भूकंप पर वैज्ञानिक शोध किया जा सके. अगर बिहार की बात करें तो वहां दस स्टेशन बनाया भी जा चुका है.

नार्थ में नेपाल और सिक्किम है, जहां पूर्व में बड़े-बड़े भूकंप आ चुके हैं.1934 में यहां 8 मैग्नेटयूट से भी ज्यादा भूकंप हुआ है. यह अगर दोबारा हुआ तो बहुत बड़ा नुकसान भविष्य में हो सकता है. झारखंड का नुकसान तो होगा ही साथ ही साथ कोलकाता जैसे महानगर भी इसकी जद में आ सकते हैं.

उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार को आवश्यक कदम उठाना बेहद जरूरी है. अगर ऐसा नहीं हुआ तो एक दिन इसके नुकसान का सरकार को भी भरपाई करने में बहुत बड़ी कठिनाई होगी.

Intro:धनबाद।बांकुड़ा में आए 4.8 रिक्टर स्केल पैमाने पर भूकंप की तीव्रता यदि प्वाइंट तीन या चार बढ़ जाती तो बड़ा नुकसान हो सकता था।बिल्डिंगों में दरारें,पुराने पुल और माइंस सहित कई बहुमंजिली इमारतें भूकंप के जद में आ सकते थे।लेकिन भूकंप के लिए पूरे राज्य में दो से तीन स्टेशन ही हैं।जबकि कुल दस स्टेशनों की पूरे राज्य में आवश्यकता है।भविष्य में भूकंप से लोगों को बचाने के लिए दस स्टेशनों का होना बेहद जरूरी है,तभी इसके नुकसान से बचा जा सकता है। आईटीआई आइएसएम के भूकंप विशेषज्ञ प्रो पीके खान से खास बातचीत की संवाददाता नरेंद्र के साथ


Body:प्रो पीके खान ने बताया कि भूकंप की जानकारी के लिए पूरे राज्य में करीब दस से बारह स्टेशन होने चाहिए।ताकि इन स्टेशनों पर भूकंप की स्थितियों का अध्यन किया जा सके साथ ही इन स्टडी सेंटर पर भूकंप पर वैज्ञानिक शोध कर सके।बिहार में दस स्टेशन बनाया भी जा चुका है।नार्थ में नेपाल और सिक्किम है।जहां पूर्व में बड़े बड़े भूकंप आ चुके हैं।1934 में यहाँ 8 मैग्नेटयूट से भी ज्यादा भूकंप हुआ है।यह अगर दोबारा हुआ तो बहुत बड़ा नुकसान भविष्य में हो सकता है।झारखंड का नुकसान तो होगा ही कोलकाता जैसा शहर भी इसकी जद में आ सकता है।इसके लिए सरकार को आवश्यक कदम उठाना बेहद जरूरी है,नही तो एक दिन के इस नुकसान का सरकार को भी भरपाई करने में बहुत बड़ा दिक्कत होगा।



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