धनबाद: जिले के बांकुड़ा में आए 4.8 रिक्टर स्केल पैमाने पर भूकंप की तीव्रता यदि प्वाइंट तीन या चार बढ़ जाती तो बड़ा नुकसान हो सकता था. बिल्डिंगों में दरारें, पुराने पुल और माइंस सहित कई बहुमंजिली इमारतें भूकंप की जद में आ सकते थे.
ईटीवी से खास बातचीत में आईटीआई, आईएसएम के भूकंप विशेषज्ञ प्रो. पीके खान ने बताया कि भूकंप की जानकारी के लिए पूरे राज्य में करीब दस से बारह स्टेशन होने चाहिए, ताकि इन स्टेशनों पर भूकंप की स्थितियों का अध्ययन किया जा सके. साथ ही इन स्टडी सेंटर की सहायता से भूकंप पर वैज्ञानिक शोध किया जा सके. अगर बिहार की बात करें तो वहां दस स्टेशन बनाया भी जा चुका है.
नार्थ में नेपाल और सिक्किम है, जहां पूर्व में बड़े-बड़े भूकंप आ चुके हैं.1934 में यहां 8 मैग्नेटयूट से भी ज्यादा भूकंप हुआ है. यह अगर दोबारा हुआ तो बहुत बड़ा नुकसान भविष्य में हो सकता है. झारखंड का नुकसान तो होगा ही साथ ही साथ कोलकाता जैसे महानगर भी इसकी जद में आ सकते हैं.
उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार को आवश्यक कदम उठाना बेहद जरूरी है. अगर ऐसा नहीं हुआ तो एक दिन इसके नुकसान का सरकार को भी भरपाई करने में बहुत बड़ी कठिनाई होगी.