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कोरोना का कहर: धनबाद में 11 लोगों की मौत, अंतिम संस्कार के लिए लगी कतार - कोरोना की दूसरी लहर

कोरोना की दूसरी लहर किसी आफत से कम नहीं है. पहली लहर की अपेक्षा दूसरी लहर में लोगों की ज्यादा मौत हो रही है. गुरुवार को कोरोना से 11 लोगों की मौत हुई है. शवों के अंतिम संस्कार के लिए लोगों को इंतजार करना पड़ रहा है.

11 deaths due to corona in dhanbad
कोरोना का कहर: गुरुवार को 11 लोगों की मौत, शवों के अंतिम संस्कार के लिए कतार में खड़े लोग
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Published : May 1, 2021, 12:05 PM IST

धनबाद: कोरोना की दूसरी लहर पहले से भी कहीं ज्यादा भयावह है. हाल ही में गुरुवार को 11 लोगों की मौत ने सूबे को झकझोर कर रख दिया. शवों के अंतिम संस्कार के लिए भी लोगों को जद्दोजहद करनी पड़ रही है.

देखें पूरी खबर

यह भी पढ़ेंः झारखंड में पिछले 24 घंटे में मिले 5,961 संक्रमित, 120 लोगों की गई जान

बताते चलें कि वाहन से शवों को सीधे श्मशान घाट लाया जा रहा है. लोगों को शवों के अंतिम संस्कार के लिए लाइन में लगकर इंतजार करना पड़ता है. यही हाल कब्रिस्तान का भी है. कब्रिस्तान में भी प्रतिदिन शव पहुंच रहे हैं. शहर के मटकुरिया मुक्तिधाम में एक चिता की राख ठंडी नहीं हो रही, कि दूसरी जलाने के लिए तैयार है.

हालात ये हैं कि एक साथ 3-4 शवों की चिता सुलगती रहती है. वहीं, दो से तीन शव इंतजार में पड़े रहते हैं. रांगाटांड़ स्थित कब्रिस्तान में भी कुछ ऐसी ही स्थिति देखने को मिली. कब्रिस्तान की देखरेख करने वाले मोहम्मद आलम बताते हैं कि इन दिनों रोजाना 4-5 शवों के लिए कब्र तैयार करना पड़ रहा है, जबकि शहर के कई इलाकों में और भी कब्रिस्तान हैं. इसके बावजूद रांगाटांड़ कब्रिस्तान में 4-5 कब्र रोजाना खोदना काफी दुखदायी है.

अर्थी के लिए ऑर्डर अधिक आ रहे

वहीं हीरापुर हाट पर अंतिम यात्रा के लिए बांस की अर्थी बनाने वाले दुकानदार का कहना है कि इन दिनों अर्थी के लिए ऑर्डर अधिक आ रहे हैं. काम से उन्हें फुर्सत नहीं मिल रही है. वजह भी ऐसी है कि उन्हें ऐसे एक के बाद एक शव आने से खुशी नहीं हो रही है. उनका कहना है कि क्या करें, उनका तो काम ही यही है.

धनबाद: कोरोना की दूसरी लहर पहले से भी कहीं ज्यादा भयावह है. हाल ही में गुरुवार को 11 लोगों की मौत ने सूबे को झकझोर कर रख दिया. शवों के अंतिम संस्कार के लिए भी लोगों को जद्दोजहद करनी पड़ रही है.

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बताते चलें कि वाहन से शवों को सीधे श्मशान घाट लाया जा रहा है. लोगों को शवों के अंतिम संस्कार के लिए लाइन में लगकर इंतजार करना पड़ता है. यही हाल कब्रिस्तान का भी है. कब्रिस्तान में भी प्रतिदिन शव पहुंच रहे हैं. शहर के मटकुरिया मुक्तिधाम में एक चिता की राख ठंडी नहीं हो रही, कि दूसरी जलाने के लिए तैयार है.

हालात ये हैं कि एक साथ 3-4 शवों की चिता सुलगती रहती है. वहीं, दो से तीन शव इंतजार में पड़े रहते हैं. रांगाटांड़ स्थित कब्रिस्तान में भी कुछ ऐसी ही स्थिति देखने को मिली. कब्रिस्तान की देखरेख करने वाले मोहम्मद आलम बताते हैं कि इन दिनों रोजाना 4-5 शवों के लिए कब्र तैयार करना पड़ रहा है, जबकि शहर के कई इलाकों में और भी कब्रिस्तान हैं. इसके बावजूद रांगाटांड़ कब्रिस्तान में 4-5 कब्र रोजाना खोदना काफी दुखदायी है.

अर्थी के लिए ऑर्डर अधिक आ रहे

वहीं हीरापुर हाट पर अंतिम यात्रा के लिए बांस की अर्थी बनाने वाले दुकानदार का कहना है कि इन दिनों अर्थी के लिए ऑर्डर अधिक आ रहे हैं. काम से उन्हें फुर्सत नहीं मिल रही है. वजह भी ऐसी है कि उन्हें ऐसे एक के बाद एक शव आने से खुशी नहीं हो रही है. उनका कहना है कि क्या करें, उनका तो काम ही यही है.

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