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लॉकडाउन इफेक्ट: देवघर के सैकड़ों बुनकरों के रोजगार पर संकट, सरकार से मदद की आस

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Published : Jun 6, 2020, 6:02 AM IST

वैश्विक महामारी कोरोना ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है. भारत में कोरोना वायरस पर काबू पाने की कोशिशों के बीच लगे लॉकडाउन के कारण बुनकरों के लिए बड़ी मुसीबत साबित हो रहा है. लॉकडाउन के कारण बुनकरों के आय के रास्ते बंद हो गए हैं. देवघर के झुमरबाद गांव में सैकड़ों बुनकरों का हाल इन दिनों खराब है.

weavers have unemployed due to lockdown in Deoghar
बुनकरों के रोजगार पर संकट

देवघर: जिले के देवीपुर प्रखंड के झुमरबाद गांव में सैकड़ों की संख्या में बुनकर है. जिनमें कुछ बुनकर अन्य राज्यों में रहकर काम करते हैं. वहीं, तो 30 से 40 की संख्या में बुनकर कारीगर घर में ही रहकर बुनकर का काम करते हैं, लेकिन लॉकडाउन के कारण इन कारीगरों का रोजगार बंद हो चुका है.

देखें स्पेशल स्टोरी

लॉकडाउन ने बुनकरों की कमर तोड़ी

वैश्विक महामारी कोरोना ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है. भारत में कोरोना वायरस पर काबू पाने की कोशिशों के बीच लगे लॉकडाउन के कारण बुनकरों के लिए बड़ी मुसीबत साबित हो रहा है. लॉकडाउन की वजह से बुनकर तबका बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है. देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से लाखों बुनकर मजदूर बेरोजगार हो गए हैं. झुमराबाद के बुनकर महीने में लगभग 10 लाख रुपए का कालीन का कारोबार करते हैं. जिसका विदेशों में काफी डिमांड है. ऐसे में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन से कारीगरों और कालीन का कारोबार करने वालों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. हालत यह हो चुका है कि कारीगरों के सामने भुखमरी की स्थिति बनती जा रही है.

सरकार से है मदद की आस

देवघर के देवीपुर स्थित झुमरबाद के बुनकर शेड में लॉकडाउन से पहले करीब 30 से 40 कारीगर कालीन बनाने का काम करते थे. लेकिन लॉकडाउन ने इन बुनकरों का रोजगार छीन लिया. अब यहां लगे मशीनों में सिर्फ धागा लटका हुआ है. सामान्य दिनों में यहां करीब 10 लाख रुपये प्रति महिने का कारोबार होता था लेकिन अब यहां के मजदूरों को पेट पालना भी मुश्किल हो चुका है. अब इन्हें सरकार से मदद की आस है. कालीन बनाने वाले कारीगर बताते हैं कि सरकार अगर उनकी मदद करे तो वे फिर से खड़ा हो सकते हैं. लाखों का कारोबार करने वाले एक छोटे से कस्बे के कारीगरों का पिछले 2 महीनों से बनाया गया लाखों का कालीन अभी धूल फांक रहा है और लगभग 20 लाख का करोबार भी प्रभावित हुआ है. बस इंतजार है तो लॉकडाउन टूटने के बाद स्थिति सामान्य होने की. ऐसे में अब बुनकर कारीगरों और मालिक सरकार से मदद की गुहार लगा रहे है, ताकि फिर से चालू कर इस कारोबार को बढ़ा सकें.

और पढ़ें- जमशेदपुरः लाइव पेंटिंग बनाकर केरल के मृत हथिनी को आर्टिस्ट सुमन ने दी श्रद्धांजलि

क्या कहते हैं जिले के अधिकारी

झुमरबाद के कालीन कारीगरों पर लॉकडाउन की मार को लेकर जब जिले के उप विकास आयुक्त शैलेंद्र कुमार लाल से जवाब तलब किया गया तो उन्होंने बताया कि सरकार उनके लिए काम कर रही है. उन्होंने यह भी बताया कि हुनरमंद बुनकर कारीगरों के लिए राज्य सरकार की योजनाओं और केंद्र सरकार द्वारा दिये गए राहत पैकेज के तहत उद्योग विभाग को निर्देश दिया गया है. ताकि इन बुनकरों को उचित सहयोग मिल पाये.

देश-विदेश में अपनी कारीगरी का लोहा मनवा चुके झारखंड के बुनकरों के सामने लॉकडाउन के कारण मुसीबत आ चुकी है. स्थिति यह है कि अपने घर से काम कर विदेशों तक संबंध बनाने वाले कारीगर भुखमरी के कगार पर हैं. झुमरबाद के बुनकर अब सरकार की मदद की आस में है. अब देखना यह है की विदेशों में अपना नाम कमा चुके कारीगरों के सामने आई इस मुसीबत की घड़ी में सरकार कितना मदद करती है.

देवघर: जिले के देवीपुर प्रखंड के झुमरबाद गांव में सैकड़ों की संख्या में बुनकर है. जिनमें कुछ बुनकर अन्य राज्यों में रहकर काम करते हैं. वहीं, तो 30 से 40 की संख्या में बुनकर कारीगर घर में ही रहकर बुनकर का काम करते हैं, लेकिन लॉकडाउन के कारण इन कारीगरों का रोजगार बंद हो चुका है.

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लॉकडाउन ने बुनकरों की कमर तोड़ी

वैश्विक महामारी कोरोना ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है. भारत में कोरोना वायरस पर काबू पाने की कोशिशों के बीच लगे लॉकडाउन के कारण बुनकरों के लिए बड़ी मुसीबत साबित हो रहा है. लॉकडाउन की वजह से बुनकर तबका बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है. देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से लाखों बुनकर मजदूर बेरोजगार हो गए हैं. झुमराबाद के बुनकर महीने में लगभग 10 लाख रुपए का कालीन का कारोबार करते हैं. जिसका विदेशों में काफी डिमांड है. ऐसे में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन से कारीगरों और कालीन का कारोबार करने वालों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. हालत यह हो चुका है कि कारीगरों के सामने भुखमरी की स्थिति बनती जा रही है.

सरकार से है मदद की आस

देवघर के देवीपुर स्थित झुमरबाद के बुनकर शेड में लॉकडाउन से पहले करीब 30 से 40 कारीगर कालीन बनाने का काम करते थे. लेकिन लॉकडाउन ने इन बुनकरों का रोजगार छीन लिया. अब यहां लगे मशीनों में सिर्फ धागा लटका हुआ है. सामान्य दिनों में यहां करीब 10 लाख रुपये प्रति महिने का कारोबार होता था लेकिन अब यहां के मजदूरों को पेट पालना भी मुश्किल हो चुका है. अब इन्हें सरकार से मदद की आस है. कालीन बनाने वाले कारीगर बताते हैं कि सरकार अगर उनकी मदद करे तो वे फिर से खड़ा हो सकते हैं. लाखों का कारोबार करने वाले एक छोटे से कस्बे के कारीगरों का पिछले 2 महीनों से बनाया गया लाखों का कालीन अभी धूल फांक रहा है और लगभग 20 लाख का करोबार भी प्रभावित हुआ है. बस इंतजार है तो लॉकडाउन टूटने के बाद स्थिति सामान्य होने की. ऐसे में अब बुनकर कारीगरों और मालिक सरकार से मदद की गुहार लगा रहे है, ताकि फिर से चालू कर इस कारोबार को बढ़ा सकें.

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क्या कहते हैं जिले के अधिकारी

झुमरबाद के कालीन कारीगरों पर लॉकडाउन की मार को लेकर जब जिले के उप विकास आयुक्त शैलेंद्र कुमार लाल से जवाब तलब किया गया तो उन्होंने बताया कि सरकार उनके लिए काम कर रही है. उन्होंने यह भी बताया कि हुनरमंद बुनकर कारीगरों के लिए राज्य सरकार की योजनाओं और केंद्र सरकार द्वारा दिये गए राहत पैकेज के तहत उद्योग विभाग को निर्देश दिया गया है. ताकि इन बुनकरों को उचित सहयोग मिल पाये.

देश-विदेश में अपनी कारीगरी का लोहा मनवा चुके झारखंड के बुनकरों के सामने लॉकडाउन के कारण मुसीबत आ चुकी है. स्थिति यह है कि अपने घर से काम कर विदेशों तक संबंध बनाने वाले कारीगर भुखमरी के कगार पर हैं. झुमरबाद के बुनकर अब सरकार की मदद की आस में है. अब देखना यह है की विदेशों में अपना नाम कमा चुके कारीगरों के सामने आई इस मुसीबत की घड़ी में सरकार कितना मदद करती है.

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