देवघरः त्रिकूट रोपवे हादसे के बाद से यहां परिचालन बंद है, इससे पर्यटक निराश होकर लौट रहे हैं. कभी पर्यटकों से गुलजार रहने वाला त्रिकुट पहाड़ रोपवे हादसे के बाद से वीरान है. रोपवे हादसे के बाद से त्रिकुट पहाड़ में पर्यटकों की संख्या में कमी आ गई है और लोग ना के बराबर पहुंच रहे हैं. सावन में देवघर और दुमका आने वाले भक्तों में भी इसको लेकर निराशा है.
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सावन में लाखों की संख्या में कांवरिया जलार्पण के लिए बाबा मंदिर पहुंच रहे हैं. बाबा धाम में जल चढ़ाने के बाद कांवरिया दुमका बासुकीनाथ जाते हैं. देवघर से बासुकीनाथ के रास्ते में ही पड़ने वाले त्रिकुट पहाड़ पर भी खूब लोग घूमने जाते हैं. लेकिन त्रिकूट रोपवे हादसे के बाद से पर्यटक यहां जाने से कतरा रहे हैं. बिहार के पूर्णिया जिले से आए कांवरिया ने बताया कि वह रोपवे का आनंद लेने के लिए त्रिकुट पहाड़ घूमने आए थे लेकिन फिर से निराश होकर वापस जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पिछले साल भी त्रिकुट रोपवे में घूमने के लिए पहुंचे थे लेकिन रोपवे बंद थी इस वर्ष उम्मीद थी कि रोपवे चालू हो गया होगा. लेकिन एक बार फिर से वो लोग खाली हाथ ही वापस लौट रहे हैं.
रोपवे का परिचालन बंद होने से स्थानीय दुकानदार और गाइड को भी नुकसान हो रहा है. पर्यटक कम आने के कारण दुकानों में बिक्री कम हो रही है. दुकानदार अनुज मंडल बताते हैं कि रोपवे हादसे के पहले दुकानदारी बहुत अच्छी चल रही थी और परिवार का अच्छे से भरण-पोषण हो रहा था. लेकिन हादसे के बाद से सब बदल गया और पर्यटकों की संख्या में कमी आई है. वहीं गाइड शक्ति पुजार कहते हैं कि उस हादसे के बाद से बहुत मुश्किल से परिवार का गुजर-बसर चल रहा है.
झारखंड का एकमात्र रोपवे होने के कारण देवघर आने वाले श्रद्धालु त्रिकुट पहाड़ की हसीन वादियों का लुफ्त उठाते थे. त्रिकूट रोपवे का 840 मीटर ऊंचाई पर वादियों का आनंद लेते थे. लेकिन त्रिकूट रोपवे हादसे को लेकर एक टीम गठित की गई थी जो त्रिकुट रोपवे की जांच कर रिपोर्ट बनाई थी. लेकिन अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है. इस वजह से अब तक रोपवे का परिचालन शुरू नहीं हो पाया है.
त्रिकूट पहाड़ रोपवे हादसाः साल 2022, 10 अप्रैल को रामनवमी के दिन बड़ी संख्या में लोग रोपवे के सहारे त्रिकूट पर्वत का भ्रमण करने पहुंचे थे. इसी बीच शाम के वक्त त्रिकूट पर्वत के टॉप प्लेटफार्म पर रोपवे का एक्सेल टूट गया. इसकी वजह से रोपवे ढीला पड़ गया और सभी 24 ट्रॉली का मूवमेंट रूक गया. रोपवे के ढीला पड़ने की वजह से दो ट्रॉलियां या तो आपस में या चट्टान से टकरा गईं. त्रिकूट पर्वत रोपवे हादसे में फंसे लोगों को निकालने के लिए तीन दिनों तक ऑपरेशन चलाया गया. इस दौरान 60 लोग सुरक्षित निकाले गए, जबकि तीन लोगों की जान नहीं बचाई जा सकी. सेना ने दो दिनों में 34 लोगों को रेस्क्यू किया, इस दौरान दो लोगों की मौत हुई, जिसमें एक महिला और एक पुरुष शामिल है. 11 अप्रैल को सुबह से एनडीआरएफ की टीम ने 11 जिंदगियां बचाईं, जिसमें एक छोटी बच्ची भी शामिल थी. इससे पहले हादसे के दिन 10 अप्रैल को रोपवे का मेंटिनेंस करने वाले पन्ना लाल ने स्थानीय ग्रामीणों की मदद से 15 लोगों को बचाया था, जबकि एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. इस कठिन ऑपरेशन के लिए सेना, आईटीबीपी के जवान, एनडीआरएफ की टीम के साथ-साथ स्थानीय प्रशासन की अहम भूमिका रही.