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देवघर तपोवन में नववर्ष के बाद भी पर्यटकों का आना जारी, कड़ाके की ठंड में भी दुर्गम रास्तों का उठा रहें लुत्फ

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Published : Jan 2, 2020, 9:01 PM IST

देवघर तपोवन जिसे तपोस्थली कही जाती है. इसके पहाड़ के बीच में हनुमान जी की प्रतिमा जो कि 20 फिट ऊंची चट्टान के बीच से दो भागों में बंटी हुई है. इसे मनोकामना मंदिर भी कहते हैं. वहीं, यहां नववर्ष के समय कफी भीड़ देखने को मिलती है.

Tourists continue in Devghar Tapovan even after New Year
तपोवन पहाड़

देवघर: तपोवन जिसे तपोस्थली कही जाती है, इस पहाड़ की चोटी पर स्थित है हनुमान जी की प्रतिमा जो कि 20 फिट ऊंची चट्टान के बीच से दो भागों में बंटी हुई है. इसे मनोकामना मंदिर भी कहते है. इस चट्टान तक पहुंचने के लिए सैलानियों को दुर्गम रास्तों से बड़ी-बड़ी चट्टानों के बीच की गुफाओं से होकर गुजरना पड़ता है और तब जाकर इस मनोकामना मंदिर तक पहुंचते हैं.

देखें पूरी खबर

इसके साथ एक पुरानी कहानी भी जुड़ी हुई है. जिसके मुताबिक रावण जब एक बार भोलेनाथ की शिवलिंग को लंका ले जाने में नाकाम रहा था तो दूसरी बार भी रावण इस पहाड़ पर तपस्या करने लगा और फिर देवताओं ने हनुमान जी को रावण की तपस्या भंग करने के लिए इस पहाड़ पर भेजा. वहीं, हनुमान जी ने रावण की तपस्या भंग की थी. साथ ही यह भी कहा जाता है कि सीता ने हनुमान से कहा जब हर चीज में राम की होने की बात करते है तो क्या इन चट्टानों में भी राम है. ऐसे में हनुमान जी ने एक चट्टान को अपनी उंगली से चिर कर दिखा दिया था.

Tourists continue in Devghar Tapovan even after New Year
मनोकामना मंदिर

ये भी देखें- कैदी ने फांसी लगाकर की आत्महत्या, जांच में जुटी पुलिस

मनोकामना हनुमान मंदिर

उसके बाद से ही इस चट्टान के अंदर हनुमान की आकृति समाहित हो गयी थी. इस मंदिर को मनोकामना हनुमान मंदिर कहा जाता है. इस लिए यहां नववर्ष को लेकर दूर दराज से सैलानी दर्शन करने आते हैं और इस दुर्गम रास्ते को तय कर दर्शन करते है. खास कर मकरसंक्रांति के दिन यहां भव्य मेला भी लगती है. गौरतलब है कि इस मंदिर तक पहुंचना सबकी बस की बात नहीं होती है. यहां तक पहुंचने के लिए पर्यटकों को पतली-पतली गुफा और कंदराओ से होकर गुजरना पड़ता है, कहा जाता है कि यहां पहुंचाना एक अग्नि परीक्षा के समान होती है.

ये भी देखें- विधानसभा सत्र के बाद कैबिनेट एक्सपेंशन की तस्वीर होगी साफ, JMM कोटे से हैं कई दावेदार

नववर्ष में होती है काफी भीड़
बहरहाल, तपोवन पहुंचने वाले पर्यटकों की माने तो साल का पहला दिन काफी भीड़ होने के कारण लोग दूसरे दिन तपोवन आते है और रावण और हनुमान से जुड़ी तमाम धरोहरों को भी देखने का मौका मिलता है. वहीं, आज कड़ाके की ठंड भी है मगर तपोवन आकर एक धर्म से जुड़ी चीजों को जानने का मौका मिलता है तो साथ ही नववर्ष का आनंद लेते हैं और इन गुफाओं में आकर सभी तकलीफें भूल जाते है. वहीं, बंदर यहां की शोभा है जो प्राकृतिक छटाओं से घिरे इस पहाड़ पर चार चांद लगता है. वहीं, जिला प्रशाशन ने सुरक्षा का भी विशेष इंतजाम किया गया है और दूर दराज से आए सैलानी नववर्ष मनाने दूसरे दिन भी तपोवन पहुंचते है.

देवघर: तपोवन जिसे तपोस्थली कही जाती है, इस पहाड़ की चोटी पर स्थित है हनुमान जी की प्रतिमा जो कि 20 फिट ऊंची चट्टान के बीच से दो भागों में बंटी हुई है. इसे मनोकामना मंदिर भी कहते है. इस चट्टान तक पहुंचने के लिए सैलानियों को दुर्गम रास्तों से बड़ी-बड़ी चट्टानों के बीच की गुफाओं से होकर गुजरना पड़ता है और तब जाकर इस मनोकामना मंदिर तक पहुंचते हैं.

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इसके साथ एक पुरानी कहानी भी जुड़ी हुई है. जिसके मुताबिक रावण जब एक बार भोलेनाथ की शिवलिंग को लंका ले जाने में नाकाम रहा था तो दूसरी बार भी रावण इस पहाड़ पर तपस्या करने लगा और फिर देवताओं ने हनुमान जी को रावण की तपस्या भंग करने के लिए इस पहाड़ पर भेजा. वहीं, हनुमान जी ने रावण की तपस्या भंग की थी. साथ ही यह भी कहा जाता है कि सीता ने हनुमान से कहा जब हर चीज में राम की होने की बात करते है तो क्या इन चट्टानों में भी राम है. ऐसे में हनुमान जी ने एक चट्टान को अपनी उंगली से चिर कर दिखा दिया था.

Tourists continue in Devghar Tapovan even after New Year
मनोकामना मंदिर

ये भी देखें- कैदी ने फांसी लगाकर की आत्महत्या, जांच में जुटी पुलिस

मनोकामना हनुमान मंदिर

उसके बाद से ही इस चट्टान के अंदर हनुमान की आकृति समाहित हो गयी थी. इस मंदिर को मनोकामना हनुमान मंदिर कहा जाता है. इस लिए यहां नववर्ष को लेकर दूर दराज से सैलानी दर्शन करने आते हैं और इस दुर्गम रास्ते को तय कर दर्शन करते है. खास कर मकरसंक्रांति के दिन यहां भव्य मेला भी लगती है. गौरतलब है कि इस मंदिर तक पहुंचना सबकी बस की बात नहीं होती है. यहां तक पहुंचने के लिए पर्यटकों को पतली-पतली गुफा और कंदराओ से होकर गुजरना पड़ता है, कहा जाता है कि यहां पहुंचाना एक अग्नि परीक्षा के समान होती है.

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नववर्ष में होती है काफी भीड़
बहरहाल, तपोवन पहुंचने वाले पर्यटकों की माने तो साल का पहला दिन काफी भीड़ होने के कारण लोग दूसरे दिन तपोवन आते है और रावण और हनुमान से जुड़ी तमाम धरोहरों को भी देखने का मौका मिलता है. वहीं, आज कड़ाके की ठंड भी है मगर तपोवन आकर एक धर्म से जुड़ी चीजों को जानने का मौका मिलता है तो साथ ही नववर्ष का आनंद लेते हैं और इन गुफाओं में आकर सभी तकलीफें भूल जाते है. वहीं, बंदर यहां की शोभा है जो प्राकृतिक छटाओं से घिरे इस पहाड़ पर चार चांद लगता है. वहीं, जिला प्रशाशन ने सुरक्षा का भी विशेष इंतजाम किया गया है और दूर दराज से आए सैलानी नववर्ष मनाने दूसरे दिन भी तपोवन पहुंचते है.

Intro:देवघर तपोवन में नववर्ष के बाद भी पर्यटकों का आना जारी,कड़ाके की ठंड में भी दुर्गम रास्तो का उठा रहे लुप्त।


Body:एंकर तपोवन जिसे तपोस्थली कही जाती है। इस पहाड़ की चोटी पर स्थित है हनुमान जी की प्रतिमा जो कि 20 फिट ऊंची चट्टान के बीच से दो पाटों में बंटी हुई है। इसे मनोकामना मंदिर भी कहते है। इस चट्टान तक पहुचने के लिए सैलानियो को दुर्गम रास्तो से बड़ी बड़ी चट्टानों के बीच की गुफाओं से होकर गुजरना पड़ता है। और तब जाकर इस मनोकामना मंदिर तक पहुचते है। इसके साथ एक पुरानी कहानी भी जुड़ी हुई है। जिसके मुताबिक रावण जब एक बार भोलेनाथ की शिवलिंग को लंका ले जाने में नाकाम रहा था तो दूसरी बार भी रावण इस पहाड़ पर तपस्या करने लगा। और फिर देवताओं ने हनुमान जी को रावण की तपस्या भंग करने के लिए इस पहाड़ पर भेजा वही हनुमान जी ने रावण की तपस्या भंग की थी। साथ ही यह भी कहा जाता है कि सीता ने हनुमान से कहा जब हर चीज में राम की होने की बात करते है तो क्या इन चट्टानों में भी राम है। ऐसे में हनुमान जी ने एक चट्टान को अपनी उंगली से चिर कर दिखा दिया था। और उसके बाद से ही इस चट्टान के अंदर हनुमान की आकृति समाहित हो गयी थी। इस मंदिर को मनोकामना हनुमान मंदिर कहा जाता है। इस लिए यहाँ नववर्ष को लेकर दूर दराज से सैलानी दर्शन करने आते है। और इस दुर्गम रास्ते को तय कर दर्शन करते है। खास कर मकरसंक्रांति के दिन यहाँ भव्य मेला भी लगती है। गौरतलब है कि इस मंदिर तक पहुचना सबकी बस की बात नही होती है। यहाँ तक पहुचने के लिए पर्यटकों को पतली पतली गुफा और कंदराओ से होकर गुजरना पड़ता है। कहा जाता है कि यहाँ पहुचाना एक अग्नि परीक्षा के समान होती है।


Conclusion:बहरहाल,तपोवन पहुचने वाले पर्यटकों की माने तो साल का पहला दिन काफी भीड़ होने के कारण लोग दूसरे दिन तपोवन आते है और रावण और हनुमान से जुड़ी तमाम धरोहरों को भी देखने का मौका मिलता है। वही आज कड़ाके की ठंड भी है मगर तपोवन आकर एक धर्म से जुड़ी चीजो को जानने का मौका मिलता है तो साथ ही नववर्ष का आनंद लेते है और इन गुफाओं में आकर सभी तकलीफें भूल जाते है। वही बंदर यहाँ की शोभा है जो प्राकृतिक छटाओं से घिरे इस पहाड़ पर चार चांद लगता है। वही जिला प्रशाशन द्वारा सुरक्षा का भी विशेष इंतजाम किया गया है। और दूर दराज से आये सैलानी नववर्ष मनाने दूसरे दिन भी तपोवन पहुँचते है।

बाइट लवली,पर्यटक।
बाइट अवधेश, पर्यटक।
बाइट बरुन चौबे,जानकार।
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