देवघरः जिले के देवीपुर अंचल स्थित केंदुआ +2 हाईस्कूल में सदर एसडीपीओ अचानक क्लास रुम आए. स्कूल के भीतर पुलिस की वर्दी में पहुंचे एसडीपीओ विकास चंद्र श्रीवास्तव को देखकर बच्चे थोड़ी देर के लिए तो भौंचक्के रह गए, लेकिन, कुछ पलों के भीतर ही उनके मिलनसार व्यवहार को देखकर तमाम बच्चे सहज हो गए. एसडीपीओ विकास चंद्र श्रीवास्तव यहां एक पुलिसकर्मी की छवि से बिल्कुल अलग गुरु जी की भूमिका में थे.
एसडीपीओ को पढ़ाने का है शौक
हर रोज की तरह बच्चे अपनी कक्षा में बैठे थे और शिक्षक क्लास ले रहे थे, तभी अचानक देवघर सदर एसडीपीओ भी वहां पहुंच गए. इस दौरान उन्होंने बच्चों को अपना परिचय दिया. उनसे बातें भी की. जिसके बाद उन्होंने बच्चों को पढ़ाना शुरु कर दिया. वहीं उन्होंने भविष्य संवारने का गुर सिखाया तो सवाल और जवाब का भी दौर चला. एसडीपीओ साहब को पढ़ाने का शौक है. कहते हैं कि अपने जीवन के अनुभव से छात्रों को भी कुछ देना चाहता हूं.
एसडीपीओ ने बताया कि किस तरह से जीवन में अपनी मंजिल को पाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि सम्यक विकास के लिए पढ़ाई के साथ-साथ हमें खेल और सामान्य ज्ञान पर भी ध्यान देना चाहिए. छात्रों ने एसडीपीओ साहब से भी कई सवाल किए. जिसका उन्होंने बेहद संजीदगी के साथ जवाब दिया. उन्होंने कहा कि जीवन में कभी भी अपने लक्ष्य से भटकना नहीं चाहिए. हमें समय प्रबंधन के साथ आगे बढ़ना चाहिए. पढ़ाई में तनाव का कोई स्थान नहीं होता.
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इंटरनेट की दी जानकारी
इस दौरान एसडीपीओ ने इंटरनेट का भी ज्ञान दिया बताया कि वर्तमान समय में इंटरनेट से कई महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त की जा सकती हैं, लेकिन हमें इंटरनेट, सोशल साइट्स और मोबाइल के दुरुपयोग से भी बचने की जरूरत है. छात्रों से कहा कि माध्यमिक और प्लस टू शिक्षा टर्निग प्वाइंट होती है. विषय पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. सिर्फ अंक हासिल करने को लेकर पढ़ाई नहीं होनी चाहिए. पढ़ाई ऐसी हो कि वह जीवन भर काम आए. हमें अपने स्तर से भी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करनी चाहिए. समूह चर्चा से काफी फायदा मिलता है. इससे हम काफी कुछ सीख पाते हैं.
बच्चों ने दिया बेझिझक जवाब
उन्होंने कहा कि शिक्षकों की बताई गई बातों को ध्यान देना चाहिए. एसडीपीओ विकास चंद्र श्रीवास्तव ने विद्यार्थियों को कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी. उधर जब विद्यार्थियों से एसडीपीओ साहब के पढ़ाने के तौर-तरीकों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बेझिझक होकर कहा कि, इनके पढ़ाने का तरीका स्कूल के मौजूदा शिक्षकों से कहीं बेहतर है. कुछ भी अलग से याद करने की जरुरत नहीं है.