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सरस्वती पूजा से मूर्तिकारों को उम्मीद, कोरोना ने कर दी है आर्थिक स्थिति खराब - मां सरस्वती की प्रतिमा तैयार

देवघर में पुश्तैनी कारोबार से जुड़े सैकड़ों मूर्तिकार बीते दो महीनों से पूरे परिवार संग दिन रात मेहनत कर मां सरस्वती की प्रतिमा बना रहे हैं, ताकि आर्थिक स्थिति में सुधार हो. कोरोना काल के दौरान हुए लॉकडाउन की वजह से सभी मूर्तिकारों की स्थिति भुखमरी के कगार पर पहुंच गई थी, लेकिन इस साल मूर्तिकार काफी संख्या में सरस्वती मां की प्रतिमा तैयार कर रहे हैं.

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सरस्वती पूजा से मूर्तिकारों को उम्मीद
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Published : Jan 27, 2021, 7:43 PM IST

Updated : Feb 2, 2021, 10:39 PM IST

देवघर: कोरोना महामारी के दौरान हुए लॉकडाउन की वजह से देश भर में सभी उत्सवों पर विराम लग गया था. सरकार और प्रशासन की ओर से लोगों से अपने घरों में रहकर ही त्योहार मनाने की अपील की जा रही थी. ऐसे में पुश्तैनी कारोबार चला रहे जिले के मूर्तिकारों की स्थिति दयनीय हो चुकी है. नए साल में लोगों को नई उम्मीदें दिख रही हैं. ऐसे में देवघर के मूर्तिकार मां सरस्वती की प्रतिमा बेचकर मुनाफा कमाने की आस लगा रहे हैं. इसे लेकर पूरा परिवार दिन रात मेहनत भी कर रहा है.

देखें स्पेशल खबर

आर्थिक स्थिति में सुधार के आसार

देवघर में पुश्तैनी कारोबार से जुड़े सैकड़ों मूर्तिकार बीते दो महीनों से पूरे परिवार संग दिन रात मेहनत कर मां सरस्वती की प्रतिमा बना रहे हैं, ताकि आर्थिक स्थिति में सुधार लाया जा सके. कोरोना काल के दौरान हुए लॉकडाउन की वजह से सभी मूर्तिकार भुखमरी की कगार पर पहुंच गए थे, लेकिन इस साल मूर्तिकार काफी संख्या में सरस्वती मां की प्रतिमा तैयार कर रहे हैं और यह उम्मीद जताई जा रही है कि इस साल उन्हें अच्छी आमदनी होगी. इसी आस में मूर्तिकार का पूरा परिवार मिलकर दिन रात मेहनत कर रहा है.

ये भी पढ़ें-भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का सरकार पर हमला, बोले-सरकार के इशारे पर किए जा रहे जमीन पर कब्जे

सरस्वती पूजा से जगी है उम्मीद

देवघर के मूर्तिकार बताते हैं कि कोरोना काल के बाद मूर्ति बनाने में लगने वाले रंग, बांस, रस्सी, पुआल और मिट्टी भी खरीदना पड़ा है. ऐसे में सभी वस्तुओं की बाजार में कीमत बढ़ी हुई है और उस हिसाब से लोग मूर्तियों का दाम नहीं देना चाहते हैं. इसके बावजूद उनका पूरा परिवार इस पुश्तैनी व्यवसाय को बचाये रखने में जुटा हुआ है. इस दफे उन्हें सरस्वती पूजा से काफी उम्मीद है. कुछ कम ही आमदनी हो, लेकिन आस जरूर है. ऐसे में खरीदारों को इस दफे जेब पर थोड़ा बोझ जरूर आएगा.

काफी प्रचलित हैं देवघर की मूर्ति

देवघर के मूर्तिकारों की ओर से बनाये गए प्रतिमा पड़ोसी राज्य से लेकर स्थानीय लोगों में काफी प्रचलित हैं. इस दफे 3 सौ से लेकर 2 हजार तक की प्रतिमाएं तैयार की जा रही हैं. अब मूर्तिकारों को आस है कि लोग कोरोना के बाद मूर्ति खरीदने में कितनी दिलचस्पी दिखाएंगे, ताकि मूर्तिकारों का जीवन यापन हो सके.

देवघर: कोरोना महामारी के दौरान हुए लॉकडाउन की वजह से देश भर में सभी उत्सवों पर विराम लग गया था. सरकार और प्रशासन की ओर से लोगों से अपने घरों में रहकर ही त्योहार मनाने की अपील की जा रही थी. ऐसे में पुश्तैनी कारोबार चला रहे जिले के मूर्तिकारों की स्थिति दयनीय हो चुकी है. नए साल में लोगों को नई उम्मीदें दिख रही हैं. ऐसे में देवघर के मूर्तिकार मां सरस्वती की प्रतिमा बेचकर मुनाफा कमाने की आस लगा रहे हैं. इसे लेकर पूरा परिवार दिन रात मेहनत भी कर रहा है.

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आर्थिक स्थिति में सुधार के आसार

देवघर में पुश्तैनी कारोबार से जुड़े सैकड़ों मूर्तिकार बीते दो महीनों से पूरे परिवार संग दिन रात मेहनत कर मां सरस्वती की प्रतिमा बना रहे हैं, ताकि आर्थिक स्थिति में सुधार लाया जा सके. कोरोना काल के दौरान हुए लॉकडाउन की वजह से सभी मूर्तिकार भुखमरी की कगार पर पहुंच गए थे, लेकिन इस साल मूर्तिकार काफी संख्या में सरस्वती मां की प्रतिमा तैयार कर रहे हैं और यह उम्मीद जताई जा रही है कि इस साल उन्हें अच्छी आमदनी होगी. इसी आस में मूर्तिकार का पूरा परिवार मिलकर दिन रात मेहनत कर रहा है.

ये भी पढ़ें-भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का सरकार पर हमला, बोले-सरकार के इशारे पर किए जा रहे जमीन पर कब्जे

सरस्वती पूजा से जगी है उम्मीद

देवघर के मूर्तिकार बताते हैं कि कोरोना काल के बाद मूर्ति बनाने में लगने वाले रंग, बांस, रस्सी, पुआल और मिट्टी भी खरीदना पड़ा है. ऐसे में सभी वस्तुओं की बाजार में कीमत बढ़ी हुई है और उस हिसाब से लोग मूर्तियों का दाम नहीं देना चाहते हैं. इसके बावजूद उनका पूरा परिवार इस पुश्तैनी व्यवसाय को बचाये रखने में जुटा हुआ है. इस दफे उन्हें सरस्वती पूजा से काफी उम्मीद है. कुछ कम ही आमदनी हो, लेकिन आस जरूर है. ऐसे में खरीदारों को इस दफे जेब पर थोड़ा बोझ जरूर आएगा.

काफी प्रचलित हैं देवघर की मूर्ति

देवघर के मूर्तिकारों की ओर से बनाये गए प्रतिमा पड़ोसी राज्य से लेकर स्थानीय लोगों में काफी प्रचलित हैं. इस दफे 3 सौ से लेकर 2 हजार तक की प्रतिमाएं तैयार की जा रही हैं. अब मूर्तिकारों को आस है कि लोग कोरोना के बाद मूर्ति खरीदने में कितनी दिलचस्पी दिखाएंगे, ताकि मूर्तिकारों का जीवन यापन हो सके.

Last Updated : Feb 2, 2021, 10:39 PM IST
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