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ठंड बढ़ने के साथ ही देवघर के जलाशय विदेशी मेहमानों से गुलजार, वन विभाग पर्यटन के रूप में विकसित करने की बना रहा योजना - झारखंड न्यूज

इन दिनों देवघर के ताल-तलैये विदेशी मेहमानों से गुलजार (Reservoir Of Deoghar Buzzes With Foreign Birds) हैं. तालाबों और डैम में साइबेरियन पक्षियों के कलरव गूंज रहे हैं, जो पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर रहे हैं. वहीं वन विभाग अब इन तालाबों और जलाशयों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बना रहा है.

Reservoir Of Deoghar Buzzes With Foreign Birds
Flock Of Foreign Birds In Deoghar Reservoir
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Published : Jan 4, 2023, 2:18 PM IST

देवघर: ठंड बढ़ने के साथ ही देवघर इन दिनों प्रवासी पक्षियों का झुंड यहां के तालाबों और डैम को अपना आशियाना बनाने के लिए पहुंचने (Flock Of Migratory Birds Reached Deoghar)लगे हैं. देवघर का सिकटिया बराज और पुनासी डैम इन दिनों प्रवासी पक्षियों के कलरव से गूंज रहे हैं. आने वाले समय में वन विभाग पर्यटन विभाग के साथ मिलकर इन तालाबों को विकसित कर पर्यटक स्थल बनाने की योजना बना रहा है. बताते चलें कि प्रत्येक वर्ष सर्दी के मौसम की आहट के साथ ही ये प्रवासी पक्षी मध्य एशिया, यूरोप, अमेरिका, न्यूजीलैंड, अफ्रीका के देशों से हजारों मील की दूरी तय कर यहां पहुंचते हैं. सर्दी बढ़ने के साथ ही देवघर के दर्जनों तालाब इन खूबसूरत रंग-बिरंगी विदेशी मेहमानों से भर जाते हैं. पानी में ये वदेशी मेहमान अठखेलियां कर पर्यटकों को रोमांचित कर रहे हैं.

ये भी पढे़ं-ठंड के साथ देवघर पहुंचने लगे प्रवासी पक्षी, डैम की बढ़ी खूबसूरती

सात समंदर पार से आते हैं विदेशी मेहमानः साइबेरियन पक्षी बत्तख के टडोरना वंश की एक प्रजाति (Siberian Birds Are Species Of Duck in Genus Tadorn) हैं. जो यूरोप और एशिया के उत्तरी भाग में पाए जाते हैं. इनके बारे में कहा जाता है कि सूर्योदय से सूर्यास्त तक यह जोड़े में रहते हैं. जैसे ही सूर्यास्त होता है, यह अलग-अलग हो जाते हैं. बता दें की आम बोलचाल में इन पक्षियों को चकवा-चकवी कहा जाता है. महान कवि और संत ने भी अपने दोहे "सांझ पड़े बितबै, चकवी दीन्ही रोए, चल चकवा व देश को जहां रैन नहीं होए" में इसका वर्णन किया है. देवघर में प्रकृति का यह अद्भुत नजारा पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है.

वन विभाग करा रहा पक्षियों की निगरानीः वहीं इसे लेकर वन विभाग ने उक्त स्थानों को विकसित करने का निर्णय लिया (Forest Department Decided To Develop Reservoirs) है. पर्यटन विभाग से मिलकर सर्दी के मौसम में प्रवासी पक्षियों के निवास स्थान और आसपास बुनियादी सुविधाएं विकसित करने और मनोरंजन के साधन उपलब्ध करने की योजना बना रहा है. साथ ही जिन संभावित स्थानों पर प्रवासी पक्षी निवास कर रहे हैं फिलहाल वहां वनपाल से निगरानी कराई जा रही है. डीएफओ के अनुसार प्रवासी पक्षियों का कोई शिकार न कर सके इसके लिए भी कई आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं.

तालाबों और डैम को विकसित करने की योजना बना रहा वन विभागः देवघर की पहचान एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल के साथ मनोरम पर्यटन स्थल के रूप में भी है. खास कर सर्दी के मौसम में बड़ी संख्या में दूसरे प्रदेशों से पर्यटक यहां के पर्यटन स्थल के भ्रमण के लिए पहुंचते हैं. ऐसे में विदेशी रंग-बिरंगी पक्षियों से भरे तालाब, नदियां पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सकते (Pond Are Full Of Exotic Colorful Birds)हैं. पर्यटन के लिहाज से इन तालाबों, डैम और नदियों को विकसित करने से यहां सैकड़ों स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सकता है.

देवघर: ठंड बढ़ने के साथ ही देवघर इन दिनों प्रवासी पक्षियों का झुंड यहां के तालाबों और डैम को अपना आशियाना बनाने के लिए पहुंचने (Flock Of Migratory Birds Reached Deoghar)लगे हैं. देवघर का सिकटिया बराज और पुनासी डैम इन दिनों प्रवासी पक्षियों के कलरव से गूंज रहे हैं. आने वाले समय में वन विभाग पर्यटन विभाग के साथ मिलकर इन तालाबों को विकसित कर पर्यटक स्थल बनाने की योजना बना रहा है. बताते चलें कि प्रत्येक वर्ष सर्दी के मौसम की आहट के साथ ही ये प्रवासी पक्षी मध्य एशिया, यूरोप, अमेरिका, न्यूजीलैंड, अफ्रीका के देशों से हजारों मील की दूरी तय कर यहां पहुंचते हैं. सर्दी बढ़ने के साथ ही देवघर के दर्जनों तालाब इन खूबसूरत रंग-बिरंगी विदेशी मेहमानों से भर जाते हैं. पानी में ये वदेशी मेहमान अठखेलियां कर पर्यटकों को रोमांचित कर रहे हैं.

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सात समंदर पार से आते हैं विदेशी मेहमानः साइबेरियन पक्षी बत्तख के टडोरना वंश की एक प्रजाति (Siberian Birds Are Species Of Duck in Genus Tadorn) हैं. जो यूरोप और एशिया के उत्तरी भाग में पाए जाते हैं. इनके बारे में कहा जाता है कि सूर्योदय से सूर्यास्त तक यह जोड़े में रहते हैं. जैसे ही सूर्यास्त होता है, यह अलग-अलग हो जाते हैं. बता दें की आम बोलचाल में इन पक्षियों को चकवा-चकवी कहा जाता है. महान कवि और संत ने भी अपने दोहे "सांझ पड़े बितबै, चकवी दीन्ही रोए, चल चकवा व देश को जहां रैन नहीं होए" में इसका वर्णन किया है. देवघर में प्रकृति का यह अद्भुत नजारा पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है.

वन विभाग करा रहा पक्षियों की निगरानीः वहीं इसे लेकर वन विभाग ने उक्त स्थानों को विकसित करने का निर्णय लिया (Forest Department Decided To Develop Reservoirs) है. पर्यटन विभाग से मिलकर सर्दी के मौसम में प्रवासी पक्षियों के निवास स्थान और आसपास बुनियादी सुविधाएं विकसित करने और मनोरंजन के साधन उपलब्ध करने की योजना बना रहा है. साथ ही जिन संभावित स्थानों पर प्रवासी पक्षी निवास कर रहे हैं फिलहाल वहां वनपाल से निगरानी कराई जा रही है. डीएफओ के अनुसार प्रवासी पक्षियों का कोई शिकार न कर सके इसके लिए भी कई आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं.

तालाबों और डैम को विकसित करने की योजना बना रहा वन विभागः देवघर की पहचान एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल के साथ मनोरम पर्यटन स्थल के रूप में भी है. खास कर सर्दी के मौसम में बड़ी संख्या में दूसरे प्रदेशों से पर्यटक यहां के पर्यटन स्थल के भ्रमण के लिए पहुंचते हैं. ऐसे में विदेशी रंग-बिरंगी पक्षियों से भरे तालाब, नदियां पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सकते (Pond Are Full Of Exotic Colorful Birds)हैं. पर्यटन के लिहाज से इन तालाबों, डैम और नदियों को विकसित करने से यहां सैकड़ों स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सकता है.

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