देवघर: वैसे तो देश के सभी जगहों में रावण दहन कर विजयादशमी धूमधाम से मनायी जाती है. कुछ जगह ऐसे भी हैं जहां रावण दहन नहीं किया जाता है, बल्कि उनकी पूजा की जाती है. बाबानगरी देवघर में वेद शास्त्र के जानकारों की मानें तो रावण में सिर्फ बुराई नहीं थी, बल्कि वह एक सात्विक गुणों वाला महाज्ञानी और आस्थावान पंडित भी था.
बैद्यनाथधाम में रावण का पुतला नहीं जलाया जाता. जानकार बताते हैं कि रावण की पहचान दो रूपों में की जाती है. एक तो राक्षसपति दशानन रावण और दूसरा वेद पुराणों का ज्ञाता, प्रकांड पंडित और विद्वान. इतना ही नहीं देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ के पवित्र लिंग की स्थापना भी रावण ने ही की है, इसलिए बैद्यनाथधाम को रावणेश्वर लिंग भी कहा जाता है.
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आपको बता दें, कि उत्तर प्रदेश में गौतम बुध नगर के बिसाहड़ा गांव में भी रावण दहन नहीं किया जाता है. मान्यता के अनुसार वहां रावण का ननिहाल है.