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देवघरः तपोभूमि में 'महाज्ञानी दशानन' की होती है पूजा, यहां नहीं होता रावण का दहन

विजयादशमी के दिन देश के कई हिस्सों में रावण का दहन किया जाता है, लेकिन देवघर में लोग रावण को नहीं जलाते हैं. देवघर में शिवलिंग की स्थापना रावण ने ही की थी. इसलिए यहां रावण का पुतला नहीं जलाया जाता है.

देवघर में नहीं होता है रावण दहन
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Published : Oct 8, 2019, 3:23 PM IST

देवघर: वैसे तो देश के सभी जगहों में रावण दहन कर विजयादशमी धूमधाम से मनायी जाती है. कुछ जगह ऐसे भी हैं जहां रावण दहन नहीं किया जाता है, बल्कि उनकी पूजा की जाती है. बाबानगरी देवघर में वेद शास्त्र के जानकारों की मानें तो रावण में सिर्फ बुराई नहीं थी, बल्कि वह एक सात्विक गुणों वाला महाज्ञानी और आस्थावान पंडित भी था.

देखें पूरी खबर

बैद्यनाथधाम में रावण का पुतला नहीं जलाया जाता. जानकार बताते हैं कि रावण की पहचान दो रूपों में की जाती है. एक तो राक्षसपति दशानन रावण और दूसरा वेद पुराणों का ज्ञाता, प्रकांड पंडित और विद्वान. इतना ही नहीं देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ के पवित्र लिंग की स्थापना भी रावण ने ही की है, इसलिए बैद्यनाथधाम को रावणेश्वर लिंग भी कहा जाता है.

इसे भी पढ़ें:- रोहिणी के दुर्गा मंडप में उल्टी दिशा में विराजमान है गजोधर, जानिए पूरी कहानी

आपको बता दें, कि उत्तर प्रदेश में गौतम बुध नगर के बिसाहड़ा गांव में भी रावण दहन नहीं किया जाता है. मान्यता के अनुसार वहां रावण का ननिहाल है.

देवघर: वैसे तो देश के सभी जगहों में रावण दहन कर विजयादशमी धूमधाम से मनायी जाती है. कुछ जगह ऐसे भी हैं जहां रावण दहन नहीं किया जाता है, बल्कि उनकी पूजा की जाती है. बाबानगरी देवघर में वेद शास्त्र के जानकारों की मानें तो रावण में सिर्फ बुराई नहीं थी, बल्कि वह एक सात्विक गुणों वाला महाज्ञानी और आस्थावान पंडित भी था.

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बैद्यनाथधाम में रावण का पुतला नहीं जलाया जाता. जानकार बताते हैं कि रावण की पहचान दो रूपों में की जाती है. एक तो राक्षसपति दशानन रावण और दूसरा वेद पुराणों का ज्ञाता, प्रकांड पंडित और विद्वान. इतना ही नहीं देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ के पवित्र लिंग की स्थापना भी रावण ने ही की है, इसलिए बैद्यनाथधाम को रावणेश्वर लिंग भी कहा जाता है.

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आपको बता दें, कि उत्तर प्रदेश में गौतम बुध नगर के बिसाहड़ा गांव में भी रावण दहन नहीं किया जाता है. मान्यता के अनुसार वहां रावण का ननिहाल है.

Intro:देवघर तपोभूमि में 'महाज्ञानी दशानन' की होती है पूजा,यहाँ नही होता रावण का दहन।


Body:एंकर देवघर वैसे तो देश के तमाम हिस्सों में रावण दहन कर विजयादशमी का पर्व धूम-धाम से मनाया जाता है। लेकिन कुछ जगह ऐसी भी है जहां रावण का दहन नहीं बल्कि उनकी पूजा की जाती है जी हां ऐसे ही मान्यता है बाबा धाम यानी देवघर में वेद शास्त्र के जानकारों की माने तो रावण में सिर्फ बुराई नहीं थी बल्कि वह एक सात्विक गुणों वाला महाज्ञानी और आस्थावान पंडित भी था। लिहाजा बैद्यनाथधाम में रावण का पुतला नहीं जलाया जाता। जानकार बताते हैं कि रावण की पहचान दो रूपों में की जाती है एक तो राक्षस पति दशानन रावण और दूसरा वेद पुराणों का ज्ञाता प्रकांड पंडित और विद्वान इतना ही नहीं देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ के पवित्र लिंग की स्थापना भी रावण ने ही की थी इसलिए बैद्यनाथधाम को रावणेश्वर लिंग भी कहा जाता है।


Conclusion:बहरहाल, आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में गौतम बुध नगर के बिसाहड़ा गांव में भी रावण दहन नहीं किया जाता मान्यता के मुताबिक दशहरा में रावण का ननिहाल माना जाता है।

बाइट दुर्लभ मिश्र,तीर्थ पुरोहित बाबा मंदिर।
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