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क्रिसमस सेलिब्रेशन का अनोखा है इनका अंदाज, डाक टिकटों के माध्यम से प्रभु यीशु से लोगों को करा रहे हैं रूबरू - rajat mukherjee of deoghar

देवघर के डाक संग्राहक रजत मुखर्जी बड़े ही अनोखे अंदाज में हर साल क्रिसमस मनाते हैं. इस बार उन्होंने डाक टिकटों के माध्यम से लोगों को प्रभु यीशु की जीवन गाथा से रूबरू कराया है, जो सभी जगह चर्चा का विषय बन गया है.

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रजत मुखर्जी
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Published : Dec 25, 2019, 3:37 PM IST

देवघर: क्रिसमस की धूम यूं तो सभी जगह रहती है. लोग तरह-तरह से इस दिन को सेलीब्रेट करते हैं. कहते हैं कि प्रभु यीशु के जीवन का संदेश था आपसी भाईचारा और सौहार्द्र. प्रभु यीशु के इसी संदेश को अपने जीवन में उतारा है, देवघर के रहने वाले रजत मुखर्जी ने. बंगाली परिवार से ताल्लुक रखने वाले रजत मुखर्जी का ईसा मसीह से इतना गहरा संबंध है कि वे कभी भी क्रिसमस और इस्टर मनाना नहीं भूलते. इतना ही नहीं इस दिन आपसी एकता का परिचय देते हुए अपने घर पर ही सभी धर्म-जाति के लोगों के साथ मिलकर बड़े ही धूमधाम से यीशु को याद करते हैं.

देखें यह स्पेशल खबर


अनोखा है क्रिसमस मनाने का तरीका
रजत मुखर्जी के क्रिसमस मनाने का तरीका भी खास है. डाक संग्राहक रजत मुखर्जी ने यीशु के संदेश को जिस तरह जीवन में उतारा है, वे चाहते हैं कि दूसरे लोग भी इसे अपनाए. नई पीढ़ी तक मसीह के संदेश पहुंचे. यही कारण है कि वे डाक टिकटों के माध्यम से लोगों को प्रभु के जीवन की बानगी दिखा रहे हैं. डाक संग्राहक रजत मुखर्जी ने 200 से अधिक डाक टिकटों के माध्यम से अपने घर को बड़ी ही बेहतरीन कलाकृति के साथ सजाया है. उनकी यह अनोखी पहल जहां लोगों को आकर्षित कर रही है, वहीं वे सभी के लिए चर्चा का विषय भी बन गए हैं.

ये भी पढ़ें: झारखंड के देवघर में हुआ था गांधी जी का जबरदस्त विरोध, कारण जानकर दंग रह जाएंगे


2 लाख से भी अधिक हैं डाक टिकट
उनकी इस पहल को देखकर स्थानीय लोगों का कहना है कि हर साल कुछ अलग करके वे लोगों को अचंभित कर देते हैं. उनकी इस पहल में जहां बहुत बड़ा संदेश छुपा होता है वहीं लोगों को काफी कुछ सीखने-समझने का मौका भी मिलता है. बता दें कि रजत मुखर्जी के पास 1 लाख से भी अधिक डाक टिकट हैं. इन लाखों डाक टिकटों के माध्यम से वे हमेशा कुछ न कुछ अनोखी और अलग पहल करते रहते हैं. उनके पास 15 से भी अधिक विभिन्न देशों के डाक टिकट हैं.


सरकारी सहयोग की अपेक्षा
रजत मुखर्जी चाहते हैं कि सरकार अगर उन्हें थोड़ी आर्थिक सहायता मुहैया कराए या एक डाक टिकट संग्रहालय खोल दे तो उनके जीवन का उद्देश्य पूरा हो जाएगा. उनका कहना है कि देवघर में इस तरह का संग्रहालय न केवल आय का बेहतर स्त्रोत बन सकता था बल्कि पर्यटकों को भी अपनी ओर आकर्षित करता. वे चाहते हैं कि उनके मृत्यु के पश्चात भी इतने करीने से संजोए गए ये डाक टिकट संरक्षित रहे, यही कारण है कि वे प्रशासन से समय-समय पर एक संग्रहालय बनाने की मांग उठाते रहते हैं.

ये भी पढ़ें: देवघर की बेटी ने अमेरिका में बजाया डंका, उदीप्तिका की फिल्म का इंटरनेशनल सेमीफाइनल में हुआ सेलेक्शन


आम लोगों का मिलता है सहयोग
उनकी लगातार उठ रही आवाज के बीच भी अभी तक रजत मुखर्जी को सरकारी सहयोग नहीं मिला है लेकिन स्थानीय लोगों से मिल रहे सहयोग से वे उत्साहित हैं और अपनी उम्मीद को जिंदा रखे हुए हैं. अगर उन्हें सरकारी सहयोग मिल जाता तो शायद वे और बेहतर तरीके से लोगों को इतिहास और वर्तमान से परिचय करा पाते. यूं भी किसी खास अवसर पर लोग उस अवसर को बेहतर तरीके से जान सके इससे अच्छा और हो ही क्या सकता है.

देवघर: क्रिसमस की धूम यूं तो सभी जगह रहती है. लोग तरह-तरह से इस दिन को सेलीब्रेट करते हैं. कहते हैं कि प्रभु यीशु के जीवन का संदेश था आपसी भाईचारा और सौहार्द्र. प्रभु यीशु के इसी संदेश को अपने जीवन में उतारा है, देवघर के रहने वाले रजत मुखर्जी ने. बंगाली परिवार से ताल्लुक रखने वाले रजत मुखर्जी का ईसा मसीह से इतना गहरा संबंध है कि वे कभी भी क्रिसमस और इस्टर मनाना नहीं भूलते. इतना ही नहीं इस दिन आपसी एकता का परिचय देते हुए अपने घर पर ही सभी धर्म-जाति के लोगों के साथ मिलकर बड़े ही धूमधाम से यीशु को याद करते हैं.

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अनोखा है क्रिसमस मनाने का तरीका
रजत मुखर्जी के क्रिसमस मनाने का तरीका भी खास है. डाक संग्राहक रजत मुखर्जी ने यीशु के संदेश को जिस तरह जीवन में उतारा है, वे चाहते हैं कि दूसरे लोग भी इसे अपनाए. नई पीढ़ी तक मसीह के संदेश पहुंचे. यही कारण है कि वे डाक टिकटों के माध्यम से लोगों को प्रभु के जीवन की बानगी दिखा रहे हैं. डाक संग्राहक रजत मुखर्जी ने 200 से अधिक डाक टिकटों के माध्यम से अपने घर को बड़ी ही बेहतरीन कलाकृति के साथ सजाया है. उनकी यह अनोखी पहल जहां लोगों को आकर्षित कर रही है, वहीं वे सभी के लिए चर्चा का विषय भी बन गए हैं.

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2 लाख से भी अधिक हैं डाक टिकट
उनकी इस पहल को देखकर स्थानीय लोगों का कहना है कि हर साल कुछ अलग करके वे लोगों को अचंभित कर देते हैं. उनकी इस पहल में जहां बहुत बड़ा संदेश छुपा होता है वहीं लोगों को काफी कुछ सीखने-समझने का मौका भी मिलता है. बता दें कि रजत मुखर्जी के पास 1 लाख से भी अधिक डाक टिकट हैं. इन लाखों डाक टिकटों के माध्यम से वे हमेशा कुछ न कुछ अनोखी और अलग पहल करते रहते हैं. उनके पास 15 से भी अधिक विभिन्न देशों के डाक टिकट हैं.


सरकारी सहयोग की अपेक्षा
रजत मुखर्जी चाहते हैं कि सरकार अगर उन्हें थोड़ी आर्थिक सहायता मुहैया कराए या एक डाक टिकट संग्रहालय खोल दे तो उनके जीवन का उद्देश्य पूरा हो जाएगा. उनका कहना है कि देवघर में इस तरह का संग्रहालय न केवल आय का बेहतर स्त्रोत बन सकता था बल्कि पर्यटकों को भी अपनी ओर आकर्षित करता. वे चाहते हैं कि उनके मृत्यु के पश्चात भी इतने करीने से संजोए गए ये डाक टिकट संरक्षित रहे, यही कारण है कि वे प्रशासन से समय-समय पर एक संग्रहालय बनाने की मांग उठाते रहते हैं.

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आम लोगों का मिलता है सहयोग
उनकी लगातार उठ रही आवाज के बीच भी अभी तक रजत मुखर्जी को सरकारी सहयोग नहीं मिला है लेकिन स्थानीय लोगों से मिल रहे सहयोग से वे उत्साहित हैं और अपनी उम्मीद को जिंदा रखे हुए हैं. अगर उन्हें सरकारी सहयोग मिल जाता तो शायद वे और बेहतर तरीके से लोगों को इतिहास और वर्तमान से परिचय करा पाते. यूं भी किसी खास अवसर पर लोग उस अवसर को बेहतर तरीके से जान सके इससे अच्छा और हो ही क्या सकता है.

Intro:देवघर कई वर्षों से अनोखे अंदाज में मना रहे है x-mas, डाकटिकटों का अनोखा संग्रह।


Body:एंकर देवघर क्रिसमस हर तरफ बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती रही है। वहीं एक बंगाली परिवार डाक टिकट के जरिए प्रभु यीशु की पूरी जीवनी बताकर क्रिसमस मनाता रहा है। इस कलाकारी को देखकर बच्चे तो बच्चे बड़े भी क्रिसमस का एक अनोखा तोहफा बता रहे हैं। रजत मुखर्जी के पास प्रभु यीशु की जीवनी से जुड़ी जन्म से लेकर अंत तक की कथा डाक टिकट में माध्यम से दिखाई गई है। इनके पास एक लाख से भी ज्यादा दुर्लभ डाक टिकट है जो लोगों को आकर्षित कर रहा है और रजत मुखर्जी डाक टिकट के माध्यम से लोगों तक यीशु के संदेश पहुंचा रहे हैं। आज चारों तरफ क्रिसमस की धूम है और तैयारी जोरों पर है। वही एक बंगाली परिवार क्रिसमस पर अनोखे अंदाज में मना रही है। रजत मुखर्जी जो कि एक डाक टिकट संग्राहक हैं और इनके पास तकरीबन एक लाख देसी विदेशी डाक टिकट है। जिसके जरिए इन्होंने और इनके पास लगभग 15 देशों की डाक टिकट ओर प्रभु यीशु से जुड़ी लगभग स्वकड़ो डाक टिकट है। इसका एक चार्ट बनाया और जिससे लोगो को एक संदेश देने और जानने का मौका मिल सके जहाँ जन्म से लेकर मरन तक की एकता की एक कार्यशैली दर्शाया गया है। रजत मुखर्जी प्रभु यीशु के लिए कैंडल जलाते हैं आस-पड़ोस के लोग इसमें हिस्सा लेते हैं और यीशु की कथा भी सुनते हैं रजत मुखर्जी को बचपन से ही डाक टिकट का संग्रह करते है और हर पर्व त्यौहार के इनके पास दुर्लभ टिकट मौजूद है जिनके जरिए यह भाईचारे का संदेश पहुंचा रहे हैं प्रभु यीशु ने कहा था कि अच्छा चरवाहा मैं ही हूं लिहाजा रजत ने खूब समझा और इसे अपनी कलाकारी के माध्यम से भी दिखाने की कोशिश की वहीं पड़ोसी भी मानते हैं। कि इनकी यह कोशिश काफी सराहनीय है यह बंगाली परिवार से होने के बावजूद जिस खूबसूरती से प्रभु यीशु की जीवनी को डाक टिकट के माध्यम से लोगों के बीच रखा है इसे लोगों को प्रभु यीशु को जानने का मौका मिलेगा और यह जिला प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि इनकी इस कलाकृति को एक संग्रहालय बनाकर इसे संजोकर रखने की दिशा में पहल करनी चाहिए।


Conclusion:बहरहाल, इस क्रिसमस में रजत जी की यह अनोखी कोशिश क्रिसमस का सबसे बड़ा तोहफा समझा जा सकता है और यीशु को जानने का इससे अच्छा गिफ्ट और क्या हो सकता है।

बाइट रजत मुखर्जी,रिटायर्ड टिकट संग्राहक।
बाइट बजरंग कुमार,स्थानीय।
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