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नववर्ष मनाने देवघर के त्रिकुट पर्वत पहुंचने लगे सैलानी, रोपवे का उठा रहे खूब आनंद

देवघर का त्रिकुट पर्वत पूरे विश्व में धार्मिक स्थल के तौर पर प्रसिद्ध है. इस पर्वत पर नववर्ष में भारी संख्या में सैलानी घूमने आते है. त्रिकुट पर्वत में रावण और माता सीता से जुड़ी कई चीजें उपल्बध है. साथ ही रोमांच के लिए एशिया का सबसे बड़ा रोपवे विष्णु चोटी ले जाती है. जिसकी ऊंचाई 1,282 फीट है, जबकि रोपवे की लंबाई 2,512 फीट है. इस पूरी पर्वत की कहानी त्रेता काल से जुड़ी हुई है. इसके शिखर के बारे में कहा जाता है कि इस पर रावण और जटायू के बीच युद्ध हुआ था.

large number of tourists started reaching the Trikut mountain of Deoghar
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Published : Dec 27, 2019, 9:24 PM IST

देवघर: अगर आपको रहस्य और रोमांच का सफर तय करना हो तो देवघर के त्रिकुट पहाड़ से अच्छी जगह हो ही नहीं सकती. एशिया की सबसे ऊंची रोपवे पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है. साथ ही यह जगह अनेक धार्मिक कथाओं से परिपूर्ण है.

देखें पूरी खबर

रावण का हेलीपेड

यहां रावण का हेलीपेड है, विश्व का सबसे बड़ा शालिग्राम पत्थर है, सीता का दिया है. रावण द्वारा स्थापित एक शिवलिंग है. साथ ही रावण की कई ऐसी गुफाएं है, जो इतिहास में वर्णित कथाओं को प्रमाणित करती है और बंदर यहां की शोभा है जो तकरीबन दो हजार की संख्या में हैं, जो त्रिकुट के जंगल मे चार चांद लगते हैं, कहा जाता है कि देवघर के कण कण में देवों का वाश है.

संवाददाता ने सैलानियों से की बात

देवघर स्थित जितने भी धार्मिक स्थल हैं उसकी प्रमाणिकता भी मौजूद है. देवघर से महज 20 किलोमीटर दूर हरि भरी वादियों में स्थित है, तीन चोटियों वाली त्रिकुट पर्वत. इसकी तीनों चोटी में सबसे ऊंची चोटी है विष्णु चोटी जिसकी उचाई 1,282 फीट है, जबकि रोपवे की लंबाई 2,512 फीट है. इस पूरी पर्वत की कहानी त्रेता काल से जुड़ी हुई है. इसके शिखर के बारे में कहा जाता है कि इस पर रावण और जटायू के बीच युद्ध हुआ था.

large number of tourists started reaching the Trikut mountain of Deoghar
जगह-जगह देखने को मिलेंगे बंदर

ये भी देखें- राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में मांदर की थाप पर जमकर नाचे राहुल गांधी

जब रावण सीता को हरण कर लंका ले जा रहा था इस चोटी पर एक बड़ा सा चट्टान है. जिसको रावण का हेलिपैड के रूप में जाना जाता है. यहां एक दिप भी है जो पत्थरों में है. संभवतः इसका इस्तेमाल रोशनी के लिए होता रहा होगा. इसकी आज पूजा होती है. इस दिप को सीता दिप के नाम से जाना जाता है. यहां के बारे में यह भी कहा जाता है कि यहां रावण प्रतिदिन पुष्पक विमान से आकर तपस्या करता था. यहां ऐसी ऐसी गुफाएं है, जिसका पता भी नहीं चलता है और इसके बीच में बैठकर रावण तपस्या करता था.

large number of tourists started reaching the Trikut mountain of Deoghar
रोपवे में बैठते सैलानी

ये भी देखें- 'रिवर्स वेंडिंग मशीन' के जरिये शहर को प्लास्टिक मुक्त बनाने की तैयारी, रांची नगर निगम को मिल रही है मदद

रोमांच से भरा शालिग्राम पत्थर

इस पहाड़ चोटी पर एक बड़ा पत्थर है, जिसे विष्णु टॉप कहते है. यह विश्व का सबसे बड़ा शालिग्राम पत्थर है और ये दो कोन पर टिका है. इसके बीच 14 इंच का ही जगह है लेकिन इसके बीच से कितना भी मोटा आदमी क्यों न हो पार हो जाता है. इसलिए कठिन रास्ते से गुजरते हुए भक्त यहां पहुचते है, जिसे नवग्रह पत्थर भी कहते है.

बहरहाल, त्रिकुट पर्वत में आखिर इन दुर्लभ चीजों को आप कैसे देख सकते है, तो आपको इसी ऊंची चोटी पर ले जाने के लिए रोपवे है जिसकी लंबाई 2,512 फीट है और ये एशिया का सबसे ऊंचा रोपवे है. इसमे कुल 26 ट्रालियां है और ये आपको 8 मिनट में रोमांच का सफर तय कराते है, ये ट्रॉलियां बिल्कुल सेफ है.

इस ट्रॉली से आप इस बिहंगम दृश्य का आनंद ले सकते हैं. इसके लिए आपको महज 130 रुपये देने होंगे, ताकि यहां आने वाले पर्यटक इस रोमांच के सफर का खूब आनंद ले सके और अपने सारे गम भूल जाते है. कुल मिलाकर यह सफर इतिहास से वाकिफ करती ही है साथ ही आपको एडवेंचर से भी रुबरु करता है.

ये भी देखें- चतरा: ठिठुरन में कटेगी गरीबों की रात, वार्ड पार्षदों ने कंबल वितरण से किया इंकार

त्रिकुट पर्वत से दिखेगा मनोरम दृश्य

त्रिकुट पर्वत पर सैलानियों का आना अब शुरू हो चुका है. ऐसे में सैलानियों की माने तो त्रिकुट पर्वत पर प्राकृतिक छटाओं ओर मनोरम दृश्य के साथ-साथ देवघर बाबा धाम से जुड़ी पौराणिक कथाओं से रूबरू हो कर मंत्रमुग्ध हो रहे है और भरपूर त्रिकूट पर्वत का आनंद ले रहे है. पर्यटकों की माने तो यहां का दृश्य ओर कथाओं से जुड़ी चीज देख कर अपने आप को गौरान्वित महसूस कर रहे है.

कुल मिलाकर त्रिकुटी पर्वत में आने वाले पर्यटकों की सुविधा और रोपवे का आनंद ओर रावण से जुड़ी रोचक कथाओं से भरी प्राकृतिक छटाओं का मनोरम दृश्य को देखने अभी से ही सैलानियों का आना शुरू हो गया है. जिसका लोग भरपूर आनंद ले रहे है और रोपवे प्रबंधक की माने तो एक जनवरी तक भारी संख्या में पर्यटक का आने का संभावना है. जिसकी सुरक्षा से लेकर तमाम व्यवस्थाएं दुरुस्त कर ली गयी है. वहीं, सैलानियों ने रोपवे के ट्रॉली में ईटीवी भारत से की खास बातचीत की.

देवघर: अगर आपको रहस्य और रोमांच का सफर तय करना हो तो देवघर के त्रिकुट पहाड़ से अच्छी जगह हो ही नहीं सकती. एशिया की सबसे ऊंची रोपवे पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है. साथ ही यह जगह अनेक धार्मिक कथाओं से परिपूर्ण है.

देखें पूरी खबर

रावण का हेलीपेड

यहां रावण का हेलीपेड है, विश्व का सबसे बड़ा शालिग्राम पत्थर है, सीता का दिया है. रावण द्वारा स्थापित एक शिवलिंग है. साथ ही रावण की कई ऐसी गुफाएं है, जो इतिहास में वर्णित कथाओं को प्रमाणित करती है और बंदर यहां की शोभा है जो तकरीबन दो हजार की संख्या में हैं, जो त्रिकुट के जंगल मे चार चांद लगते हैं, कहा जाता है कि देवघर के कण कण में देवों का वाश है.

संवाददाता ने सैलानियों से की बात

देवघर स्थित जितने भी धार्मिक स्थल हैं उसकी प्रमाणिकता भी मौजूद है. देवघर से महज 20 किलोमीटर दूर हरि भरी वादियों में स्थित है, तीन चोटियों वाली त्रिकुट पर्वत. इसकी तीनों चोटी में सबसे ऊंची चोटी है विष्णु चोटी जिसकी उचाई 1,282 फीट है, जबकि रोपवे की लंबाई 2,512 फीट है. इस पूरी पर्वत की कहानी त्रेता काल से जुड़ी हुई है. इसके शिखर के बारे में कहा जाता है कि इस पर रावण और जटायू के बीच युद्ध हुआ था.

large number of tourists started reaching the Trikut mountain of Deoghar
जगह-जगह देखने को मिलेंगे बंदर

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जब रावण सीता को हरण कर लंका ले जा रहा था इस चोटी पर एक बड़ा सा चट्टान है. जिसको रावण का हेलिपैड के रूप में जाना जाता है. यहां एक दिप भी है जो पत्थरों में है. संभवतः इसका इस्तेमाल रोशनी के लिए होता रहा होगा. इसकी आज पूजा होती है. इस दिप को सीता दिप के नाम से जाना जाता है. यहां के बारे में यह भी कहा जाता है कि यहां रावण प्रतिदिन पुष्पक विमान से आकर तपस्या करता था. यहां ऐसी ऐसी गुफाएं है, जिसका पता भी नहीं चलता है और इसके बीच में बैठकर रावण तपस्या करता था.

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रोपवे में बैठते सैलानी

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रोमांच से भरा शालिग्राम पत्थर

इस पहाड़ चोटी पर एक बड़ा पत्थर है, जिसे विष्णु टॉप कहते है. यह विश्व का सबसे बड़ा शालिग्राम पत्थर है और ये दो कोन पर टिका है. इसके बीच 14 इंच का ही जगह है लेकिन इसके बीच से कितना भी मोटा आदमी क्यों न हो पार हो जाता है. इसलिए कठिन रास्ते से गुजरते हुए भक्त यहां पहुचते है, जिसे नवग्रह पत्थर भी कहते है.

बहरहाल, त्रिकुट पर्वत में आखिर इन दुर्लभ चीजों को आप कैसे देख सकते है, तो आपको इसी ऊंची चोटी पर ले जाने के लिए रोपवे है जिसकी लंबाई 2,512 फीट है और ये एशिया का सबसे ऊंचा रोपवे है. इसमे कुल 26 ट्रालियां है और ये आपको 8 मिनट में रोमांच का सफर तय कराते है, ये ट्रॉलियां बिल्कुल सेफ है.

इस ट्रॉली से आप इस बिहंगम दृश्य का आनंद ले सकते हैं. इसके लिए आपको महज 130 रुपये देने होंगे, ताकि यहां आने वाले पर्यटक इस रोमांच के सफर का खूब आनंद ले सके और अपने सारे गम भूल जाते है. कुल मिलाकर यह सफर इतिहास से वाकिफ करती ही है साथ ही आपको एडवेंचर से भी रुबरु करता है.

ये भी देखें- चतरा: ठिठुरन में कटेगी गरीबों की रात, वार्ड पार्षदों ने कंबल वितरण से किया इंकार

त्रिकुट पर्वत से दिखेगा मनोरम दृश्य

त्रिकुट पर्वत पर सैलानियों का आना अब शुरू हो चुका है. ऐसे में सैलानियों की माने तो त्रिकुट पर्वत पर प्राकृतिक छटाओं ओर मनोरम दृश्य के साथ-साथ देवघर बाबा धाम से जुड़ी पौराणिक कथाओं से रूबरू हो कर मंत्रमुग्ध हो रहे है और भरपूर त्रिकूट पर्वत का आनंद ले रहे है. पर्यटकों की माने तो यहां का दृश्य ओर कथाओं से जुड़ी चीज देख कर अपने आप को गौरान्वित महसूस कर रहे है.

कुल मिलाकर त्रिकुटी पर्वत में आने वाले पर्यटकों की सुविधा और रोपवे का आनंद ओर रावण से जुड़ी रोचक कथाओं से भरी प्राकृतिक छटाओं का मनोरम दृश्य को देखने अभी से ही सैलानियों का आना शुरू हो गया है. जिसका लोग भरपूर आनंद ले रहे है और रोपवे प्रबंधक की माने तो एक जनवरी तक भारी संख्या में पर्यटक का आने का संभावना है. जिसकी सुरक्षा से लेकर तमाम व्यवस्थाएं दुरुस्त कर ली गयी है. वहीं, सैलानियों ने रोपवे के ट्रॉली में ईटीवी भारत से की खास बातचीत की.

Intro:देवघर नववर्ष मनाने त्रिकुट पर्वत पहुचने लगे भारी संख्या में सैलानी,रोपवे का उठा रहे खूब आनंद।


Body:एंकर देवघर अगर आपको रहस्य और रोमांच का सफर तय करना हो तो देवघर का त्रिकुट पहाड़ से अच्छी जगह हो ही नही सकती। एशिया का सबसे ऊंचा रोपवे पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करता है। साथ ही यह जगह अनेक धार्मिक कथाओं से परिपूर्ण है। यहाँ रावण का हेलीपेड है विश्व का सबसे बड़ा शालिग्राम पत्थर है। सीता का दिया है। रावण द्वारा स्थापित एक शिवलिंग है। साथ ही रावण की कई ऐसी गुफाएं है जो इतिहास में वर्णित कथाओं को प्रमाणित करती है। और बंदर यहाँ की शोभा है जो तकरीबन दो हजार की संख्या में है। जो त्रिकुट के जंगल मे चार चांद लगते है। कहा जाता है कि देवघर के कण कण में देवो का वाश है। और कहा जाता है कि देवघर स्थित जितने भी धार्मिक स्थल है उसकी प्रमाणिकता भी मौजूद है। देवघर से महज 20 किलोमीटर दूर हरि भरी वादियों में स्थित है तीन चोटियो वाली त्रिकुट पर्वत है। इसकी तीनो चोटी में सबसे ऊंची चोटी है विष्णु चोटी जिसकी उचाई 1282 फिट है। जबकि रोपवे की लंबाई 2512 फिट है। कहा जाता है कि इस पूरी पर्वत की कहानी त्रेता काल से जुड़ी हुई है। इसके शिखर के बारे में कहा जाता है। कि इस पर रावण और जटाउ के बीच युद्ध हुआ था। जब रावण सीता को हरण कर लंका ले जा रहा था इस चोटी पर एक बड़ा सा चट्टान है। जिसको रावण का हेलिपैड के रूप में जाना जाता है। यहाँ एक दिप भी है। जो पत्थरो में है। संभवतः इसका इस्तमाल रोशनी के लिए होता रहा होगा। इसकी आज पूजा होती है। इस दिप को सीता दिप के नाम से जाना जाता है। यहाँ के बारे में यह भी कहा जाता है कि यहाँ रावण प्रतिदिन पुष्पक विमान से आकर और तपस्या करता था। यहाँ ऐसी ऐसी गुफाएं है। जिसका पता भी नही चलता है। और इसके बीच मे बैठकर रावण तपस्या करता था। इस पहाड़ चोटी पर एक बड़ा पत्थर है जिसे विष्णु टॉप कहते है। यह विश्व का सबसे बड़ा शालिग्राम पत्थर है और ये दो कोन पर टिका है। इसके बीच 14 इंच का ही जगह है लेकिन इसके बीच से कितना भी मोटा आदमी क्यों न हो पार हो जाता है। इसलिए कठिन रास्ते से गुजरते हुए भक्त यहाँ पहुचते है। जिसे नवग्रह पत्थर भी कहते है।


Conclusion:बहरहाल,त्रिकुट पर्वत में आखिर इन दुर्लभ चीजो को आप कैसे देख सकते है। तो आपको इसी ऊंची चोटी पर ले जाने के लिए रोपवे है जिसकी लंबाई 2512 फिट है। और ये एशिया का सबसे ऊंचा रोपवे है। और इसमें कुल 26 ट्रालियां है। और ये आपको 8 मिनट में रोमांच का सफर तय करते है। ये ट्रालियां बिल्कुल सेफ है। और इस ट्राली से आप इस बिहंगम दृश्य का आनंद ले सकते है। इसके लिए आपको महज 130 रुपये देने होंगे। ताकि यहाँ आने वाले पर्यटक इस रोमांच के सफर का खूब आनंद ले सके। और अपने सारे गम भूल जाते है। कुल मिलाकर यह सफर इतिहास से वाकिफ करता ही है साथ ही आपको एडवेंचर से भी रु ब रु करता है। त्रिकुट पर्वत पर सैलानियो का आना अब शुरू हो चुका है। ऐसे में सैलानियो की माने तो त्रिकुट पर्वत पर प्राकृतिक छटाओं ओर मनोरम दृश्य के साथ साथ देवघर बाबा धाम से जुड़ी पौराणिक कथाओं से रूबरू हो कर मंत्रमुग्ध हो रहे है। और भरपूर त्रिकूट पर्वत का आनंद ले रहे है।पर्यटकों की माने तो यहाँ का दृश्य ओर कथाओं से जुड़ी चीज देख कर अपने आप को गौरान्वित महसूस कर रहे है। कुल मिलाकर त्रिकुटी पर्वत में आने वाले पर्यटकों की सुविधा और रोपवे का आनद ओर रावण से जुड़ी रोचक कथाओं से भरी प्राकृतिक छटाओं का मनोरम दृश्य को देखने अभी से ही सैलानियो का आना शुरू हो गया है। जिसका लोग भरपूर आनंद ले रहे है। और रोपवे प्रबंधक की माने तो एक जनवरी तक भारी संख्या में पर्यटक का आने का संभावना है जिसकी सुरक्षा से लेकर तमाम व्यवस्थाएं दुरुस्त कर ली गयी है। वही सैलानियों ने रोपवे के ट्रॉली में ईटीवी भारत से की खास बात चीत।
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