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'स्वच्छ भारत अभियान' को लग रहा पलीता, करोड़ों की लागत से बने शौचालयों में लटका ताला

देवघर में 2 करोड़ 94 लाख खर्च कर विभिन्न इलाकों में 14 शौचालय बनवाया था. रखरखाव के अभाव में ये शौचालय अनुपयोगी साबित हो रहे है.

करोड़ों की लागत से बने शौचालयों में लटका ताला
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Published : May 7, 2019, 12:48 PM IST

देवघर/मधुपुर: शहर में स्वच्छता के स्तर को बढ़ाने के नाम पर खूब सरकारी राशि बहाया गया. जिसके बावजूद इसका लाभ नागरिकों तक नहीं पहुंचा. नगर परिषद ने 2 करोड़ 94 लाख खर्च कर विभिन्न इलाकों में 14 शौचालय बनवाया था. रखरखाव के अभाव में ये शौचालय अनुपयोगी साबित हो रहे है.

करोड़ों की लागत से बने शौचालयों में लटका ताला

शहर के प्रमुख सड़कों के किनारे 4 मॉड्यूलर टॉयलेट भी लगाए गए हैं जो रखरखाव और टंकी में पानी नहीं डालने के कारण बेकार पड़े हैं. शहर में 2018 में बस पड़ाव, झील तलाब के निकट, रेड क्रॉस सोसायटी परिसर, कुशवाहा, बावनबीघा, मीना बाजार, चांदमारी जैसी जगहों में 21-21 लाख की लागत से सामुदायिक शौचालय बनवाया गया था. जिसमें मोटर से पानी आपूर्ति और नहाने की व्यवस्था थी. इन शौचालयों को काफी आकर्षक बनाया गया था. लेकिन इनमें अधिकतर सुनसान जगह में बनाए गए हैं. जहां लोग जाना नहीं चाहते.

ये भी पढ़ें- हेमंत सोरेन ने जेएमएम का पट्टा पहन डाला वोट, बीजेपी ने निर्वाचन आयोग से की त्वरित कार्रवाई की मांग

रखरखाव के अभाव में शौचालयों में ताला लटका हुआ है. पिछले साल इन शौचालयों के लिए नगर परिषद ने नीलामी भी कराई थी. सुनसान इलाके में शौचालय रहने के कारण नीलामी की प्रक्रिया में कोई भी भाग लेने नहीं आया. शहर में बनाए गए मॉडल टॉयलेट रखरखाव के अभाव में बेकार पड़ा हुआ है.

देवघर/मधुपुर: शहर में स्वच्छता के स्तर को बढ़ाने के नाम पर खूब सरकारी राशि बहाया गया. जिसके बावजूद इसका लाभ नागरिकों तक नहीं पहुंचा. नगर परिषद ने 2 करोड़ 94 लाख खर्च कर विभिन्न इलाकों में 14 शौचालय बनवाया था. रखरखाव के अभाव में ये शौचालय अनुपयोगी साबित हो रहे है.

करोड़ों की लागत से बने शौचालयों में लटका ताला

शहर के प्रमुख सड़कों के किनारे 4 मॉड्यूलर टॉयलेट भी लगाए गए हैं जो रखरखाव और टंकी में पानी नहीं डालने के कारण बेकार पड़े हैं. शहर में 2018 में बस पड़ाव, झील तलाब के निकट, रेड क्रॉस सोसायटी परिसर, कुशवाहा, बावनबीघा, मीना बाजार, चांदमारी जैसी जगहों में 21-21 लाख की लागत से सामुदायिक शौचालय बनवाया गया था. जिसमें मोटर से पानी आपूर्ति और नहाने की व्यवस्था थी. इन शौचालयों को काफी आकर्षक बनाया गया था. लेकिन इनमें अधिकतर सुनसान जगह में बनाए गए हैं. जहां लोग जाना नहीं चाहते.

ये भी पढ़ें- हेमंत सोरेन ने जेएमएम का पट्टा पहन डाला वोट, बीजेपी ने निर्वाचन आयोग से की त्वरित कार्रवाई की मांग

रखरखाव के अभाव में शौचालयों में ताला लटका हुआ है. पिछले साल इन शौचालयों के लिए नगर परिषद ने नीलामी भी कराई थी. सुनसान इलाके में शौचालय रहने के कारण नीलामी की प्रक्रिया में कोई भी भाग लेने नहीं आया. शहर में बनाए गए मॉडल टॉयलेट रखरखाव के अभाव में बेकार पड़ा हुआ है.

Intro:करोड़ों की लागत से नगर परिषद द्वारा बनाए गए शौचालय मैं लड़का है तालाBody:मधुपुर: शहर में स्वच्छता के स्तर को बढ़ाने के नाम पर सरकारी राशि को खूब बहाया गया है, लेकिन इसका लाभ नागरिकों तक नहीं पहुंचा है नगर परिषद द्वारा 2 करोड़ 94 लाख खर्च कर विभिन्न इलाकों में 14 शौचालय बनाया गया है, रखरखाव के अभाव में यह शौचालय अनुपयोगी साबित हो रहा है। इसके अलावे शहर के प्रमुख सड़कों के किनारे 4 मॉड्यूलर शौचालय भी लगाया गया वह भी रखरखाव और नियमित टंकी पानी नहीं डालने के कारण बेकार पड़ा हुआ है। शहर में वर्ष 2018 में बस पड़ाव, झील तलाब के निकट, रेड क्रॉस सोसायटी परिसर, कुशवाहा, बावनबीघा, मीना बाजार, चांदमारी आदि जगहों में 21-21 लाख की लागत से सामुदायिक शौचालय बनवाया गया जिसमें मोटर से पानी आपूर्ति और स्नानादि की व्यवस्था है,इन शौचालयों को काफी आकर्षक बनाया गया था। लेकिन इनमें अधिकतर शौचालय ऐसे सुनसान जगह में बनाए गए हैं जहां लोग इस्तेमाल के लिए नहीं के बराबर जाते हैं हालांकि अभी भी 3 शौचालय में बिजली कनेक्शन नहीं है जिसके कारण ताला बंद है जबकि कई में रखरखाव करने वाला नहीं है जिसके कारण ताला लटका हुआ है पिछले साल इस शौचालयों के लिए नगर परिषद नीलामी भी कराई थी लेकिन सुनसान इलाके में शौचालय रहने के कारण इस बार नीलामी की प्रक्रिया में कोई भी भाग लेने नहीं आया शहर में बनाए गए मॉडलों शौचालय भी रख रखाव के अभाव में बेकार पड़ा हुआ है।
1बाईट-कृपा शंकर,सहायक अभियंता,नगर परिषद मधुपुर।
2-बाईक- राजकुमार बसाक,स्थानीयConclusion:शहर में स्वच्छता के स्तर को बढ़ाने के लिए शौचालय का निर्माण कराया गया लेकिन पानी और रखरखाव अभाव में शौचालय में ताला लटका हुआ है अब देखना यह होगा कि नगर परिषद का ध्यान इस ओर कब जाता है और लोगों को इसकी सुविधा कब तक मिल पाती है
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