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Ropeway Accidents Chronology: जानिए, देश में कब-कब और कहां-कहां हुए ऐसे रोपवे हादसे

10 अप्रैल 2022, झारखंड के लिए एक काला दिन, ये दिन जिला के लिए सदमे का रविवार साबित हुआ. देवघर के त्रिकूट पर्वत पर संचालित रोपवे में हादसा हुआ. जिसमें दो की मौत हुई और कई लोग इसमें अब भी फंसे हुए हैं. रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद सोमवार शाम तक 32 लोगों को सुरक्षित निकाला गया. अंधेरे के कारण राहत और बचाव कार्य रोका गया है, अब मंगलवार सुबह फिर से ऑपरेशन शुरू होगा. ईटीवी भारत की रिपोर्ट से जानिए, भारत में कब-कब और कहां-कहां इस तरह के हादसे हुए हैं.

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झारखंड
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Published : Apr 11, 2022, 10:27 PM IST

रांचीः रविवार 10 अप्रैल 2022, झारखंड के लिए किसी सदमे से कम नहीं रहा. अब लोगों के रोपवे ट्रॉलियों में फंसे होने का दर्द लोगों के जेहन में है. देवघर जिला के त्रिकूट पर्वत पर चलने वाली रोपवे आपस में टकरा गयीं और कई ट्रॉलियां एक-दूसरे से टकरा गयीं. जिसके बाद रोपवे में फंसे लोगों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया. स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ एनडीआरएफ की टीम भी लगी रही. वहीं सेना की ओर से MI-17 हेलीकॉप्टर ने भी इस राहत और बचाव कार्य को अंजाम दिया.

इसे भी पढ़ें- Trikut Ropeway Accident: 48 घंटे से हवा में झूल रही जिंदगी, आधुनिक भारत का तंत्र बेबस

त्रिकूट पर्वत रोपवे हादसा, जिसके बाद रविवार से लेकर सोमावर शाम तक ट्रॉली में फंसे 32 लोगों को निकाला गया और करीब 15 लोग अब भी रोपवे ट्रॉली में फंसे हुए हैं उनके साथ गरुड़ कमांडो फोर्स के एक जवान भी शामिल है. वहीं इस हादसे में कुल दो मौत हुई है जिसमें एक महिला शामिल है. सोमवार को रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान हुए दर्दनाक हादसे में एक शख्स की मौत हो गयी. रस्सी के सहारे हेलीकॉप्टर तक ले जाने के दौरान वो शख्स खाई में गिर गया. वहीं रविवार को हुए हादसे में एक महिला की मौत हो गयी थी.

अब कब-कब और कहां हुआ रोपवे ट्रॉली हादसाः भारत में पहली बड़ी रोपवे दुर्घटना जनवरी 2003 में गुजरात में हुई. जिसमें तीन केबल कार के दुर्घटनाग्रस्त होने से सात लोगों की जान चली गई और 20 घायल हो गए थे.

साल 2003 के ही अक्टूबर महीने में पश्चिम बंगाल में भी ऐसा ही हादसा हुआ. राज्य के दार्जिलिंग हिल स्टेशन में सिंगामेरी और तुकवर के बीच चलने वाली दो रोपवे कारों के केबल से अलग हो जाने से ये हादसा हुआ. जिसमें तीन महिलाओं और एक बच्चे सहित चार पर्यटकों की मौत हो गई और 11 गंभीर रूप से घायल हो गए थे. एक और बादसे में एक केबल कार मंदाकिनी नदी में गिर गया और उसकी जान चली गई. इसी साल सितंबर में एक 3 साल की बच्ची ट्रॉली से गिर गई और उसकी मौत हो गई.

26 जून, 2017 में जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग में भी रोपवे हादसा हुआ था. जिसमें सात लोग मारे गए थे. इस घटना को लेकर केबल कार ऑपरेटर का कहना था कि तेज हवाओं से उखड़ गया एक पेड़ गुलमर्ग गोंडोला के रोपवे पर गिर गया और लाइनों को काट दिया जिससे केबल कार जमीन पर जा गिरी. जिसकी वजह से उस कार में बैठे सभी लोग मारे गए.

20 जनवरी, 2019 को जम्मू-कश्मीर में मॉक ड्रिल के दौरान ऐसा ही हादसा हुआ था. इस रेस्क्यू ड्रिल के दौरान निर्माणाधीन जम्मू रोपवे परियोजना की एक केबल कार हादसा का शिकार हुई थी. इस दुर्घटना में दो श्रमिकों की मौत हो गई और चार अन्य घायल हो गए थे.

रांचीः रविवार 10 अप्रैल 2022, झारखंड के लिए किसी सदमे से कम नहीं रहा. अब लोगों के रोपवे ट्रॉलियों में फंसे होने का दर्द लोगों के जेहन में है. देवघर जिला के त्रिकूट पर्वत पर चलने वाली रोपवे आपस में टकरा गयीं और कई ट्रॉलियां एक-दूसरे से टकरा गयीं. जिसके बाद रोपवे में फंसे लोगों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया. स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ एनडीआरएफ की टीम भी लगी रही. वहीं सेना की ओर से MI-17 हेलीकॉप्टर ने भी इस राहत और बचाव कार्य को अंजाम दिया.

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त्रिकूट पर्वत रोपवे हादसा, जिसके बाद रविवार से लेकर सोमावर शाम तक ट्रॉली में फंसे 32 लोगों को निकाला गया और करीब 15 लोग अब भी रोपवे ट्रॉली में फंसे हुए हैं उनके साथ गरुड़ कमांडो फोर्स के एक जवान भी शामिल है. वहीं इस हादसे में कुल दो मौत हुई है जिसमें एक महिला शामिल है. सोमवार को रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान हुए दर्दनाक हादसे में एक शख्स की मौत हो गयी. रस्सी के सहारे हेलीकॉप्टर तक ले जाने के दौरान वो शख्स खाई में गिर गया. वहीं रविवार को हुए हादसे में एक महिला की मौत हो गयी थी.

अब कब-कब और कहां हुआ रोपवे ट्रॉली हादसाः भारत में पहली बड़ी रोपवे दुर्घटना जनवरी 2003 में गुजरात में हुई. जिसमें तीन केबल कार के दुर्घटनाग्रस्त होने से सात लोगों की जान चली गई और 20 घायल हो गए थे.

साल 2003 के ही अक्टूबर महीने में पश्चिम बंगाल में भी ऐसा ही हादसा हुआ. राज्य के दार्जिलिंग हिल स्टेशन में सिंगामेरी और तुकवर के बीच चलने वाली दो रोपवे कारों के केबल से अलग हो जाने से ये हादसा हुआ. जिसमें तीन महिलाओं और एक बच्चे सहित चार पर्यटकों की मौत हो गई और 11 गंभीर रूप से घायल हो गए थे. एक और बादसे में एक केबल कार मंदाकिनी नदी में गिर गया और उसकी जान चली गई. इसी साल सितंबर में एक 3 साल की बच्ची ट्रॉली से गिर गई और उसकी मौत हो गई.

26 जून, 2017 में जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग में भी रोपवे हादसा हुआ था. जिसमें सात लोग मारे गए थे. इस घटना को लेकर केबल कार ऑपरेटर का कहना था कि तेज हवाओं से उखड़ गया एक पेड़ गुलमर्ग गोंडोला के रोपवे पर गिर गया और लाइनों को काट दिया जिससे केबल कार जमीन पर जा गिरी. जिसकी वजह से उस कार में बैठे सभी लोग मारे गए.

20 जनवरी, 2019 को जम्मू-कश्मीर में मॉक ड्रिल के दौरान ऐसा ही हादसा हुआ था. इस रेस्क्यू ड्रिल के दौरान निर्माणाधीन जम्मू रोपवे परियोजना की एक केबल कार हादसा का शिकार हुई थी. इस दुर्घटना में दो श्रमिकों की मौत हो गई और चार अन्य घायल हो गए थे.

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