देवघर: मधुपुर उपचुनाव को लेकर मतदान के तारीख जैसे जैसे नजदीक आ रहा है. वैसे वैसे उम्मीदवार चिलचिलाती धूप में भी पसीना बहा रहे हैं. 17 अप्रैल को मतदान होना है. वहीं निर्दलीय प्रत्याशी के चुनाव मैदान में उतर जाने से समीकरण बदलता नजर आ रहा है.
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देवघर जिला का मधुपुर विधानसभा सीट एक हाई प्रोफाइल सीट है. इस सीट से मैदान में कुल 6 उम्मीदवार अपनी- अपनी जीत के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं. गठबंधन की और से दिवंगत हाजी हुसैन का बेटा हफीजुल हसन को टिकट दिया है. वहीं बीजेपी ने नया चेहरा गंगा नारायण सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. हाजी हुसैन के निधन के बाद उनके उत्तराधिकारी के तौर पर उनके बेटे को बिना विधायक बने हेमंत सरकार में मंत्री बनाया है. आजसू से बीजेपी का दामन थामने वाले गंगा नारायण पर पार्टी के शीर्ष नेताओं ने भरोसा जताया है. वहीं निर्दलीय उम्मीदवार भी सभी का समीकरण बिगाड़ने में लगी है. जेएमएम-बीजेपी और निर्दलीय उम्मीदवार अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं.
कब किसने मारी बाजी
साल 2009 में मधुपुर सीट से बीजेपी ने नया चेहरा राज पालिवार को चुनावी मैदान में उतारा था, लेकिन उन्हें जेएमएम के हाजी हुसैन अंसारी ने भारी मतों से पराजित कर दिया था, जिसके बाद पार्टी आलाकमान ने उन्हें मंत्री बनाया था. निर्दलीय के रूप में 2009 में गंगा नारायण सिंह पहली बार चुनावी मैदान में उतरे थे और उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था. साल 2014 में बीजेपी ने एक बार फिर पुराने चेहरे राज पलिवार पर दांव खेला. वहीं जेएमएम ने भी हाजी हुसैन अंसारी को ही उम्मीदवार बनाया और जेवीएम ने सहिम खान को टिकट दिया. अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्र होने के कारण जेवीएम उम्मीदवार ने अल्पसंख्यकों का वोट काट लिया, जिसके कारण बीजेपी के झोली में जीत चली गई. जीत हासिल करने के बाद पार्टी आलाकमान ने राज पलिवार को मंत्री बनाया. 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जेएमएम ने पुराने साथियों पर ही भरोसा जताया. इस चुनाव में आजसू के उम्मीदवार गंगा नारायण सिंह ने लगभग 40 हजार मत लाकर बीजेपी का समीकरण बिगाड़ दिया और हाजी हुसैन अंसारी ने जीत दर्ज की, जिसके बाद हाजी हुसैन अंसारी को एक बार फिर से मंत्री बनाया गया. हाजी हुसैन के निधन के बाद मधुपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने जा रहा है. आजसू का दामन छोड़ बीजेपी में शामिल हुए गंगा नारायण सिंह और जेएमएम से हफीजुल हसन का समीकरण बिगाड़ने के लिए निर्दलीय प्रत्याशी भी जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं. सभी उम्मीदवार विकास के मुद्दे, अनुमंडल को जिला बनाने और युवाओं को रोजगार देने का वादा कर रहे हैं.
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मधुपुर में पलायन बड़ी समस्या
मधुपुर में पेयजल, बिजली, स्वास्थ्य, सिंचाई, सड़क, रोजगार और शिक्षा जैसे बुनियादी सुविधाओं की शुरू से कमी रही है. इलाके में रोजगार की मुक्कमल व्यवस्था नहीं रहने के कारण काफी लोग पलायन करने को मजबूर हैं. अब दो मई को ही पता चलेगा कि वादे और आश्वासन पर 3 लाख 21 हजार से अधिक मतदाता किस जनप्रतिनिधि को जीत की ताज पहनाएंगे.