देवघर: शहर के बीचो-बीच अधूरी पड़ी छत्तीसी-बत्तीसी बायपास नाले के ऊपर सड़क निर्माण योजना विभाग के लिए गले की हड्डी बनी गई है. पथ निर्माण विभाग की ओर से करोड़ों की लागत से इसका निर्माण शुरू हुआ था, लेकिन प्रस्तावित सड़क को अतिक्रमण मुक्त करने में विफल रहने के कारण यह योजना अधर में लटक गई. अब विभाग और संवेदक से राशि की रिकवरी की मांग की जा रही है.
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संवेदकों से राशि रिकवरी की मांग
देवघर बायपास सड़क को शहर से जोड़ने के उदेश्य से 2017 में तकरीबन 31 करोड़ की लागत से 2 किलोमीटर लंबी सड़क निर्माण की योजना पथ निर्माण विभाग की ओर से स्वीकृत की गई थी. दो भाग में बांटकर दो संवेदकों को काम का जिम्मा सौंपा गया था, लेकिन शहर के बीचोंबीच गुजरने वाली यह प्रस्तावित सड़क कई जगहों पर पहले से अतिक्रमित थी और इसकी अनदेखी करते हुए विभाग ने काम को शुरू करा दिया, लेकिन इसे पूर्ण रूप से अतिक्रमण मुक्त कराने में विभाग विफल रहा. नतीजा है कि करोड़ों की राशि बर्बाद कर यह अधूरी पड़ी योजना स्थानीय लोगों के लिए परेशानी का कारण बन गई है. अब स्थानीय लोगों ने संवेदकों से राशि रिकवरी की मांग की है.
करोड़ों की राशि बर्बाद
छत्तीसी-बत्तीसी नाले के ऊपर सड़क निर्माण की योजना का सच तो यह है कि करोड़ों की राशि बर्बाद कर विभाग ने इस टेंडर को ही रद्द कर दिया. अब देवघर उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री ने पथ निर्माण विभाग को फिर से इसका सर्वे कर डीपीआर तैयार करने और इस योजना का रिटेंडर करने का निर्देश दिया है. नगर निगम और राजस्व अधिकारी को इस रूट को अतिक्रमण मुक्त करने का भी निर्देश दिया गया है. सरकारी योजना के नाम पर करोड़ों की राशि का बंदरबांट के मामले सामने आते रहे हैं.