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क्या है बाबा वैद्यनाथ धाम का गठजोड़वा अनुष्ठान, मुगलकाल में चलती रही परंपरा

भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक देवघर के बाबा वैद्यनाथधाम का गठजोड़वा अनुष्ठान पूरा करने के लिए देश भर से श्रद्धालु आते हैं. मुगलकाल में भी यह परंपरा चलती रही थी. पढ़ें इसकी पूरी कहानी

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बाबा वैद्यनाथ धाम का गठजोड़वा अनुष्ठान
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Published : Aug 2, 2022, 5:32 PM IST

Updated : Aug 2, 2022, 6:16 PM IST

देवघर: भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक देवघर के बाबा वैद्यनाथधाम में है. इस ज्योतिर्लिंग की कहानी त्रेतायुग में रावण से जुड़ी हुई है, जिसकी बड़ी महिमा है. इसी ज्योतिर्लिंग की पूजा से जुड़ा है गठजोड़वा अनुष्ठान जिसके लिए देश भर के श्रद्धालु खिंचे चले आते हैं. तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि इस मंदिर में लंबे समय से किए जा रहे इस धार्मिक अनुष्ठान को यहां आने वाला हर भक्त करना चाहता है, क्योंकि इस गठबंधन या गठजोड़वा अनुष्ठान को करने से सारी मनोकामना पूर्ण होती है.

ये भी पढ़ें-ये हैं आज के 'श्रवण कुमार', मां-बाप को कांवड़ में बैठाकर चल पड़े 'बाबा' के द्वार

तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि बाबा वैद्यनाथ मंदिर के शिखर से लेकर मां पार्वती के शिखर तक को बंधन को गठबंधन या गठजोड़वा कहते हैं. देवघर स्थित बाबा वैद्यनाथ धाम में कई परंपरा प्रचलित है. इन्हीं में से एक है बाबा भोलेनाथ के मंदिर और मां पार्वती के मंदिर के शिखर को पवित्र धागों से बांधकर गठजोड़ करने की परंपरा. इस परंपरा को शिव और शक्ति का गठजोड़ या गठबंधन कहते हैं. मुगल काल से चली आ रही इस परंपरा में एक दिलचस्प बात ये है कि गठबंधन का हक देवघर में रहने वाले एक खास खानदान से जुड़े लोगों को ही है.

देखें पूरी खबर
तीर्थ पुरोहित दुर्लभ मिश्रा ने बताया कि बाबा वैद्यनाथ ज्योर्तिलिंग को कामनालिंग ज्योर्तिलिंग के नाम से भी जाना जाता है. हर साल हजारों भक्त यहां मन्नत मांगने आते हैं और शिव को यह वादा कर जाते हैं कि मन्नत पूरी हो गई तो यह गठजोड़वा पूजा करेंगे. इस पूजा के तहत भक्त बाबा मंदिर और उसी परिसर में स्थित मां पार्वती के मंदिर के गुंबदों को धागों से जोड़ते हैं. दोनों शिखर के पंचशूल में लाल रज्जू बांधने की धार्मिक परंपरा को गठबंधन अथवा गठजोड़ कहा जाता है. यह अनुष्ठान सिर्फ और सिर्फ बाबा वैद्यनाथ धाम स्थित इसी ज्योर्तिलिंग में होता है. मिश्रा ने बताया कि सतयुग से ही यहां शक्ति और त्रेता से शिव की ऊर्जा स्थापित है. ऐसे में यहां शिवशक्ति पूजा पूर्ण पूजा मानी जाती है.


विवाहित जोड़ों के लिए अहम अनुष्ठानः गठबंधन अनुष्ठान विवाहित जोड़ों के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. हिंदू संस्कारों में विवाह के मौके पर रक्षासूत्र बांधने की परंपरा है. ऐसी मान्यता है कि इस बंधन से वर वधू को हर संकट से मुक्ति मिलती है और दोनों का जीवन सुरक्षा कवच में होता है. यही वजह है कि अपने दाम्पत्य जीवन को कुशलतापूर्वक ओर मंगलकारी बनाने के लिए बाबा वैद्यनाथ धाम पहुंचने वाले श्रद्धालु इस अनुष्ठान को पूरा करते हैं. श्रावणी मेले मैं आपार भीड़ होने के बावजूद श्रद्धालु इस अनुष्ठान को पूरा कर रहे हैं.

बाबा वैद्यनाथ धाम के तीर्थपुरोहित दुर्लभ मिश्रा बताते हैं कि यह गठबंधन करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है ओर मनोकामना पूर्ण होने के बाद फिर गठबंधन अनुष्ठान करते हैं इस अनुष्ठान से संतान की मनोकामना भी पूर्ण होती है. दाम्पत्य जीवन सुखमय ओर सुरक्षित होता है. इस पूजा के बाद ही मनोकामनालिंग की पूजा व अनुष्ठान पूरा होता है.

देवघर: भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक देवघर के बाबा वैद्यनाथधाम में है. इस ज्योतिर्लिंग की कहानी त्रेतायुग में रावण से जुड़ी हुई है, जिसकी बड़ी महिमा है. इसी ज्योतिर्लिंग की पूजा से जुड़ा है गठजोड़वा अनुष्ठान जिसके लिए देश भर के श्रद्धालु खिंचे चले आते हैं. तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि इस मंदिर में लंबे समय से किए जा रहे इस धार्मिक अनुष्ठान को यहां आने वाला हर भक्त करना चाहता है, क्योंकि इस गठबंधन या गठजोड़वा अनुष्ठान को करने से सारी मनोकामना पूर्ण होती है.

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तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि बाबा वैद्यनाथ मंदिर के शिखर से लेकर मां पार्वती के शिखर तक को बंधन को गठबंधन या गठजोड़वा कहते हैं. देवघर स्थित बाबा वैद्यनाथ धाम में कई परंपरा प्रचलित है. इन्हीं में से एक है बाबा भोलेनाथ के मंदिर और मां पार्वती के मंदिर के शिखर को पवित्र धागों से बांधकर गठजोड़ करने की परंपरा. इस परंपरा को शिव और शक्ति का गठजोड़ या गठबंधन कहते हैं. मुगल काल से चली आ रही इस परंपरा में एक दिलचस्प बात ये है कि गठबंधन का हक देवघर में रहने वाले एक खास खानदान से जुड़े लोगों को ही है.

देखें पूरी खबर
तीर्थ पुरोहित दुर्लभ मिश्रा ने बताया कि बाबा वैद्यनाथ ज्योर्तिलिंग को कामनालिंग ज्योर्तिलिंग के नाम से भी जाना जाता है. हर साल हजारों भक्त यहां मन्नत मांगने आते हैं और शिव को यह वादा कर जाते हैं कि मन्नत पूरी हो गई तो यह गठजोड़वा पूजा करेंगे. इस पूजा के तहत भक्त बाबा मंदिर और उसी परिसर में स्थित मां पार्वती के मंदिर के गुंबदों को धागों से जोड़ते हैं. दोनों शिखर के पंचशूल में लाल रज्जू बांधने की धार्मिक परंपरा को गठबंधन अथवा गठजोड़ कहा जाता है. यह अनुष्ठान सिर्फ और सिर्फ बाबा वैद्यनाथ धाम स्थित इसी ज्योर्तिलिंग में होता है. मिश्रा ने बताया कि सतयुग से ही यहां शक्ति और त्रेता से शिव की ऊर्जा स्थापित है. ऐसे में यहां शिवशक्ति पूजा पूर्ण पूजा मानी जाती है.


विवाहित जोड़ों के लिए अहम अनुष्ठानः गठबंधन अनुष्ठान विवाहित जोड़ों के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. हिंदू संस्कारों में विवाह के मौके पर रक्षासूत्र बांधने की परंपरा है. ऐसी मान्यता है कि इस बंधन से वर वधू को हर संकट से मुक्ति मिलती है और दोनों का जीवन सुरक्षा कवच में होता है. यही वजह है कि अपने दाम्पत्य जीवन को कुशलतापूर्वक ओर मंगलकारी बनाने के लिए बाबा वैद्यनाथ धाम पहुंचने वाले श्रद्धालु इस अनुष्ठान को पूरा करते हैं. श्रावणी मेले मैं आपार भीड़ होने के बावजूद श्रद्धालु इस अनुष्ठान को पूरा कर रहे हैं.

बाबा वैद्यनाथ धाम के तीर्थपुरोहित दुर्लभ मिश्रा बताते हैं कि यह गठबंधन करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है ओर मनोकामना पूर्ण होने के बाद फिर गठबंधन अनुष्ठान करते हैं इस अनुष्ठान से संतान की मनोकामना भी पूर्ण होती है. दाम्पत्य जीवन सुखमय ओर सुरक्षित होता है. इस पूजा के बाद ही मनोकामनालिंग की पूजा व अनुष्ठान पूरा होता है.

Last Updated : Aug 2, 2022, 6:16 PM IST
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