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देवघरः लॉकडाउन से थम गए ऑटो के पहिए, लोन की रकम के लिए फाइनेंसर बना रहे दबाव

लॉकडाउन के कारण देवघर में ऑटो चालकों को सवारियां न मिलने से आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, ऑटो मालिकों पर फायनेंसरों की ओर से लगातार किस्त जमा करने का दबाव बनाया जा रहा है, जिससे उन्हें दोहरी मार झेलनी पड़ रही है.

auto drivers in deoghar.
ऑटो चालकों के सामने आर्थिक समस्या.
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Published : Aug 12, 2020, 5:17 PM IST

देवघरः देवों की नगरी में प्रतिदिन हजारों लोगों का आना-जाना लगा रहता था, लेकिन इस कोरोना काल में बाबा मंदिर और बाबा बासुकीनाथ मंदिर बंद रहने के कारण यात्रियों का आना बिल्कुल ही बंद है. जिले में लगभग तीन हजार रजिस्टर्ड ऑटो है, जिसमें दिन रात मिलाकर दो ड्राइवर और एक मालिक मिलाकर लगभग 9 हजार परिवार आश्रित है, जो अब लॉकडाउन के कारण भुखमरी की कगार पर है. फायनेंसरों के दबाव के कारण अब वह सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी
भुखमरी की कगार पर ऑटो चालक देवघर जिले में लगभग तीन हजार ऑटो हैं, जो देवघर जसीडीह से लेकर बासुकीनाथ तक सवारियों को लेकर जाते-आते थे, लेकिन इस कोरोना काल में बाबा मंदिर और बासुकीनाथ मंदिर के साथ रेल परिचालन और बस सेवा ठप रहने के कारण अब इन्हें सवारी नहीं मिल रही है. सरकार ने लॉकडाउन में ऑटो चालकों को छूट तो जरूर दी, लेकिन यात्रियों के आस में यह लोग बेबस है. ऐसे में अब ऑटो चालक भुखमरी की कगार पर आ गए है. देवघर में लगभग 9 हजार ऑटो चालक से लेकर मालिक तक आश्रित है, जो सभी औसतन 90 प्रतिशत प्राइवेट लोन लेकर चलते है. अब ऑटो मालिकों को फायनेंसरों द्वारा किस्त जमा करने का दबाव बनाया जा रहा है. वहीं, किस्त न मिलने पर गाड़ी ले जाने की भी धमकी दी जा रही है. एक ओर जहां परिवार चलना मुश्किल हो रहा है, वहीं अब फायनेंसरों का किस्त का दबाव से ऑटो मालिक काफी परेशान दिख रहे है.

इसे भी पढ़ें- कुख्यात गैंगस्टर अमन साव को वापस भेजा गया जेल, एके-47 की बरामदगी में पुलिस फेल


ऑटो चालकों के लिए कोई व्यवस्था नहीं
देवघर ऑटो चालक संघ अध्यक्ष की माने तो जिले में तीन हजार ऑटो चालक है, जिसमें ऑटो मालिक सहित दो शिफ्ट में ड्राइवर मिलाकर कुल 9 हजार लोग इसी ऑटो पर निर्भर है. सरकार ने नियमों को देखते हुए ऑटो चलाने का आदेश तो जरूर दिया है, लेकिन यात्री नहीं रहने के कारण अधिकांश ऑटो घर पर खड़े है. लगभग सभी ऑटो प्राइवेट फायनांस पर है. ऐसे में जब सड़क पर ऑटो चल ही नहीं रही है तो सरकार रोड़ टैक्स सहित किस्त में रियायत दें, ताकि ऑटो पर निर्भर परिवार को सहूलियत हो सके. सरकार ने बड़े आर्थिक पैकेज का एलान किया, लेकिन ऑटो चालकों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई. अगर किसी भी ऑटो चालकों की भूख से मौत होती है तो इसकी जिम्मेदार सरकार होगी.

ऑटो मालिकों को बाद में देना होगा मूलधन
वहीं, लीड डस्ट्रिक्ट मैनेजर ने कहा कि आरबीआई के गाइडलाइन के अनुसार ऑटो मालिकों को लॉकडाउन अवधि तक सिर्फ ब्याज जमा करना होगा और बाद में लोन का मूलधन देना है. कई ऑटो फायनेंसरों द्वारा दबाव बनाया जा रहा है, ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन ऑटो चालकों की स्थिति क्या होगी.

देवघरः देवों की नगरी में प्रतिदिन हजारों लोगों का आना-जाना लगा रहता था, लेकिन इस कोरोना काल में बाबा मंदिर और बाबा बासुकीनाथ मंदिर बंद रहने के कारण यात्रियों का आना बिल्कुल ही बंद है. जिले में लगभग तीन हजार रजिस्टर्ड ऑटो है, जिसमें दिन रात मिलाकर दो ड्राइवर और एक मालिक मिलाकर लगभग 9 हजार परिवार आश्रित है, जो अब लॉकडाउन के कारण भुखमरी की कगार पर है. फायनेंसरों के दबाव के कारण अब वह सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी
भुखमरी की कगार पर ऑटो चालक देवघर जिले में लगभग तीन हजार ऑटो हैं, जो देवघर जसीडीह से लेकर बासुकीनाथ तक सवारियों को लेकर जाते-आते थे, लेकिन इस कोरोना काल में बाबा मंदिर और बासुकीनाथ मंदिर के साथ रेल परिचालन और बस सेवा ठप रहने के कारण अब इन्हें सवारी नहीं मिल रही है. सरकार ने लॉकडाउन में ऑटो चालकों को छूट तो जरूर दी, लेकिन यात्रियों के आस में यह लोग बेबस है. ऐसे में अब ऑटो चालक भुखमरी की कगार पर आ गए है. देवघर में लगभग 9 हजार ऑटो चालक से लेकर मालिक तक आश्रित है, जो सभी औसतन 90 प्रतिशत प्राइवेट लोन लेकर चलते है. अब ऑटो मालिकों को फायनेंसरों द्वारा किस्त जमा करने का दबाव बनाया जा रहा है. वहीं, किस्त न मिलने पर गाड़ी ले जाने की भी धमकी दी जा रही है. एक ओर जहां परिवार चलना मुश्किल हो रहा है, वहीं अब फायनेंसरों का किस्त का दबाव से ऑटो मालिक काफी परेशान दिख रहे है.

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ऑटो चालकों के लिए कोई व्यवस्था नहीं
देवघर ऑटो चालक संघ अध्यक्ष की माने तो जिले में तीन हजार ऑटो चालक है, जिसमें ऑटो मालिक सहित दो शिफ्ट में ड्राइवर मिलाकर कुल 9 हजार लोग इसी ऑटो पर निर्भर है. सरकार ने नियमों को देखते हुए ऑटो चलाने का आदेश तो जरूर दिया है, लेकिन यात्री नहीं रहने के कारण अधिकांश ऑटो घर पर खड़े है. लगभग सभी ऑटो प्राइवेट फायनांस पर है. ऐसे में जब सड़क पर ऑटो चल ही नहीं रही है तो सरकार रोड़ टैक्स सहित किस्त में रियायत दें, ताकि ऑटो पर निर्भर परिवार को सहूलियत हो सके. सरकार ने बड़े आर्थिक पैकेज का एलान किया, लेकिन ऑटो चालकों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई. अगर किसी भी ऑटो चालकों की भूख से मौत होती है तो इसकी जिम्मेदार सरकार होगी.

ऑटो मालिकों को बाद में देना होगा मूलधन
वहीं, लीड डस्ट्रिक्ट मैनेजर ने कहा कि आरबीआई के गाइडलाइन के अनुसार ऑटो मालिकों को लॉकडाउन अवधि तक सिर्फ ब्याज जमा करना होगा और बाद में लोन का मूलधन देना है. कई ऑटो फायनेंसरों द्वारा दबाव बनाया जा रहा है, ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन ऑटो चालकों की स्थिति क्या होगी.

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