देवघरः देवों की नगरी में प्रतिदिन हजारों लोगों का आना-जाना लगा रहता था, लेकिन इस कोरोना काल में बाबा मंदिर और बाबा बासुकीनाथ मंदिर बंद रहने के कारण यात्रियों का आना बिल्कुल ही बंद है. जिले में लगभग तीन हजार रजिस्टर्ड ऑटो है, जिसमें दिन रात मिलाकर दो ड्राइवर और एक मालिक मिलाकर लगभग 9 हजार परिवार आश्रित है, जो अब लॉकडाउन के कारण भुखमरी की कगार पर है. फायनेंसरों के दबाव के कारण अब वह सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.
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ऑटो चालकों के लिए कोई व्यवस्था नहीं
देवघर ऑटो चालक संघ अध्यक्ष की माने तो जिले में तीन हजार ऑटो चालक है, जिसमें ऑटो मालिक सहित दो शिफ्ट में ड्राइवर मिलाकर कुल 9 हजार लोग इसी ऑटो पर निर्भर है. सरकार ने नियमों को देखते हुए ऑटो चलाने का आदेश तो जरूर दिया है, लेकिन यात्री नहीं रहने के कारण अधिकांश ऑटो घर पर खड़े है. लगभग सभी ऑटो प्राइवेट फायनांस पर है. ऐसे में जब सड़क पर ऑटो चल ही नहीं रही है तो सरकार रोड़ टैक्स सहित किस्त में रियायत दें, ताकि ऑटो पर निर्भर परिवार को सहूलियत हो सके. सरकार ने बड़े आर्थिक पैकेज का एलान किया, लेकिन ऑटो चालकों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई. अगर किसी भी ऑटो चालकों की भूख से मौत होती है तो इसकी जिम्मेदार सरकार होगी.
ऑटो मालिकों को बाद में देना होगा मूलधन
वहीं, लीड डस्ट्रिक्ट मैनेजर ने कहा कि आरबीआई के गाइडलाइन के अनुसार ऑटो मालिकों को लॉकडाउन अवधि तक सिर्फ ब्याज जमा करना होगा और बाद में लोन का मूलधन देना है. कई ऑटो फायनेंसरों द्वारा दबाव बनाया जा रहा है, ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन ऑटो चालकों की स्थिति क्या होगी.