देवघरः बाबा मंदिर में परंपरा के अनुसार बेलपत्र प्रदर्शनी जारी है. प्रदर्शनी को देखने के लिए स्थानीय लोगों के साथ-साथ बाहर से आए हुए श्रद्धालु भी पहुंच रहे हैं. अलौकिक बेलपत्र प्रदर्शनी को देखकर लोग अचंभित हो रहे हैं. इसका कारण यह है कि इतना सुंदर बेलपत्र आमतौर पर सभी लोगों पर नहीं मिलता है. इस तरह के बेलपत्र लाने में कई दिनों की मेहनत लगती है तब जाकर ऐसे बेलपत्र प्रदर्शनी में लगायी जाती हैं.
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153 वर्षों से चली आ रही है बेलपत्र प्रदर्शनी लगाने की परंपराः बताते चलें कि बाबा मंदिर में बेलपत्र प्रदर्शनी लगाने की परंपरा काफी प्राचीन है. लगभग 153 वर्षों से मंदिर परिसर में बेलपत्र प्रदर्शनी लगाई जा रही है. बताते चलें कि बांग्ला श्रावण सोमवार कर्क संक्रांति के दिन सभी दलों के द्वारा बाबा भोलेनाथ पर शाम 7 बजे बेलपत्र अर्पित किया गया था. जबकि शाम को सभी दलों की ओर से आकर्षक और अनोखे पहाड़ी बेलपत्र की प्रदर्शनी लगायी गई थी. शाम पांच बजे से ही सभी दल अपने-अपने बेलपत्र लेकर मंदिर की ओर निकल पड़े. मंदिर पहुंच कर अपने पूर्व स्थानों में चांदी, तांबा और स्टील के बर्तनों में बेलपत्र सजाए गए.
अलग-अलग मंदिरों में विभिन्न समाज के लोगों ने लगाई बेलपत्र प्रदर्शनीः इस अवसर पर काली मंदिर में जनरेल समाज, देव कृपा वन सम्राट बिल्वपत्र समाज, तारा मंदिर में बरनेल समाज, लक्ष्मी नारायण मंदिर में मसानी दल और असमाज, राम मंदिर में राजाराम बिल्वपत्र समाज, आनंद भैरव मंदिर में पंडित मनोकामना राधे श्याम बेलपत्र समाज के दो दल द्वारा आकर्षक और बाबा की त्रिनेत्र के समान अनोखे पहाड़ी बिल्व पत्र की प्रदर्शनी लगाई गई.
बर्तनों में बेलपत्र सजाकर लोगों ने किया शहर भ्रमणः परंपरा के अनुसार सभी दलों के सदस्यों द्वारा अपने बेलपत्र को चांदी के बर्तनों में सजाकर शहर भ्रमण को निकलते हैं. इसके बाद वह अपने बेलपत्र के साथ अपनी गद्दी पर जाकर प्रदर्शित करते हैं. इस दौरान पहाड़ों और जंगलों से लाया हुआ बेलपत्र बाबा बैद्यनाथ पर भी अर्पित करते हैं और प्रदर्शनी की थानों से भी बेलपत्र को लाकर बाबा पर अर्पित किया जाता है.