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देवघर: बाबा बैद्यनाथ मंदिर में रावण ने कुबेर से मांगकर स्थापित किया था चंद्रकांता मणि! - ETV Jharkhand

देवघर के बाबा बैद्यनाथ मंदिर (Baba Baidyanath Temple of Deoghar) से जुड़ी कई ऐसी मान्यताएं हैं जो इसे अलग बनाती है. ऐसी ही एक मान्यता मंदिर के गर्भगृह में जड़ी चंद्रकांता मणि से जुड़ी हुई है. कहते हैं खुद रावण ने इस मणि को कुबेर से लेकर मंदिर में जड़ा था. मान्यता है कि चंद्रमा के प्रभाव से इस मणि से ओस की बूंदे पवित्र ज्योतिर्लिंग पर गिरती है.

Chadrakanta Mani in Baba Baidyanath Temple
Chadrakanta Mani in Baba Baidyanath Temple
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Published : Aug 6, 2022, 6:34 PM IST

देवघर: देवघर का बाबा बैद्यनाथ मंदिर (Baba Baidyanath Temple of Deoghar) देश के सभी बारह पवित्र ज्योर्तिलिंगों में से एक है. वैसे तो सभी पवित्र ज्योतिर्लिंग का विशिष्ट धार्मिक महत्व है लेकिन, देवघर का बाबा बैद्यनाथ मंदिर कई ऐसी विविधताएं अपने आप में समेटे हुए है जो आदिकाल से ही धार्मिक मामलों के जानकारों के लिए कौतुहल का विषय रहा है. ऐसी ही विशेषता है मुख्य मंदिर के गुबंद के अंदरुनी भाग में जड़ी हुई चंद्रकांता मणि.

इसे भी पढ़ें: VIDEO: 108 फीट लंबा कांवड़ के साथ 108 भक्त बैद्यनाथ धाम के लिए रवाना

रावण ने कुबेर से लेकर मंदिर में स्थापित किया था यह मणि: ऐसी मान्यता है कि रावण ने खुद इस अद्भूत मणि को कुबेर से लेकर यहा स्थापित किया था. देवघर के बाबा बैद्यनाथ मंदिर के लगभग 85 फीट ऊंचे गुंबद के भीतरी भाग में चंद्रकांता मणि जड़ा हुआ है. जानकारों की मानें तो यह अमूल्य रत्न खुद रावण ने इस मंदिर के गुंबद में स्थापित किया गया था. मान्यता है कि चंद्रमा से प्रभावित होकर इस मणि से ओस की बूंदों के सामान जल लगातार पवित्र ज्योतिर्लिंग पर गिरता रहता है.

1961 में ली गई थी इसकी तस्वीर: जानकारों के अनुसार सन 1961 में लोगों को इस मणि को देखने का सौभाग्य मिला था और तब ही इसकी एक तस्वीर भी ली गयी थी. उसके बाद से कई विशेषज्ञों के सहयोग से इसके करीब पहुंचने और इस मणि के अवलोकन का प्रयास किया गया लेकिन, सफलता नहीं मिल पाई. जिन तीर्थ पुरोहितों ने अपनी आंखों से इसका दर्शन किया है उनकी मानें तो गुंबद के सबसे उपरी छत में एक चतुर्भुजाकार आकृति बनी हुई है, जिसके चारों किनारे बड़े आकार के नवरत्न जड़े हुए हैं और मध्य भाग में एक अष्टदल कमल बना हुआ है. इसी के बीच में यह अमूल्य चंद्रकांता मणि को जड़ा गया है. दुनिया की इस बेशकीमती धरोहर का दर्शन अब आम भक्तों को भी कराए जाने की बात की जा रही है.

देवघर: देवघर का बाबा बैद्यनाथ मंदिर (Baba Baidyanath Temple of Deoghar) देश के सभी बारह पवित्र ज्योर्तिलिंगों में से एक है. वैसे तो सभी पवित्र ज्योतिर्लिंग का विशिष्ट धार्मिक महत्व है लेकिन, देवघर का बाबा बैद्यनाथ मंदिर कई ऐसी विविधताएं अपने आप में समेटे हुए है जो आदिकाल से ही धार्मिक मामलों के जानकारों के लिए कौतुहल का विषय रहा है. ऐसी ही विशेषता है मुख्य मंदिर के गुबंद के अंदरुनी भाग में जड़ी हुई चंद्रकांता मणि.

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रावण ने कुबेर से लेकर मंदिर में स्थापित किया था यह मणि: ऐसी मान्यता है कि रावण ने खुद इस अद्भूत मणि को कुबेर से लेकर यहा स्थापित किया था. देवघर के बाबा बैद्यनाथ मंदिर के लगभग 85 फीट ऊंचे गुंबद के भीतरी भाग में चंद्रकांता मणि जड़ा हुआ है. जानकारों की मानें तो यह अमूल्य रत्न खुद रावण ने इस मंदिर के गुंबद में स्थापित किया गया था. मान्यता है कि चंद्रमा से प्रभावित होकर इस मणि से ओस की बूंदों के सामान जल लगातार पवित्र ज्योतिर्लिंग पर गिरता रहता है.

1961 में ली गई थी इसकी तस्वीर: जानकारों के अनुसार सन 1961 में लोगों को इस मणि को देखने का सौभाग्य मिला था और तब ही इसकी एक तस्वीर भी ली गयी थी. उसके बाद से कई विशेषज्ञों के सहयोग से इसके करीब पहुंचने और इस मणि के अवलोकन का प्रयास किया गया लेकिन, सफलता नहीं मिल पाई. जिन तीर्थ पुरोहितों ने अपनी आंखों से इसका दर्शन किया है उनकी मानें तो गुंबद के सबसे उपरी छत में एक चतुर्भुजाकार आकृति बनी हुई है, जिसके चारों किनारे बड़े आकार के नवरत्न जड़े हुए हैं और मध्य भाग में एक अष्टदल कमल बना हुआ है. इसी के बीच में यह अमूल्य चंद्रकांता मणि को जड़ा गया है. दुनिया की इस बेशकीमती धरोहर का दर्शन अब आम भक्तों को भी कराए जाने की बात की जा रही है.

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