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देवघरः सावन महीने में सदर अस्पताल को मिली थी 5 बाइक एम्बुलेंस, अब रखे-रखे फांक रही है धूल

देवघर में सावन के महीने में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 5 बाइक एम्बुलेंस मुहैया कराई गई थी. सावन के बाद 5 में से 2 को अपनी जगह पहुंचा दिया गया लेकिन 3 बाइक एम्बुलेंस अभी भी धूल फांक रही हैं. विभागीय उदासीनता के कारण अब तक इन्हें सही जगह पहुंचाया नहीं जा सका है.

बाइक एम्बुलेंस
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Published : Oct 20, 2019, 10:48 PM IST

देवघरः सरकार स्वास्थ्य जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए लाखों खर्च कर रही है. इसी के तहत देवघर में स्वास्थ्य विभाग को इंडियन ऑयल की तरफ से 5 बाइक एम्बुलेंस दी गई थी. जिसका लाभ सावन महीने में श्रद्धालुओं को दिया गया. जिसके बाद पांचों बाइक एम्बुलेंस अब सिविल सर्जन कार्यालय के नीचे पानी और धूल फांक रही हैं.

देखें पूरी खबर

बता दें कि 5 में से 2 बाइक एंबुलेंस अपनी जगह तो जरूर भेज दी गई हैं, लेकिन अब भी 3 बाइक एम्बुलेंस पानी और धूल फांकने को मजबूर हैं. इन बाइक एम्बुलेंस के पहिए में न हवा है और न ही इसकी देख-रेख हो रही है. जब ईटीवी भारत ने इस बाबत सिविल सर्जन से पूछा तो उन्होंने कहा कि इंडियन ऑयल ने 5 बाइक एम्बुलेंस सावन महीने में दिया था. उन्होंने बताया कि विभागीय उदासीनता के कारण अबतक 3 महीने में महज 2 ही एम्बुलेंस को ही गांव पहुंचाया गया.

ये भी पढ़ें- RIMS ने दो मरीजों के मुंह के कैंसर का सफल इलाज कर रचा कीर्तिमान, परिजनों ने कहा- रिम्स ने दिया जीवनदान

बहरहाल, बाइक एम्बुलेंस एक ऐसी व्यवस्था है जहां बड़ी एम्बुलेंस नहीं जा सकती है. वहां बाइक एम्बुलेंस आसानी से जा सकती है. लोगों को इसकी सुविधा मिल सकती है. मगर विभागीय लापरवाही के कारण बिना देख-रेख के आज लाखों की बाइक एम्बुलेंस लाचार और बेबस है.

देवघरः सरकार स्वास्थ्य जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए लाखों खर्च कर रही है. इसी के तहत देवघर में स्वास्थ्य विभाग को इंडियन ऑयल की तरफ से 5 बाइक एम्बुलेंस दी गई थी. जिसका लाभ सावन महीने में श्रद्धालुओं को दिया गया. जिसके बाद पांचों बाइक एम्बुलेंस अब सिविल सर्जन कार्यालय के नीचे पानी और धूल फांक रही हैं.

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बता दें कि 5 में से 2 बाइक एंबुलेंस अपनी जगह तो जरूर भेज दी गई हैं, लेकिन अब भी 3 बाइक एम्बुलेंस पानी और धूल फांकने को मजबूर हैं. इन बाइक एम्बुलेंस के पहिए में न हवा है और न ही इसकी देख-रेख हो रही है. जब ईटीवी भारत ने इस बाबत सिविल सर्जन से पूछा तो उन्होंने कहा कि इंडियन ऑयल ने 5 बाइक एम्बुलेंस सावन महीने में दिया था. उन्होंने बताया कि विभागीय उदासीनता के कारण अबतक 3 महीने में महज 2 ही एम्बुलेंस को ही गांव पहुंचाया गया.

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बहरहाल, बाइक एम्बुलेंस एक ऐसी व्यवस्था है जहां बड़ी एम्बुलेंस नहीं जा सकती है. वहां बाइक एम्बुलेंस आसानी से जा सकती है. लोगों को इसकी सुविधा मिल सकती है. मगर विभागीय लापरवाही के कारण बिना देख-रेख के आज लाखों की बाइक एम्बुलेंस लाचार और बेबस है.

Intro:देवघर सावन महीने में सदर अस्पताल को मिली थी पांच बाइक एम्बुलेंस,अब रखे रखे फांक रही है धूल।


Body:एंकर देवघर सरकार जहां एक ओर स्वास्थ्य के प्रति काफी गंभीर है। और सरकार जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए लाखों खर्च कर रहे है। ऐसे में बात करे देवघर की तो स्वास्थ्य बिभाग को इंडियन ऑयल के तरफ से पांच बाइक एम्बुलेन्स दिया गया था। जिसका भरपूर उपयोग सावन महीने में श्रद्धालुओं को दिया गया।जिसके बाद पांचो बाइक एम्बुलेन्स अब सिविल सर्जन कार्यालय के नीचे पानी और धूल फांक रही है। जी है पांच बाइक एम्बुलेन्स में से दो बाइक एम्बुलेन्स को अपनी जगह तो जरूर भेज दिया गया है। मगर अब भी तीन बाइक एम्बुलेंस पानी और धूल फांकने को मजबूर है। जी हाँ आप खुद देख सकते है इस बाइक एम्बुलेंस की क्या स्थिति है न ही बाइक के पहिये में हवा है और ना ही इसका कोई देख रेख करने वाला। ऐसे में जब ईटीवी भारत द्वारा इस बाबत सिविल सर्जन से जवाब तलब किया गया तो इनका कहना है कि इंडियन ऑयल द्वारा दिया गया पांच बाइक एम्बुलेन्स को सावन माह में दिया गया था जिसके बाद जिस ओर इंडियन ऑयल की पाइप लाइन गुजरी है जिसको चिन्हित कर उस गांव में भेजा जाएगा मगर तीन महीने में महज दो ही एम्बुलेन्स अपनी जगह पहुच पाई है और तीन अभी भी विभागीय उदासीनता के कारण आज भी पानी धूप धूल खाने को मजबूर है।


Conclusion:बहरहाल,बाइक एम्बुलेंस एक ऐसा व्यवस्था है जहां बड़ी एम्बुलेन्स नही जा सकती है वहां बाइक एम्बुलेन्स आसानी से जा सकती है और लोगो को इसकी सुविधा मिल सकती है। मगर बिभागीय लापरवाही के कारण बिना देख रेख के आज लाखो की बाइक एम्बुलेन्स लाचार ओर बेबस है। अब देखना यह है कि आखिर बिभाग की नींद कब खुलती है और लोगो को बाइक एम्बुलेन्स की सुविधा मिल पाती है या फिर ऐसे ही लाचार ओर बेबस पड़ी रहेगी।

बाइट डॉ विजय कुमार,सिविल सर्जन।
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