देवघर: आज सावन की दूसरी सोमवारी है और देवाधिदेव की नगरी देवघर में आस्था का महासैलाब उमड़ पड़ा है. बाबा बैद्यनाथ की नगरी में हर तरफ सिर्फ 'हर-हर महादेव' और 'बोल-बम' का नारा गूंज रहा है. कहीं छोटू बम तो कहीं मोटू बम, कहीं माता बम तो कहीं भैया बम, जहां तक नजर जाती है सिर्फ बम ही बम नजर आता है. हर किसी की जुबान से 'बोल बम का नारा है, बाबा एक सहारा है' का नारा निकल रहा है.
आज सावन की दूसरी सोमवारी के मौके पर बाबा धाम में आस्था का जनसैलाब उमड़ा है. 105 किलोमीटर पैदल यात्रा कर देवनगरी पहुंचे कांवरियों का उत्साह देखने लायक है. कांवरियों के पैरों में छाले पड़े है, लेकिन भोले की भक्ति और आस्था तो देखिए उनके चेहरे पर दर्द और थकान का नामों निशान तक नहीं दिखता है. आज सावन की दूसरी सोमवारी है और आज के दिन भोलेनाथ को जलार्पण करने वालों पर भोलेनाथ की विशेष कृपा होती है. यही वजह है कि तमाम कांवरिये बीती रात से ही कतार में खड़े रहकर भोलेनाथ पर जलार्पण के लिए अपनी बारी का इंतजार करते नजर आ रहे हैं.
बिष्णु-पुराण में वर्णीत है कि सावन के महीने में ही समुन्द्र मंथन हुआ था और प्रत्येक सोमवारी को विशेष रत्नों की प्राप्ति हुई थी. वहीं, दूसरी सोमवारी को यानी आज के दिन ऐरावत हाथी की प्राप्ति हुई थी और आज के दिन ही भोलेनाथ को जलार्पण करने से लोगों के भाग्य में तेजी आती है. आज के दिन गंगाजल और बेल-पत्र से भोलेनाथ का जलाभिषेक करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. बाबाधाम में चारों तरफ बोलबम की ही नारे गूंज रही है.
एक अनुमान के मुताबिक दूसरी सोमवारी के दिन करीब 3 लाख भक्त देवनगरी पहुंचे है और जिला प्रशासन ने इस दफे भी कावरियों के लिए सुलभ जलार्पण के साथ सुरक्षा के बेहतर इंतजाम किए हैं. 105 किलोमीटर की विश्व की सबसे लंबी पैदल यात्रा और सबसे लंबे दिनों तक चलने वाले इस मेले में अभी तक 15 लाख से ज्यादा शिवभक्त भोलेनाथ को जलार्पण कर चुके है, जबकि मेले का अभी तक दूसरा हफ्ता ही बीता है. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि मेले के समापन तक करीब 70 लाख कांवरिया शिवशम्भु को जलार्पण कर पाएंगे.
ये भी पढ़ं-शिवगंगा के पास से हटाया गया अवैध अतिक्रमण, दुकानें न लगाने की दी सख्त हिदायत
वहीं, आज की सोमवारी को लेकर पुलिस अधीक्षक नरेंद्र कुमार सिंह की माने तो तीन लाख की संख्या में श्रद्धालु देव नगरी पहुंचे हैं. वे क्युकॉम्प्लेक्स के माध्यम से बाबा मंदिर और पार्वती मंदिर की गर्व गृह तक पहुंचेंगे और अर्घा सिस्टम के माध्यम से जलार्पण करेंगे. ऐसे भक्त जो निशक्त ओर असहाय है उनके लिए बाह्य अर्घा सिस्टम की व्यवस्था की गई है.