चतरा: शहर के चर्चित वट सावित्री पूजा स्थल में अचानक आग गई. आग लगने से वट वृक्ष के समक्ष मौजूद लोगों में अफरा तफरी मच गई. घटना को लेकर मिली जानकारी के अनुसार चतरा शहर के गंदौरी मंदिर स्थित वट वृक्ष के समक्ष आज वट सावित्री पूजा को लेकर महिलाएं पूजा करने के लिए पहुंची थीं. पूजा करने के दौरान महिलाओं ने अगरबत्ती जलाई थी. इसी दौरान महिलाओं के जलाए गए अगरबत्ती से वट वृक्ष में बांधे गए धागे में आग लग गई और देखते ही देखते आग तेजी से फैलने लगी. आग को फैलता देख वट वृक्ष के समक्ष पूजा करने के लिए मौजूद पूजा व्रतियों में अफरा तफरी मच गई. जिसके बाद मौके पर मौजूद लोगों ने तुरंत तत्परता दिखाते हुए बाल्टी के सहारे पानी छिड़ककर आग पर काबू पाया. जिसके बाद सभी लोगों ने राहत की सांस ली.
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रांची में वट सावित्री की पूजाः उधर रांची में भी महिलाओं ने वट सावित्री की पूजा की. रांची के अलग-अलग इलाकों में महिलाओं ने वट वृक्ष की विधि-विधान से पूजा अर्चना की. अपने पति की लंबी उम्र की कामना की. वहीं कई महिलाओं ने अपने घर में ही वट वृक्ष की डाली लगाकर उसकी पूजा की.
दुमका मेें वट सावित्री पूजाः झारखंड की उपराजधानी दुमका में भी आज सुहागिन महिलाएं वट सावित्री की पूजा कर रही हैं. मंदिरों या अन्य कहीं जहां बरगद के पेड़ हैं, उसके नीचे महिलाएं पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना कर लाल सूत लेकर वट वृक्ष की परिक्रमा कर उसमें गठबंधन कर रही हैं. महिलाओं में काफी उत्साह नजर आ रहा है. खास तौर पर नवविवाहिता सोलह श्रृंगार कर पूजा करने पहुंची हैं. महिलाएं आपस में एक दूसरे को सिंदूर लगाकर एक दूसरे को वट सावित्री व्रत की बधाई भी दे रही हैं.
धनबाद में वट सावित्री की पूजाः कोयलांचल में सुहागिनों ने अपने पति की लंबी उम्र के लिए वट वृक्ष की पूजा की. कोयलांचल के विभिन्न क्षेत्रों में वट वृक्ष के नीचे सुहागिनों की भीड़ देखने को मिली. मौका था अपने पति की लंबी उम्र के लिए वट सावित्री पूजन का. सुहागिनों ने अखंड सुहाग के लिए वट सावित्री की पूजा की. वट वृक्ष के नीचे पुरोहितों से सावित्री सत्यवान की कथा सुनी गई. वहीं एक दूसरे को सिंदूर लगा कर पति की लंबी आयु और सुख शांति की कामना की गई.
जामताड़ा में वट सावित्री की पूजाः जामताड़ा में वट वृक्ष के नीचे सुहागिन महिलाओं की भीड़ उमड़ी. वट सावित्री पूजा को लेकर जामताड़ा में सुहागिन महिलाओं ने वट वृक्ष के नीचे पूजा अर्चना की. परिक्रमा परंपरा अनुसार किया, कथा सुना, पूजा-अर्चना की और अपने पति के दीर्घायु के लिए प्रार्थना की.
बोकारो में महिलाओं ने की पूजाः बोकारो में भी वट सावित्री की पूजा की जा रहा है. सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रख विधि-विधान से पूजन-अर्चना की. धार्मिक मान्यता के अनुसार, माता सावित्री अपने पति के प्राणों को यमराज से छुड़ाकर ले आई थीं. ऐसे में महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु के लिए इस व्रत को रखती हैं. वट सावित्री व्रत में प्राचीन समय से बरगद के पेड़ की पूजा करने की परंपरा चली आ रही है. इसमें एक पौराणिक कथा भी जुड़ी है. ऐसा माना जाता है कि बरगद के वृक्ष में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का वास होता है. इसकी पूजा करने से पति के दीर्घायु होने के साथ ही उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है.
निरसा में वट सावित्री की पूजाः सनातन धर्म में व्रतों का बड़ा महत्व है. पति की दीर्घायु के लिए रखा जाने वाला वट सावित्री व्रत भी इसी में से एक व्रत है. सुहागिन महिलाओं की ओर से ज्येष्ठ माह की अमावस्या को यह उपवास रखा जाता है. निरसा में भीषण गर्मी को देखते हुए वट सावित्री पूजा करने वाली महिलाएं सुबह-सुबह लाल जोड़े में तैयार होकर पूजन करने के लिए धातु के बने बर्तन व बांस की टोकरी में पूजन सामग्री के साथ वट वृक्ष के नीचे पहुंची. पति की मंगल कामना और दीर्घायु होने के लिए कामना के साथ मंगल धागा वट वृक्ष पर बांधा. ज्यादातर महिलाएं 16 श्रृंगार कर पूजन के लिए पति और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ पहुंचीं.