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चतरा के विकास योजनाओं में बह रही भ्रष्टाचार की बयार! 8 सालों से अधूरा है छात्रावास भवन - असामाजिक तत्वों का ठिकाना

चतरा के सिमरिया अनुमंडल में सरकारी उदासीनता के कारण विकास कार्यों की करोड़ों रुपए बर्बाद होते नजर आ रहे हैं. कल्याण विभाग की ओर से गरीब छात्रों के लिए बनाया जा रहा छात्रावास भवन पिछले 8 सालों से अधूरा पड़ा है. जो अब असामाजिक तत्वों का शरणस्थली बन चुका है.

students Hostel building has been incomplete for last eight years in chatra
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Published : Jan 10, 2020, 11:46 AM IST

चतरा: विकास कार्यों के लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च करती है, ताकि समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास की योजनाएं पहुंच सके. लेकिन सरकार और जनता के बीच बैठे हुकमरानों की उदासीनता के कारण विकास की योजनाएं अंतिम लोगों तक नहीं पहुंच पाती है.

देखें पूरी खबर

सशक्त समाज के निर्माण में शिक्षा का अहम रोल होता है. इसके लिए समाज के गरीब से गरीब तबके के बच्चों तक शिक्षा को पहुंचाना हमारे समाज और सरकार की कर्तव्य होता है. इसके लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर छात्रों के हित के लिए कई योजनाएं बनाती है, जो उनके शिक्षा और विकास में सहायक होता है. लेकिन सरकारी पैसे की लूट और प्रशासनिक उदासीनता के कारण यह कार्य अधूरा रह जाता है. कुछ इसी तरह का मामला चतरा के सिमरिया में देखने को मिल रहा है. दरअसल सिमरिया अनुमंडल में छात्रों की सुविधा के लिए छात्रावास का निर्माण कराया जाना था. जिसके लिए सरकार आज से करीब 8 साल पहले करोड़ों रुपए खर्च करके छात्रावास निर्माण कार्य शुरू करवाई थी. लेकिन इतने साल बीत जाने के बाद भी यह योजना पूरी नहीं हो सकी और अब छात्रावास के अधूरे निर्मित भवन में असामाजिक तत्वों का शरणस्थली बन चुका है.

अर्धनिर्मित छात्रावास भवन बन चुका है असामाजिक तत्वों का ठिकाना

चतरा के सिमरिया अनुमंडल में अर्धनिर्मित छात्रावास का निर्माण कल्याण विभाग की ओर से कराई जा रही है. लेकिन बदहाली यह है कि इस छात्रावास का निर्माण बिना किसी योजना का ही बनाया गया है और 8 साल गुजर जाने के बाद भी यह अधूरा है. सरकारी अफसरों की उदासीनता यह है कि पिछले 4 सालों से इस छात्रावास भवन में एक ईट भी नहीं जोड़ा गया है और ना ही इसको कोई देखने वाला है. जिसके कारण इस भवन में असामाजिक तत्वों का आसियाना बन चुका है और आए दिन छात्रावास के अधूरे भवन से ईंट और छड़ को भी चोर-उच्चके निकालते जा रहे हैं.

लाखों रुपए से बना भवन हो रहा बर्बाद

सरकार की इस योजना का उद्देश्य चतरा जिले के गरीब छात्रों को हॉस्टल की सुविधा उपलब्ध कराना था, ताकी छात्रावास में रहकर गरीब छात्र अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकें. बता दें कि कल्याण विभाग का यह छात्रावास शिक्षण महाविद्यालय और अनुसूचित जनजाति बालिका उच्च विद्यालय में बनाया जाना था. दोनों छात्रावास निर्माण की प्राक्कलित राशि 95 से 95 लाख रुपए था. इसके अलावा बानासाड़ी स्थित परियोजना बालिका उच्च विद्यालय में 95 लाख का एक अन्य छात्रावास बनाया जाना था, लेकिन सभी योजनाएं अधूरी पड़ी हुई हैं और वह धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त हो रही हैं.

इसे भी पढ़ें- रिम्स की घटना को कांग्रेस ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण, कहा- पिछले 5 सालों की कार्यशैली में बदलाव की जरुरत

अब जिम्मेवार कर रहे कार्रवाई की बात

इस पूरे मामले को लेकर जब ईटीवी भारत की टीम ने प्रखंड विकास पदाधिकारी अमित मिश्रा से बात की तो उन्होंने कहा कि मामला संज्ञान में आया है. छात्रावास का निर्माण कार्य अब तक अधूरा क्यों है, इस पर जांच किया जाएगा और इस मामले में जो भी दोषी पाए जाएंगे उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. अब सवाल यह है कि आम लोगों की मेहनत की कमाई का पैसा सरकारी योजनाओं में किस तरह बर्बाद हो रही हैं, इसको देखने वाले अफसरों को प्रवाह नहीं है. पिछले 8 सालों में ना जाने कितनी बार सरकार बनी और बदली है. लेकिन यह महत्वाकांक्षी और जरुरी योजना धरातल पर नहीं उतर पाई. अगर यह योजना समय से पूरी हो जाती तो ना जाने कितने छात्र-छात्राओं को फायदा मिलता. फिलहाल सरकार और सरकारी अफसरों की नींद खुलते दिख रही है और कब तक यह योजना पूरा होता है, यह तो आने वाला समय ही बताएगा.

चतरा: विकास कार्यों के लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च करती है, ताकि समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास की योजनाएं पहुंच सके. लेकिन सरकार और जनता के बीच बैठे हुकमरानों की उदासीनता के कारण विकास की योजनाएं अंतिम लोगों तक नहीं पहुंच पाती है.

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सशक्त समाज के निर्माण में शिक्षा का अहम रोल होता है. इसके लिए समाज के गरीब से गरीब तबके के बच्चों तक शिक्षा को पहुंचाना हमारे समाज और सरकार की कर्तव्य होता है. इसके लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर छात्रों के हित के लिए कई योजनाएं बनाती है, जो उनके शिक्षा और विकास में सहायक होता है. लेकिन सरकारी पैसे की लूट और प्रशासनिक उदासीनता के कारण यह कार्य अधूरा रह जाता है. कुछ इसी तरह का मामला चतरा के सिमरिया में देखने को मिल रहा है. दरअसल सिमरिया अनुमंडल में छात्रों की सुविधा के लिए छात्रावास का निर्माण कराया जाना था. जिसके लिए सरकार आज से करीब 8 साल पहले करोड़ों रुपए खर्च करके छात्रावास निर्माण कार्य शुरू करवाई थी. लेकिन इतने साल बीत जाने के बाद भी यह योजना पूरी नहीं हो सकी और अब छात्रावास के अधूरे निर्मित भवन में असामाजिक तत्वों का शरणस्थली बन चुका है.

अर्धनिर्मित छात्रावास भवन बन चुका है असामाजिक तत्वों का ठिकाना

चतरा के सिमरिया अनुमंडल में अर्धनिर्मित छात्रावास का निर्माण कल्याण विभाग की ओर से कराई जा रही है. लेकिन बदहाली यह है कि इस छात्रावास का निर्माण बिना किसी योजना का ही बनाया गया है और 8 साल गुजर जाने के बाद भी यह अधूरा है. सरकारी अफसरों की उदासीनता यह है कि पिछले 4 सालों से इस छात्रावास भवन में एक ईट भी नहीं जोड़ा गया है और ना ही इसको कोई देखने वाला है. जिसके कारण इस भवन में असामाजिक तत्वों का आसियाना बन चुका है और आए दिन छात्रावास के अधूरे भवन से ईंट और छड़ को भी चोर-उच्चके निकालते जा रहे हैं.

लाखों रुपए से बना भवन हो रहा बर्बाद

सरकार की इस योजना का उद्देश्य चतरा जिले के गरीब छात्रों को हॉस्टल की सुविधा उपलब्ध कराना था, ताकी छात्रावास में रहकर गरीब छात्र अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकें. बता दें कि कल्याण विभाग का यह छात्रावास शिक्षण महाविद्यालय और अनुसूचित जनजाति बालिका उच्च विद्यालय में बनाया जाना था. दोनों छात्रावास निर्माण की प्राक्कलित राशि 95 से 95 लाख रुपए था. इसके अलावा बानासाड़ी स्थित परियोजना बालिका उच्च विद्यालय में 95 लाख का एक अन्य छात्रावास बनाया जाना था, लेकिन सभी योजनाएं अधूरी पड़ी हुई हैं और वह धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त हो रही हैं.

इसे भी पढ़ें- रिम्स की घटना को कांग्रेस ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण, कहा- पिछले 5 सालों की कार्यशैली में बदलाव की जरुरत

अब जिम्मेवार कर रहे कार्रवाई की बात

इस पूरे मामले को लेकर जब ईटीवी भारत की टीम ने प्रखंड विकास पदाधिकारी अमित मिश्रा से बात की तो उन्होंने कहा कि मामला संज्ञान में आया है. छात्रावास का निर्माण कार्य अब तक अधूरा क्यों है, इस पर जांच किया जाएगा और इस मामले में जो भी दोषी पाए जाएंगे उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. अब सवाल यह है कि आम लोगों की मेहनत की कमाई का पैसा सरकारी योजनाओं में किस तरह बर्बाद हो रही हैं, इसको देखने वाले अफसरों को प्रवाह नहीं है. पिछले 8 सालों में ना जाने कितनी बार सरकार बनी और बदली है. लेकिन यह महत्वाकांक्षी और जरुरी योजना धरातल पर नहीं उतर पाई. अगर यह योजना समय से पूरी हो जाती तो ना जाने कितने छात्र-छात्राओं को फायदा मिलता. फिलहाल सरकार और सरकारी अफसरों की नींद खुलते दिख रही है और कब तक यह योजना पूरा होता है, यह तो आने वाला समय ही बताएगा.

Intro:चतरा: विकास योजनाओं में बह रही भ्रष्टाचार की बयार, दोषी कौन?

चतरा: सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है ताकि छात्राओं की पढ़ाई में मदद मिल सके। लेकिन सरकारी पैसे की लूट और प्रशासनिक उदासीनता अगर आपको देखना हो तो चतरा आना होगा। दरअसल सिमरिया अनुमंडल में पैसा खर्चा करने के बाद भी छात्रों को सुविधा देने के लिए बन रहा छात्रावास आठ सालों में भी पूरा नहीं हो सका है। आलम यह है कि अर्द्धनिर्मित भवन असामाजिक तत्वों का शरण स्थली बनती जा रही है। जिससे लेकर स्थानीय लोगों में सरकार के रवैये के प्रति खासी नाराजगी है।

1. बाईट: स्थानीय ग्रामीण
2. बाईट: स्थानीय ग्रामीण
3. बाईट: प्रखंड विकास पदाधिकारी, अमित मिश्राBody:यह छात्रावास कल्याण विभाग बना रही है। भवन बिना किसी योजना के ही बनाया जा रहा है और बिना योजना का बना यह भवन 8 सालों बाद भी आखिर अधूरा ही रह गया। चार वर्षों से छात्रावास में एक ईट भी नहीं जोड़ा गया है। यह भवन बनने से पहले ही उजड़ता जा रहा है। चोर-उच्चके कभी इसकी ईट तो कभी लोहा उखाड़ कर ले जा रहे हैं। योजना का उद्देश्य यहां के छात्रों को हॉस्टल के सुविधा उपलब्ध कराना था। बता दें कि कल्याण विभाग का यह छात्रावास शिक्षण महाविद्यालय में और दूसरा अनुसूचित जनजाति बालिका उच्च विद्यालय में बनाया जाना था। दोनों छात्रावास निर्माण की प्राक्कलित राशि 95-95 लाख रुपया है। इसके अलावा बानासाड़ी के परियोजना बालिका उच्च विद्यालय में 95 लाख का एक अन्य छात्रावास बनना था, लेकिन सभी योजनाएं अधूरी पड़ी हुई और क्षतिग्रस्त हो रही है। Conclusion:मामले को लेकर जब ईटीवी भारत की टीम ने प्रखंड विकास पदाधिकारी अमित मिश्रा से बात की तो उन्होंने कहा कि मामला संज्ञान में आ गया है। छात्रावास का निर्माण कार्य अब तक अधूरा क्यों है इस पर जांच कर जो भी दोषी पाए जाएंगे उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अब सवाल यह है कि आम लोगों की गाढ़ी कमाई की किस तरह बर्बादी की जा रही है। आठ सालों में ना जाने कितनी बार सरकारे बनी और बदली। लेकिन यह महत्वाकांक्षी योजना धरातल पर नहीं उतरी अगर यह योजना धरातल पर उतरती तो ना जाने कितने छात्राओं को फायदा मिलता। अब यह देखने वाली बात होगी सरकार की नींद कब खुलती है और कब यह भवन बनकर तैयार होता है।

मोहम्मद अरबाज ईटीवी भारत चतरा
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