चतरा: पूरे भारत में लड़कियों को शिक्षित बनाने और उन्हें बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसी कई महत्वाकांक्षी योजनाएं चला रहे हैं, लेकिन इन योजनाओं की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. नन्हीं रेशमी ने10 महीने विद्यालय में पढ़ाई की, लेकिन अब वह सड़कों पर भटकने के लिए मजबूर हो गई है. वजह रेशमी के नामांकन और कागजातों को अधूरा बताकर उसे स्कूल से निकाल दिया गया.
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शिक्षकों के करतूतों के कारण रेशमी किसी भी विद्यालय में पढ़ने के योग्य नहीं है. मार्च से मार्च सत्र होने के कारण उक्त छात्रा का एक साल यूंही बर्बाद हो गया. वहीं, विद्यालय के प्राचार्य मनोज कुमार का कहना है कि छात्रा का नामांकन नहीं हुआ था. तत्कालीन प्राचार्य ने किस आधार पर छात्रा को विद्यालय में रखा था, ये वही बता सकते हैं.