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बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ  को लग रहा पलीता, मामूली वजह बता मासूम को स्कूल से निकाला - छात्रा को स्कूल से निकाला

यूं तो बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के नारे आपने खूब सुने होंगे. लेकिन यहां एक बेटी को10 महीने स्कूल में रखकर, सत्र के बीच में ही नामांकन अधूरा होने का कारण देकर स्कूल से निकाल दिया गया. अब यह बेटी सड़कों पर भटकने के लिए मजबूर है. ऐसे वक्त में अब वह कहीं नामांकन भी नहीं करा सकती है. अब यह बेटी शिक्षा से दूर हो गई है.

student expelled from school
स्कूल से निकाले जाने के बाद रेशमी
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Published : Dec 10, 2019, 12:17 PM IST

चतरा: पूरे भारत में लड़कियों को शिक्षित बनाने और उन्हें बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसी कई महत्वाकांक्षी योजनाएं चला रहे हैं, लेकिन इन योजनाओं की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. नन्हीं रेशमी ने10 महीने विद्यालय में पढ़ाई की, लेकिन अब वह सड़कों पर भटकने के लिए मजबूर हो गई है. वजह रेशमी के नामांकन और कागजातों को अधूरा बताकर उसे स्कूल से निकाल दिया गया.

देखें पूरी खबर
यह मामला चतरा जिले के सिमरिया अनुमंडल स्थित अनुसूचित प्राथमिक विद्यालय सिमरिया का है.उक्त छात्रा अनुमंडल के बेलगड्डा गांव निवासी विक्रम पासवान की बेटी है. रेशमी के माता देवंती देवी ने बताया कि 10 महीने पहले मार्च महीने में विद्यालय में उसने अपनी बेटी का नामांकन करवाया गया था. कुछ दिन पहले आए नए प्राचार्य ने छात्रा के कागजात और नामांकन को अधूरा बताते हुए उसे विद्यालय से निकाल दिया. जिसके कारण वह सड़कों पर भटकने के लिए मजबूर हो गई है. दिसंबर के महीने में किसी भी विद्यालय में नामांकन की प्रक्रिया नहीं चलती है.

ये भी पढ़ें- रिम्स के मिलेगी इंटरकॉम की सुविधा, मरीजों के इलाज में होगी आसानी

शिक्षकों के करतूतों के कारण रेशमी किसी भी विद्यालय में पढ़ने के योग्य नहीं है. मार्च से मार्च सत्र होने के कारण उक्त छात्रा का एक साल यूंही बर्बाद हो गया. वहीं, विद्यालय के प्राचार्य मनोज कुमार का कहना है कि छात्रा का नामांकन नहीं हुआ था. तत्कालीन प्राचार्य ने किस आधार पर छात्रा को विद्यालय में रखा था, ये वही बता सकते हैं.

चतरा: पूरे भारत में लड़कियों को शिक्षित बनाने और उन्हें बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसी कई महत्वाकांक्षी योजनाएं चला रहे हैं, लेकिन इन योजनाओं की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. नन्हीं रेशमी ने10 महीने विद्यालय में पढ़ाई की, लेकिन अब वह सड़कों पर भटकने के लिए मजबूर हो गई है. वजह रेशमी के नामांकन और कागजातों को अधूरा बताकर उसे स्कूल से निकाल दिया गया.

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यह मामला चतरा जिले के सिमरिया अनुमंडल स्थित अनुसूचित प्राथमिक विद्यालय सिमरिया का है.उक्त छात्रा अनुमंडल के बेलगड्डा गांव निवासी विक्रम पासवान की बेटी है. रेशमी के माता देवंती देवी ने बताया कि 10 महीने पहले मार्च महीने में विद्यालय में उसने अपनी बेटी का नामांकन करवाया गया था. कुछ दिन पहले आए नए प्राचार्य ने छात्रा के कागजात और नामांकन को अधूरा बताते हुए उसे विद्यालय से निकाल दिया. जिसके कारण वह सड़कों पर भटकने के लिए मजबूर हो गई है. दिसंबर के महीने में किसी भी विद्यालय में नामांकन की प्रक्रिया नहीं चलती है.

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शिक्षकों के करतूतों के कारण रेशमी किसी भी विद्यालय में पढ़ने के योग्य नहीं है. मार्च से मार्च सत्र होने के कारण उक्त छात्रा का एक साल यूंही बर्बाद हो गया. वहीं, विद्यालय के प्राचार्य मनोज कुमार का कहना है कि छात्रा का नामांकन नहीं हुआ था. तत्कालीन प्राचार्य ने किस आधार पर छात्रा को विद्यालय में रखा था, ये वही बता सकते हैं.

Intro:चतरा: नामांकन प्रपत्र अधूरा होने के कारण प्राचार्य ने छात्रा को विद्यालय से किया बाहर, शिक्षा से दूर हुई रेशमी

चतरा: पूरे भारत में लड़कियों को शिक्षित बनाने और उन्हें बचाने के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ नाम से लड़कियों के लिए कई योजनाएं चला रही है। लेकिन इस योजना की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। दस माह विद्यालय में अध्ययन करने के बाद अब सड़कों पर भटकने के लिए मजबूर हो गई है नन्हीं रेशमी। यह मामला चतरा जिले के सिमरिया अनुमंडल स्थित अनुसूचित प्राथमिक विद्यालय सिमरिया का है।

1. बाईट--- छात्रा के परिजन, देवंती देवी
2. बाईट--- उप प्रमुख के पति, सुग्रीव ठाकुर
Body:उक्त छात्रा अनुमंडल के बेलगड्डा गांव निवासी विक्रम पासवान की पुत्री है। रश्मि के माता देवंती देवी ने बताया कि दस माह पूर्व मार्च महीने में विद्यालय में अपने पुत्री का नामांकन करवाया गया था। दस माह बीत जाने के बाद जब विद्यालय में नए प्राचार्य ने अपना योगदान लिया तो उन्होंने इसके कागजात और नामांकन को अधूरा बताकर विद्यालय से निकाल दिये। जिसके कारण यह सड़कों पर भटकने के लिए मजबूर हो गई है। अब दिसंबर माह में किसी भी विद्यालय में नामांकन की प्रक्रिया नहीं चलती है। लिहाजा शिक्षकों के करतूतों के कारण रेशमी किसी भी विद्यालय में पढ़ने के लिए योग्य नहीं है। मार्च से मार्च सत्र होने के कारण उक्त छात्रा का एक वर्ष समय यूं ही बर्बाद हो गया।Conclusion:विद्यालय के प्रचार मनोज कुमार का कहना है कि इसका नामांकन नहीं लिया गया था और तत्कालीन प्राचार्य किस आधार पर इसे विद्यालय में रखे हुए थे यह वहीं बता सकते हैं। एक तरफ केंद्र और राज्य सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देती है। वहीं दूसरी तरफ उनके अधीन रहने वाले कर्मचारी और शिक्षक इस नारे को ठेंगा दिखा रहे हैं।

मोहम्मद अरबाज ईटीवी भारत चतरा
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