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'कैद' में सिमरिया का सुलभ शौचालय, जनता के लिए बना चुनावी मुद्दा - सिमरिया की जनता परेशान

स्वच्छ भारत अभियान के तहत देश के सभी गांवों को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए घर-घर शौचालय बनवाए जा रहे हैं. सरकार इसको लेकर अरबों रुपए खर्च भी कर चुकी है, लेकिन कुछ जिम्मेवार लोगों की लापरवाही के कारण चतरा जिले की सिमरिया प्रखंड मुख्यालय के परिसर में बना सुलभ शौचालय पिछले 4 सालों से जंग खा रहा है. अब यह लोगों के लिए चुनावी मुद्दा बन चुका है.

Simaria sulabh toilet has been closed for the last four years
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Published : Dec 5, 2019, 10:39 AM IST

चतरा: केंद्र सरकार की स्वच्छ भारत मिशन के तहत प्रत्येक घर में शौचालय बनाने के लिए अरबों रुपए खर्च कर चुकी है. बाहर शौच के लिए कोई नहीं जाए इसके लिए दंड का प्रावधान भी है, लेकिन जिले के जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारी और जनप्रतिनिधि इसको लेकर केवल दिखावा कर रहे हैं.

देखें पूरी खबर

स्वच्छ भारत अभियान के तहत ग्राम पंचायतों को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए घर-घर शौचालय बनवाए जा रहे हैं. सरकार इसे लेकर अरबों रुपए खर्च भी कर चुकी है, लेकिन कुछ जिम्मेवार लोगों की लापरवाही के कारण चतरा जिले की सिमरिया प्रखंड मुख्यालय के पास बना सुलभ शौचालय लोगों के लिए सिर्फ नाम का ही है. 4 साल पहले लाखों रुपए से बनकर तैयार यह सुलभ शौचालय आजतक लोगों के काम नहीं आ सकी है. अब राज्य में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यह लोगों के लिए चुनावी मुद्दा भी बन चुका है. स्वच्छ भारत मिशन के तहत केंद्र सरकार ने करोड़ों शौचालयों का निर्माण कराया है.

पीएम मोदी के साथ कई नेता स्वच्छता अभियान के तहत हाथ में झाड़ू लेकर फोटो तो खिचाते हैं, लेकिन इस योजना के मूल उद्देश्य को वे भूल जाते हैं. चतरा जिले के सिमरिया अनुमंडल में स्वच्छता अभियान की पिछले कई सालों से धज्जियां उड़ रही है, लेकिन स्वच्छता की बखान करने वाले नेता सिमरिया के लोगों का दर्द नहीं समझ रहे हैं. सिमरिया बस स्टैंड के पास बना सुलभ शौचालय पिछले कई सालों से बंद है. इसके पास में ही बस स्टैंड है. जहां कई जिलों के हजारों लोग प्रतिदिन आते-जाते हैं. ऐसे में महिला यात्रियों को शौचालय नहीं होने से शर्मिदंगी झेलनी पड़ती है. वहीं, पास के सरकारी अस्पताल परिसर मैदान में गंदगी का अंबार लगा हुआ है. इन सभी मुद्दों को लेकर स्थानीय लोग इस विधानसभा चुनाव में अपना चुनावी मुद्दा बना रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- महागठबंधन के प्रचार के लिए तेजस्वी यादव पहुंचे रांची, कहा- BJP ने झारखंड को लूटने का किया काम

सरकारी उदासीनता के कारण शौचालय बनने के 4 साल बाद भी संचालित नहीं हो सका है. जिसके कारण लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. यहां के प्रशासनिक पदाधिकारियों को कई बार इस ओर ध्यान आकृष्ट कराया गया है, लेकिन सभी लोग अपने सरकारी उदासिनता को बनाए हुए हैं. सिमरिया अनुमंडल और क्षेत्र की मुख्य बाजार होने के चलते इन स्थानों पर रोजाना हजारों राहगीरों के साथ-साथ क्षेत्रीय जनता का आवागमन बना रहता है. ऐसे में सार्वजनिक शौचालय में ताले लगे होने की स्थिती में मजबूरन लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. अब सार्वजनिक स्थल ही खुले में शौच का स्थान बना हुआ है. जिसके कारण आसपास का इलाका काफी प्रदूषित हो चुका है. जिससे संक्रमण का भी खतरा हमेशा बना रहता है.

'कैद' में सिमरिया का सुलभ शौचालय, जनता के लिए बना चुनावी मुद्दा

चतरा: केंद्र सरकार की स्वच्छ भारत मिशन के तहत प्रत्येक घर में शौचालय बनाने के लिए अरबों रुपए खर्च कर चुकी है. बाहर शौच के लिए कोई नहीं जाए इसके लिए दंड का प्रावधान भी है, लेकिन जिले के जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारी और जनप्रतिनिधि इसको लेकर केवल दिखावा कर रहे हैं.

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स्वच्छ भारत अभियान के तहत ग्राम पंचायतों को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए घर-घर शौचालय बनवाए जा रहे हैं. सरकार इसे लेकर अरबों रुपए खर्च भी कर चुकी है, लेकिन कुछ जिम्मेवार लोगों की लापरवाही के कारण चतरा जिले की सिमरिया प्रखंड मुख्यालय के पास बना सुलभ शौचालय लोगों के लिए सिर्फ नाम का ही है. 4 साल पहले लाखों रुपए से बनकर तैयार यह सुलभ शौचालय आजतक लोगों के काम नहीं आ सकी है. अब राज्य में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यह लोगों के लिए चुनावी मुद्दा भी बन चुका है. स्वच्छ भारत मिशन के तहत केंद्र सरकार ने करोड़ों शौचालयों का निर्माण कराया है.

पीएम मोदी के साथ कई नेता स्वच्छता अभियान के तहत हाथ में झाड़ू लेकर फोटो तो खिचाते हैं, लेकिन इस योजना के मूल उद्देश्य को वे भूल जाते हैं. चतरा जिले के सिमरिया अनुमंडल में स्वच्छता अभियान की पिछले कई सालों से धज्जियां उड़ रही है, लेकिन स्वच्छता की बखान करने वाले नेता सिमरिया के लोगों का दर्द नहीं समझ रहे हैं. सिमरिया बस स्टैंड के पास बना सुलभ शौचालय पिछले कई सालों से बंद है. इसके पास में ही बस स्टैंड है. जहां कई जिलों के हजारों लोग प्रतिदिन आते-जाते हैं. ऐसे में महिला यात्रियों को शौचालय नहीं होने से शर्मिदंगी झेलनी पड़ती है. वहीं, पास के सरकारी अस्पताल परिसर मैदान में गंदगी का अंबार लगा हुआ है. इन सभी मुद्दों को लेकर स्थानीय लोग इस विधानसभा चुनाव में अपना चुनावी मुद्दा बना रहे हैं.

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सरकारी उदासीनता के कारण शौचालय बनने के 4 साल बाद भी संचालित नहीं हो सका है. जिसके कारण लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. यहां के प्रशासनिक पदाधिकारियों को कई बार इस ओर ध्यान आकृष्ट कराया गया है, लेकिन सभी लोग अपने सरकारी उदासिनता को बनाए हुए हैं. सिमरिया अनुमंडल और क्षेत्र की मुख्य बाजार होने के चलते इन स्थानों पर रोजाना हजारों राहगीरों के साथ-साथ क्षेत्रीय जनता का आवागमन बना रहता है. ऐसे में सार्वजनिक शौचालय में ताले लगे होने की स्थिती में मजबूरन लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. अब सार्वजनिक स्थल ही खुले में शौच का स्थान बना हुआ है. जिसके कारण आसपास का इलाका काफी प्रदूषित हो चुका है. जिससे संक्रमण का भी खतरा हमेशा बना रहता है.

Intro:चतरा: ताले की कैद में सिमरिया के सुलभ शौचालय, जनता परेशान, बना चुनावी मुद्दा

चतरा: स्वच्छ भारत मिशन के तहत केंद्र सरकार ने करोड़ों शौचालयों का निर्माण कराया। खुले में शौच मुक्त अभियान भी चलाया। पीएम मोदी ने गंदगी पर चोट करते हुए झाड़ू तक पकड़ ली। लेकिन चतरा जिले के सिमरिया अनुमंडल में स्वच्छता अभियान की धज्जियां उड़ाई जा रही है। हॉस्पिटल मैदान में भीषण गंदगी के साथ ही सिमरिया चौक पर स्थित सुलभ शौचालय में ताला जड़ा होना जनता के लिए बड़ी समस्या बना हुआ है। पुरुष तो जैसे तैसे अपना काम चला लेते हैं, लेकिन महिलाओं को इस मामले में खासी मुसीबत के साथ शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है। महिलाएं सुनसान इलाके में शौच के लिए जाने को विवश है।

1. बाईट--- स्थानीय, ग्रामीण
2. बाईट--- स्थानीय, ग्रामीण
3.बाईट--- स्थानीय, ग्रामीणBody:उक्त शौचालय में सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध है। लेकिन सरकारी उदासीनता के कारण शौचालय बने चार वर्ष बीत जाने के बाद भी संचालित नहीं हो सका। जिसके कारण लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यहां के प्रशासनिक पदाधिकारियों को कई बार इस महत्वपूर्ण बिंदु कर ध्यान आकृष्ट सरकारी मशीनरी को ज्ञापन आदि के माध्यम से अवगत कराने के साथ ही चुनावी मुद्दा भी बना लेकिन अब तक इस पर कोई पहल नहीं की गई है। सिमरिया अनुमंडल तथा क्षेत्र की मुख्य बाजार होने के चलते इन कस्बों में रोजाना हजारों राहगीरों के साथ क्षेत्रीय जनता का आवागमन बना रहता है। ऐसे में सार्वजनिक शौचालय में ताले लगे होने की स्थित में मजबूरन लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लोग सार्वजनिक स्थानों पर शौच आदि करते आसानी से देखे जा सकते हैं। जिससे कई बार असुविधा की स्थित उत्पन्न हो जाती है। Conclusion:ऐसे में सार्वजनिक स्थल ही खुले में शौच का स्थान बन गए हैं। जिनसे इलाका के प्रदूषित होने के साथ ही संक्रमण का खतरा भी बना रहता है। एक तरफ जहां प्रखंड क्षेत्र के घर घर में शौचालय है। वहीं सिमरिया चौक पर सुलभ शौचालय होते हुए भी ना होना बड़ी लापरवाही को दर्शाता है।

मोहम्मद अरबाज ईटीवी भारत चतरा
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