चतरा: जिले के सिमरिया प्रखंड के प्रकाश दिव्यांग है और वह प्रज्ञा केंद्र में कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर कार्यरत है. उन्होंने अपने जीवन के संघर्ष और चुनौतियों को स्वीकार करते हुए अपने हाथों को अपना विकल्प बना लिया. प्रकाश की काबिलियत ऐसी कि रोजाना स्कूटी चलाकर ड्यूटी पर पहुंचते हैं. प्रकाश अपनी मदद के लिए कभी दूसरों के आगे हाथ नहीं फैलाते. अपनी काबिलियत के दम पर वह अपना और अपने परिवार का भी भरण पोषण कर रहे हैं.
अटल इरादों की बदौलत ऊंचाइयों को छुआ
जन्म से ही निशक्त होने के बावजूद भी प्रकाश ने अपने अटल इरादों की बदौलत ऊंचाइयों को छुआ. अपने शरीर की कमजोरियों और आने वाली चुनौतियों को समझते हुए जिंदगी के हर इम्तिहान में पास होने का संकल्प लिया. उसके बाद संघर्ष करते रहा और कामयाबी उनके कदम चूमती रही. प्रकाश ने बताया कि उन्हें बचपन से ही आभास हो गया था कि वह अकेले कुछ नहीं कर सकते. उसे हर काम के लिए दूसरे की मदद लेनी पड़ेगी, बावजूद इसके उसने आत्मनिर्भर बनने का ठान लिया.
इसे भी पढ़ें- सीएम बोले- हमारा संविधान दुनिया में सर्वोत्तम, झारखंड में एनसीसी निदेशालय के लिए मांगी कार्ययोजना
बच्चों को सिखाया कंप्यूटर चलाना
प्रकाश ने मन में सोच लिया कि पढ़ाई के अलावा उसके पास कोई चारा नहीं है. प्रकाश ने पढ़ाई को ही अपना हथियार बनाया और अपने दोनों हाथों को अपना दोस्त बना लिया. उसके बाद उन्होंने अपनी शैक्षणिक जीवन के पहले पड़ाव में स्कूल में एडमिशन लिया तो स्कूल में पढ़ने वाले सहपाठी उसे देखकर हंसते थे, लेकिन सभी की बातों को नजर अंदाज करते हुए उन्होंने पढ़ाई में पुरजोर मेहनत करके 12वीं की परीक्षा पास की. उन्होंने अपने क्षेत्र के बच्चों को भी कंप्यूटर चलाना सिखाया, जिसे लेकर उन्हें कई बार सम्मानित भी किया गया.
हरसंभव मदद करने का भरोसा
प्रकाश के पिता जगदेव गंझु बताते हैं कि प्रकाश का झुकाव बचपन से ही पढ़ाई की ओर रहा है. उनका कहना है कि घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, उनके कमाए हुए पैसे से घर चलता है. वहीं, प्रखंड विकास पदाधिकारी ने प्रकाश की हुनर की तारीफ करते हुए कहा कि समाज के नौजवानों को सीख लेनी चाहिए. उन्होंने प्रकाश को हरसंभव मदद करने का भरोसा दिया.