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पंचायतों में तेज होगी विकास की धारा, रघुवर सरकार ने मुखियाओं को दिया ये बड़ा फैसला लेने का अधिकार

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Published : Jun 8, 2019, 6:15 AM IST

राज्य सरकार के नए नियम के मुताबिक मुखिया अपने पंचायत क्षेत्र में 2.5 लाख के बजाए अब 5 लाख रुपये तक की योजनाओं का चयन करके ऑन द स्पॉट प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान कर सकेंगे. इसके लिए उन्हें प्रखंड कार्यालय और जिला कार्यालय से सहमति लेने की जरूरत नहीं होगी.

रघुवर सरकार ने पंचायती राज व्यवस्था में किया संशोधन

चतरा: रघुवर कैबिनेट के नए फैसले ने पंचायती राज व्यवस्था को नई ऊर्जा दे दी है. ग्राम विकास के नाम पर अधिकारों और योजनाओं का रोना रोने वाले पंचायत प्रतिनिधियों और मुखिया को सरकार ने योजनाओं के चयन और प्रशासनिक स्वीकृति का अधिकार प्रदान कर आत्मनिर्भर बना दिया है.

वीडियो में देखें पूरी खबर

रघुवर कैबिनेट द्वारा मुखिया को 5 लाख रूपये तक की योजना का चयन और प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान करने का अधिकार मिलने से पंचायत प्रतिनिधि खासे उत्साहित हैं. पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास का यह निर्णय विकास की नई इबारत लिखेगा. सरकार के इस निर्णय के बाद जरूरतमंद लोगों को कार्यालयों का न तो अब चक्कर काटना पड़ेगा और न ही बाबुओं की पैरवी करनी होगी. अब सीधे उनके घर पर विकास की किरण मुखिया के माध्यम से पहुंचेगी.

दरअसल, राज्य सरकार के नए नियम के मुताबिक मुखिया अपने पंचायत क्षेत्र में 2.5 लाख के बजाए अब 5 लाख रुपये तक की योजनाओं का चयन करके ऑन द स्पॉट प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान कर सकेंगे. इसके लिए उन्हें प्रखंड कार्यालय और जिला कार्यालय से सहमति लेने की जरूरत नहीं होगी.

इधर, जिला प्रशासन अधिकारियों ने भी राज्य सरकार द्वारा मुखिया के अधिकारों के अपग्रेडेशन मिलने पर पंचायत प्रतिनिधियों को बधाई दी है. डीडीसी ने कहा कि अब मुखिया जरूरत के मुताबिक ना सिर्फ योजनाओं का चयन कर सकेंगे, बल्कि उन्हें शत प्रतिशत धरातल पर उतारने में वार्ड सदस्यों के माध्यम से अपनी भूमिका भी सुनिश्चित कराएंगे.

चतरा: रघुवर कैबिनेट के नए फैसले ने पंचायती राज व्यवस्था को नई ऊर्जा दे दी है. ग्राम विकास के नाम पर अधिकारों और योजनाओं का रोना रोने वाले पंचायत प्रतिनिधियों और मुखिया को सरकार ने योजनाओं के चयन और प्रशासनिक स्वीकृति का अधिकार प्रदान कर आत्मनिर्भर बना दिया है.

वीडियो में देखें पूरी खबर

रघुवर कैबिनेट द्वारा मुखिया को 5 लाख रूपये तक की योजना का चयन और प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान करने का अधिकार मिलने से पंचायत प्रतिनिधि खासे उत्साहित हैं. पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास का यह निर्णय विकास की नई इबारत लिखेगा. सरकार के इस निर्णय के बाद जरूरतमंद लोगों को कार्यालयों का न तो अब चक्कर काटना पड़ेगा और न ही बाबुओं की पैरवी करनी होगी. अब सीधे उनके घर पर विकास की किरण मुखिया के माध्यम से पहुंचेगी.

दरअसल, राज्य सरकार के नए नियम के मुताबिक मुखिया अपने पंचायत क्षेत्र में 2.5 लाख के बजाए अब 5 लाख रुपये तक की योजनाओं का चयन करके ऑन द स्पॉट प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान कर सकेंगे. इसके लिए उन्हें प्रखंड कार्यालय और जिला कार्यालय से सहमति लेने की जरूरत नहीं होगी.

इधर, जिला प्रशासन अधिकारियों ने भी राज्य सरकार द्वारा मुखिया के अधिकारों के अपग्रेडेशन मिलने पर पंचायत प्रतिनिधियों को बधाई दी है. डीडीसी ने कहा कि अब मुखिया जरूरत के मुताबिक ना सिर्फ योजनाओं का चयन कर सकेंगे, बल्कि उन्हें शत प्रतिशत धरातल पर उतारने में वार्ड सदस्यों के माध्यम से अपनी भूमिका भी सुनिश्चित कराएंगे.

Intro:पंचायतों में तेज होगी विकास की धारा, धरातल पर होगा योजनाओं का क्रियान्वयन....डे प्लान....पैकेज

चतरा : रघुवर कैबिनेट के नए निर्णय ने पंचायती राज व्यवस्था को नई ऊर्जा प्रदान कर दी है। ग्राम विकास के नाम पर अधिकारों और योजनाओं का रोना रोने वाले पंचायत प्रतिनिधियों और मुखिया को सरकार ने योजनाओं के चयन और प्रशासनिक स्वीकृति का अधिकार प्रदान कर आत्मनिर्भर बना दिया है। ऐसे में ना सिर्फ गांव की सरकार पूरे दमखम के साथ योजनाओं के सत प्रतिशत क्रियान्वयन और धरातल पर उतारने में ऊर्जा का निर्वहन करेगी बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले आम जनमानस व समाज के अंतिम व्यक्ति को भी सरकार के जन कल्याणकारी योजनाओं का शत प्रतिशत लाभ मिलेगा। रघुवर कैबिनेट द्वारा मुखिया को पांच लाख रूपये तक की योजना का चयन व प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान करने का अधिकार मिलने से पंचायत प्रतिनिधि खासे उत्साहित है। पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास का यह निर्णय विकास का नया आयाम लिखेगा। सरकार के इस निर्णय के बाद जरूरतमंद लोगों को कार्यालयों का न तो अब चक्कर काटना पड़ेगा और न ही बाबुओं को पैरवी। अब सीधे उनके घर का विकास की किरण मुखिया के माध्यम से पहुंचेगी। दरअसल राज्य सरकार के नए नियम के मुताबिक मुखिया अपने पंचायत क्षेत्र में ढाई के बजाय अब पांच लाख रुपये तक के योजनाओं का चयन व ऑन स्पॉट प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान कर सकेंगे। इसके लिए ना तो उन्हें प्रखंड कार्यालय की सहमति लेने की जरूरत होगी और ना जिला कार्यालय से। वे गांव में गठित लाभुक समिति से अनुमोदन लेकर योजनाओं का क्रियान्वयन करा सकेंगे।

बाईट : रीना सिंह -- मुखिया -- देवरिया पंचायत -- चतरा।

गौरतलब है कि मुखिया को अब तक ढाई लाख रुपए तक की योजना की प्रशासनिक स्वीकृति देने का अधिकार पंचायती राज व्यवस्था में थी। लेकिन सरकार के नए निर्देशों के अनुरूप प्रदेश के सभी मुखिया अपने पंचायत क्षेत्र में पांच-पांच लाख रुपये तक की योजना की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान कर सकेंगे। इसके तहत 14वें वित्त आयोग की राशि मुखिया वाटर टावर, लाइट और सड़क निर्माण पर खर्च कर सकेंगे।


इधर जिला प्रशासन के अधिकारियों ने भी राज्य सरकार द्वारा मुखिया के अधिकारों के अपग्रेडेशन मिलने पर पंचायत प्रतिनिधियों को बधाई दी है। डीडीसी ने कहा है कि अब मुखिया जरूरत के मुताबिक ना सिर्फ योजनाओं का चयन कर सकेंगे बल्कि उन्हें शत प्रतिशत धरातल पर उतारने में वार्ड सदस्यों के माध्यम से अपनी भूमिका भी सुनिश्चित कराएंगे। उन्हें ना तो अब पैसे की कमी होगी और ना ही अधिकारियों और कार्यालय हो के निर्देशों की आवश्यकता।

बाईट : मुरली मनोहर प्रसाद -- डीडीसी -- चतरा।


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