चतराः जिले के कोयलांचल के रूप में स्थापित टंडवा थाना क्षेत्र में संचालित सीसीएल की आम्रपाली कोल परियोजना अंतर्गत शिवपुर कोल साइडिंग में बीते रात हुए आउटसोर्सिंग कंपनी के सुपरवाइजर की गोली मारकर हत्या कर दी गई. इस मामले में सीसीएल प्रबंधन और आउटसोर्सिंग कंपनी के विरुद्ध ग्रामीणों का गुस्सा फूटा है.
जमकर विरोध प्रदर्शन
घटना के विरोध में आक्रोशित ग्रामीणों ने मृतक के आश्रितों को मुआवजा और सरकारी नौकरी देने की मांग को लेकर शिवपुर साइडिंग से कोल ट्रांसपोर्टिंग और डिस्पैच पूरी तरह से ठप करा दिया है. इतना ही नहीं मृतक के आश्रितों और ग्रामीणों ने सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों पर आउटसोर्सिंग कंपनी मां अंबे के इशारे पर सुपरवाइजर की गोली मारकर हत्या करने का भी गंभीर आरोप लगाया है. ग्रामीणों का आरोप है कि आउटसोर्सिंग कंपनी मां अंबे यहां स्थानीय लोगों को नौकरी नहीं देना चाहती. इसी उद्देश्य को साधने के चक्कर में क्षेत्र में दहशत फैलाने के उद्देश्य से कंपनी के कर्मियों की ओर से घटना को अंजाम दिलाया गया है. ग्रामीणों और मृतक के आश्रितों ने स्थानीय पुलिस पर मृतक के शव को भी छिपाने का आरोप लगाते हुए अविलंब शव परिजनों को सौंपने की मांग की है. गौरतलब है कि घटना के बाद पुलिस ने शव को बगैर ग्रामीणों की सहमति के घटनास्थल से उठा कर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया है. जिससे पुलिस और प्रबंधन के विरुद्ध ग्रामीणों का आक्रोश और भी उग्र हो गया है. मृतक के परिजनों ने सुपरवाइजर के हत्या के दौरान शिवपुर साइडिंग पर लगे लाइट और सीसीटीवी कैमरा बंद रहने पर भी सवाल खड़ा किया है.
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कोल ट्रांसपोर्टेशन पर लगा ब्रेक
सुपरवाइजर की हत्या के विरोध में आक्रोशित ग्रामीणों ने शिवपुर साइडिंग से कोयले का ट्रांसपोर्टेशन पूरी तरह से ठप करा दिया है. आक्रोशित ग्रामीण मृतक के आश्रितों को सरकारी मुआवजा और नौकरी देने के साथ-साथ हत्यारों की अविलंब गिरफ्तारी सुनिश्चित करने की मांग को लेकर साइडिंग परिसर में ही धरने पर बैठ गए हैं. ग्रामीणों के आंदोलन के बाद मौके से मां अंबे कंपनी एक कर्मी और पदाधिकारी फरार हो गए हैं.
ग्रामीणों को समझाने का प्रयास
हत्या के विरोध में आक्रोशित ग्रामीणों के आंदोलन की सूचना पाकर सिमरिया विधायक किशुन दास, आजसू नेता मनोज चंद्रा, कांग्रेस नेता पूर्व विधायक जोगेंद्र नाथ बैठा और जेवीएम नेता रामदेव सिंह भोक्ता मौके पर पहुंचकर आक्रोशित लोगों को समझाने बुझाने का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन ग्रामीण शांत होने के बजाय और भी उग्र होते जा रहे हैं. ग्रामीण मुआवजे के साथ-साथ आउटसोर्सिंग कंपनी के संचालक की गिरफ्तारी की मांग पर अड़े हैं.