चतरा: झारखंड की सरकार जहां विकास को लेकर काफी सजग है. वहीं अनुसूचित जनजाति गांव के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए महरूम हैं. उन्हें जुगाड़ तंत्र के माध्यम से ही अपनी जान बचानी पड़ती है. सरकार तो आम लोगों के लिए सड़क, स्वास्थ्य, बिजली और पानी देने की बात तो कर रही है, लेकिन चतरा में एक ऐसा गांव है जहां महज सड़क नहीं होने के कारण अनुसूचित जनजाति परिवार जुगाड़ तंत्र का इस्तेमाल कर मरीज को अस्पताल तक ले जाकर उसकी जान बचाते है.
नहीं बनी 5 किलोमीटर की सड़क
गांव से मुख्य मार्ग तक पहुंचने के लिए 5 किलोमीटर की सड़क आज तक नहीं बनी है. जिस कारण आए दिन ग्रामीणों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. अगर कोई ग्रामीण या गर्भवती महिला को अस्पताल ले जाना हो तो, उन्हें एकमात्र खटिया एंबुलेंस का ही सहारा लेना पड़ता है. वहीं समस्या को लेकर जब आज तक सड़क नहीं बनी और गांव से प्रखंड मुख्यालय तक जाने के लिए कोई विकल्प नहीं है. गांव के कुछ युवक समाज सेवा के माध्यम से यहां के मरीज को खटिया में लेटाकर उन्हें अस्पताल तक पहुंचाते हैं और मरीज का सहारा बनते है.
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गांव वालों की बढ़ रही समस्याएं
गांव के लोगों को सबसे दुख इस बात का है कि चतरा विधानसभा क्षेत्र के लोगों ने राज्य को श्रम, नियोजन और प्रशिक्षण सह कौशल विकास मंत्री दिया, लेकिन वहीं पर समस्याएं घटने के बजाय बढ़ती ही जा रही है. ग्रामीणों का कहना है कि कई बार स्थानीय विधायक, सांसद के अलावा प्रशासनिक अधिकारियों से गांव की समस्या से निजात दिलाने की अपील की गई है, लेकिन आज तक किसी ने प्रयास नहीं किया.