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बदहाली के आंसू रो रहा चतरा के सदर अस्पताल में बना हाईटेक बर्न वार्ड, नहीं है लाइफ सेविंग किट

चतरा में बर्न केस मामले में पीड़ित को उपचार व्यवस्था मुहैया कराने के उद्देश्य से 10 यूनिट का बर्न वार्ड बनाया गया, लेकिन आज यह अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. दरअसल वार्ड में गौज बैंडेज और जेली तक उपलब्ध नहीं है.

burn ward of sadar hospital in chatra
सदर अस्पताल
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Published : Dec 13, 2020, 7:53 PM IST

चतराः सदर अस्पताल में आगजनी के शिकार लोगों को समुचित चिकित्सा व्यवस्था मुहैया कराने के उद्देश्य से एक करोड़ 35 लाख की लागत से 10 यूनिट का बर्न वार्ड बनाया गया. जो आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है. हालात ऐसे हैं कि इस बर्न वार्ड में उपचार के नाम पर गौज बैंडेज और जेली तक नदारद हैं. ऐसे में अगर कोई भी बर्न का केस सदर अस्पताल आता है तो व्यवस्था के अभाव में उक्त मरीज की जान तड़प-तड़प कर निकल जाएगी या फिर उसे चिकित्सक सीधा रेफर कर देंगे.

देखें पूरी खबर

इसे भी पढ़ें- कांग्रेस ने जारी किया धरोहर श्रृंखला का 30वां वीडियो, मंत्री रामेश्वर उरांंव ने सोशल मीडिया पर किया पोस्ट

एयर कंडीशन, वेंटिलेटर सहित अन्य सुविधाओं से लैस
सदर अस्पताल में अगर किसी डॉक्टर ने उपचार करने का रिस्क उठाया तो जेली से लेकर गौज बैंडेज तक कि व्यवस्था उन्हें अपनी जेब से करना पड़ता है या फिर मरीज के परिजनों से लाने के लिए कहा जाता है. जिले की 10 लाख की आबादी को अप्रत्याशित बर्न जैसे केस मामले में पीड़ित को उपचार व्यवस्था मुहैया कराने के उद्देश्य से 10 यूनिट का बर्न वार्ड सदर अस्पताल परिसर में बनवाया गया. जो एयर कंडीशन, वेंटिलेटर सहित अन्य सुविधाओं से लैस है, लेकिन सिविल सर्जन और अस्पताल के उपाधीक्षक की लापरवाही के कारण यह बर्न वार्ड आंसू बहा रहा है. ऐसे में न सिर्फ मरीजों को परेशानी हो रही है बल्कि आए दिन स्वास्थ्य कर्मियों को भारी फजीहत का सामना करना पड़ रहा है.

चतराः सदर अस्पताल में आगजनी के शिकार लोगों को समुचित चिकित्सा व्यवस्था मुहैया कराने के उद्देश्य से एक करोड़ 35 लाख की लागत से 10 यूनिट का बर्न वार्ड बनाया गया. जो आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है. हालात ऐसे हैं कि इस बर्न वार्ड में उपचार के नाम पर गौज बैंडेज और जेली तक नदारद हैं. ऐसे में अगर कोई भी बर्न का केस सदर अस्पताल आता है तो व्यवस्था के अभाव में उक्त मरीज की जान तड़प-तड़प कर निकल जाएगी या फिर उसे चिकित्सक सीधा रेफर कर देंगे.

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सदर अस्पताल में अगर किसी डॉक्टर ने उपचार करने का रिस्क उठाया तो जेली से लेकर गौज बैंडेज तक कि व्यवस्था उन्हें अपनी जेब से करना पड़ता है या फिर मरीज के परिजनों से लाने के लिए कहा जाता है. जिले की 10 लाख की आबादी को अप्रत्याशित बर्न जैसे केस मामले में पीड़ित को उपचार व्यवस्था मुहैया कराने के उद्देश्य से 10 यूनिट का बर्न वार्ड सदर अस्पताल परिसर में बनवाया गया. जो एयर कंडीशन, वेंटिलेटर सहित अन्य सुविधाओं से लैस है, लेकिन सिविल सर्जन और अस्पताल के उपाधीक्षक की लापरवाही के कारण यह बर्न वार्ड आंसू बहा रहा है. ऐसे में न सिर्फ मरीजों को परेशानी हो रही है बल्कि आए दिन स्वास्थ्य कर्मियों को भारी फजीहत का सामना करना पड़ रहा है.

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