चतरा: झारखंड में विधानसभा चुनाव 2019 का शंखनाद होने वाला है. चुनाव की तारीखों का ऐलान भले ही अभी नहीं हुआ, लेकिन इसकी सुगबुगाहट जरूर तेज हो गई है. चुनाव में भाग्य आजमाने वाले विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता और संभावित प्रत्याशी अभी से ही एक्शन मोड में आ गए हैं. जो कल तक आम थे वह आज खास बनकर खुद को बतौर प्रत्याशी पेश कर रहे हैं. ऐसे में पूरे पांच साल भूमिगत रहने वाले नेता भी आज गली गली घूमते दिख रहे हैं. चतरा में नेताओं की स्थिति और मौजूदा समस्याओं को लेकर जनता ने अपना मेनिफेस्टो ईटीवी भारत से साझा किया है.
जनता का मेनिफेस्टो
- पेयजल किल्लत की समस्या से लोगों को निजात मिले
- घोषणाओं के बजाय 24 घंटे बिजली आपूर्ति की जाय
- जर्जर सड़कों का जीर्णोद्धार हो
- बेरोजगार शिक्षित युवाओं के लिए रोजगार सृजित हो
- एम्पलाईमेंट को बढ़ावा मिले
- चतरा के एकमात्र अंगीभूत महाविद्यालय में सभी फैकल्टी की पढ़ाई शुरू हो
- विषयवार शिक्षकों की नियुक्ति सरकारी महाविद्यालय में हो
- शहर में अविलंब बाईपास का निर्माण कराया जाए
- दिन प्रतिदिन बढ़ते अपराध पर नकेल कसा जाए
- संशोधित आरटीओ नियमावली को देखते हुए दस्तावेज निर्माण में आवेदकों को सुविधा मिले
- सभी कार्यालयों में सिंगल विंडो स्कीम लागू हो
- सरकारी कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार और बिचौलिए पर लगाम लगे
- स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार हो महिला चिकित्सकों की नियुक्ति की जाए
- शिक्षा सुदृढ़ीकरण पर विशेष ध्यान दिया जाए
- जिले के विभिन्न प्रखंडों में लाइब्रेरी की व्यवस्था हो
चुनाव से पहले अखाड़े में कूदने वाले नेता वादों की बरसात करते हैं. जनता के बीच जाकर मतदाताओं को लुभाने के उद्देश्य से सपनों का महल बनाते हैं, लेकिन चुनाव जीतते ही वो अपने सारे वादे भूल जाते हैं. इसके कारण न सिर्फ विकास योजनाएं फाइलों में ही सिमट कर रह जाती हैं, बल्कि उनके वादे और आश्वासन कोरा कागज साबित होते हैं. राज्य गठन के करीब 20 साल गुजरने वाले हैं.
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इसके बावजूद जनता को अब तक विकास की रफ्तार नहीं दिखी, जिसकी उम्मीद उन्होंने पाल रखी थी. इसका एकमात्र कारण जनप्रतिनिधियों की नाकामी रही है. झारखंड विकास मोर्चा का दामन छोड़ कर फूल थामने वाले भाजपा विधायक जयप्रकाश सिंह भोक्ता जनता की उम्मीदों पर शायद पूरी तरह खरे नहीं उतर सके.