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चतरा में सौभाग्य योजना में भ्रष्टाचार, बिना रिश्वत नहीं मिलता बिजली कनेक्शन - चतरा में सौभाग्य योजना में भ्रष्टाचार

चतरा में सरकार की एक महत्वाकांक्षी सौभाग्य योजना में भ्रष्टाचार जोरों पर है. इस योजना के नाम पर बिजली विभाग के अधिकारी बिचौलियों के माध्यम से मालामाल हो रहे हैं, लेकिन प्रशासन अभी तक मौन है.

चतरा में सौभाग्य योजना भ्रष्टाचार की चढ़ी भेंट
loot in saubhagya yojna in Chatra
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Published : Jun 5, 2020, 4:59 PM IST

चतरा: पीएम मोदी की अति महत्वाकांक्षी सहज बिजली हर घर सौभाग्य योजना जिले में अधिकारियों और बिचौलियों के कमाई का जरिया बनकर रह गया है. इस योजना के नाम पर बिजली विभाग के अधिकारी बिचौलियों के माध्यम से मालामाल हो रहे हैं.

देखेंं पूरी खबर

पीएम मोदी के सपनों पर फेरा पानी

प्रधानमंत्री की इस योजना के तहत गरीबों को ना सिर्फ मुफ्त में बिजली कनेक्शन देना है, बल्कि मुफ्त मीटर, तार, स्विच बोर्ड, होल्डर और बल्ब भी उपलब्ध कराना है, लेकिन चतरा में इस योजना से जुड़े ठेकेदार विद्युत अधिकारियों के सहयोग से गरीबों को न सिर्फ चूना लगा रहे हैं, बल्कि पीएम के सपनों पर भी पानी फेरने में तुले हुए हैं. चतरा के 1, 295 रेवेन्यू गांवों में विद्युत आपूर्ति प्रमंडल को प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना शौभाग्य के तहत गरीब परिवारों को मुफ्त बिजली कनेक्शन के साथ-साथ डिजिटल इलेक्ट्रिक मीटर, तार, स्विच बोर्ड, 5 पिन प्लग के अलावा एक एलइडी बल्ब देना है.

मीटर लगाने की कवायद शुरू

इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए बिजली बोर्ड ने चतरा के सिमरिया अनुमंडल क्षेत्र स्थित देल्हो इलाके के जांगी पंचायत में आराध्य इंफ्रा सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड नाम के कंपनी को जिम्मेवारी सौंपी थी, लेकिन इस कंपनी ने योजना को धरातल पर उतारने के बजाय अपनी कमाई को ही प्राथमिकता सूची में शामिल कर लिया. एजेंसी के लोगों ने पहले आसपास के गांव में करीब 170 परिवारों के बीच मीटर बांट दिया. उसके बाद मीटर लगाने की कवायद शुरू हुई.

ये भी पढ़ें-रांची में ATS की रेड, कुख्यात आदिल अफरीदी सहित दो गिरफ्तार, हथियार और कारतूस बरामद

प्रत्येक कनेक्शन पर डेढ़ से तीन सौ रुपये की वसूली

इन गांवों में रहने वाले अनुसूचित जाति परिवार के ग्रामीणों को लगा कि अब उनके घर भी बिजली से रोशन होंगे, लेकिन इसी बीच कंपनी के लोगों ने मीटर लगाने और कनेक्शन देने के नाम पर अवैध वसूली शुरू कर दी. इतना ही नहीं आराध्या कंपनी से जुड़े लोगों ने ग्रामीणों से प्रत्येक कनेक्शन पर डेढ़ से तीन सौ रुपये तक अवैध वसूली भी कर ली. उसके बाद मीटर लगाने का काम शुरू हुआ, लेकिन यहां ही कंपनी के लोगों ने अपनी चलाकी से कमाई का एक और तरीका निकाल लिया. उन लोगों ने न तो ग्रामीणों को एलईडी बल्ब दिये गए और न ही बेहतर क्वालिटी के मीटर व अन्य विद्युत उपकरण.

मीडिया की टीम को देखकर भागने लगे कर्मी

घरों में लगाए जा रहे समानों की क्वालिटी का अंदाजा आप एजेंसी से जुड़े विद्युत कर्मियों की बातों से ही लगा सकते है. कर्मी खुद स्वीकार कर रहे हैं कि क्वालिटी इतना घटिया है कि लगाने में ही वो टूट जा रहा है. इसके बावजूद किसी तरह टूट-फूटे सामान को ही तार से बांध कर लगाया जा रहा है. कर्मियों ने बताया कि ये सामान उन्हें आराध्य कंपनी ने ही लगाने के लिये उपलब्ध कराया है. जो सामान लगाए जा रहे हैं वो लोकल मेड की है. मजे की बात तो यह है कि जब मीडिया की टीम मामले की सूचना पर पड़ताल के लिये पहुंची तो कंपनी के लोग इधर-उधर भागने लगे.

ये भी पढ़ें-महिला सशक्तिकरण का उदाहरण हैं नीलिमा तिग्गा, 18,000 महिलाओं के साथ कर रहीं है क्षेत्र का विकास

पत्रकार को रिश्वत देने की कोशिश

जब अवैध वसूली का कारण पूछा गया तो कैमरे के सामने पहले तो कर्मियों ने कुछ ग्रामीणों के पैसे लौटाए, जबकि शेष बचे लोगों को बाद में पैसे लाकर लौटा देने की बात कही. इतना ही नहीं भविष्य में ऐसी शिकायत का मौका नहीं देते हुए एजेंसी के एक कर्मी सागर वर्मा ने खबर नहीं दिखाने के लिए पत्रकार को रिश्वत तक देने की कोशिश की. जांगी पंचायत के ग्रामीणों को तो पैसे वापस मिल गए, लेकिन इस बात का बखूबी अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब एक छोटे से पंचायत में आराध्या कंपनी की ओर से बिजली विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से इतने बड़े पैमाने पर योजना के नाम पर अवैध वसूली की गई है तो जिले भर के विभिन्न गांव की क्या स्थिति होगी.

कठोर कार्रवाई का निर्देश

बिजली विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से न सिर्फ पीएम के ग्रामीण विद्युतीकरण के सपने चकनाचूर हो जाएंगे, बल्कि भ्रष्टाचार की दलदल में भी अति महत्वाकांक्षी योजनाएं दम तोड़ती नजर आएंगी. इस मामले में चतरा विद्युत आपूर्ति प्रमंडल प्रोजेक्ट के कार्यपालक अभियंता राजेश मिश्रा की भी भूमिका इस पूरे प्रकरण में है. वे कार्रवाई के बजाय एजेंसी के लोगों को ही बचाते नजर आएं. मामले में जिला उपायुक्त जितेंद्र कुमार सिंह को अवगत कराया तो उन्होंने तत्काल सिमरिया एसडीओ दीपू कुमार को जांच कर कठोर कार्रवाई का निर्देश दिया.

चतरा: पीएम मोदी की अति महत्वाकांक्षी सहज बिजली हर घर सौभाग्य योजना जिले में अधिकारियों और बिचौलियों के कमाई का जरिया बनकर रह गया है. इस योजना के नाम पर बिजली विभाग के अधिकारी बिचौलियों के माध्यम से मालामाल हो रहे हैं.

देखेंं पूरी खबर

पीएम मोदी के सपनों पर फेरा पानी

प्रधानमंत्री की इस योजना के तहत गरीबों को ना सिर्फ मुफ्त में बिजली कनेक्शन देना है, बल्कि मुफ्त मीटर, तार, स्विच बोर्ड, होल्डर और बल्ब भी उपलब्ध कराना है, लेकिन चतरा में इस योजना से जुड़े ठेकेदार विद्युत अधिकारियों के सहयोग से गरीबों को न सिर्फ चूना लगा रहे हैं, बल्कि पीएम के सपनों पर भी पानी फेरने में तुले हुए हैं. चतरा के 1, 295 रेवेन्यू गांवों में विद्युत आपूर्ति प्रमंडल को प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना शौभाग्य के तहत गरीब परिवारों को मुफ्त बिजली कनेक्शन के साथ-साथ डिजिटल इलेक्ट्रिक मीटर, तार, स्विच बोर्ड, 5 पिन प्लग के अलावा एक एलइडी बल्ब देना है.

मीटर लगाने की कवायद शुरू

इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए बिजली बोर्ड ने चतरा के सिमरिया अनुमंडल क्षेत्र स्थित देल्हो इलाके के जांगी पंचायत में आराध्य इंफ्रा सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड नाम के कंपनी को जिम्मेवारी सौंपी थी, लेकिन इस कंपनी ने योजना को धरातल पर उतारने के बजाय अपनी कमाई को ही प्राथमिकता सूची में शामिल कर लिया. एजेंसी के लोगों ने पहले आसपास के गांव में करीब 170 परिवारों के बीच मीटर बांट दिया. उसके बाद मीटर लगाने की कवायद शुरू हुई.

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प्रत्येक कनेक्शन पर डेढ़ से तीन सौ रुपये की वसूली

इन गांवों में रहने वाले अनुसूचित जाति परिवार के ग्रामीणों को लगा कि अब उनके घर भी बिजली से रोशन होंगे, लेकिन इसी बीच कंपनी के लोगों ने मीटर लगाने और कनेक्शन देने के नाम पर अवैध वसूली शुरू कर दी. इतना ही नहीं आराध्या कंपनी से जुड़े लोगों ने ग्रामीणों से प्रत्येक कनेक्शन पर डेढ़ से तीन सौ रुपये तक अवैध वसूली भी कर ली. उसके बाद मीटर लगाने का काम शुरू हुआ, लेकिन यहां ही कंपनी के लोगों ने अपनी चलाकी से कमाई का एक और तरीका निकाल लिया. उन लोगों ने न तो ग्रामीणों को एलईडी बल्ब दिये गए और न ही बेहतर क्वालिटी के मीटर व अन्य विद्युत उपकरण.

मीडिया की टीम को देखकर भागने लगे कर्मी

घरों में लगाए जा रहे समानों की क्वालिटी का अंदाजा आप एजेंसी से जुड़े विद्युत कर्मियों की बातों से ही लगा सकते है. कर्मी खुद स्वीकार कर रहे हैं कि क्वालिटी इतना घटिया है कि लगाने में ही वो टूट जा रहा है. इसके बावजूद किसी तरह टूट-फूटे सामान को ही तार से बांध कर लगाया जा रहा है. कर्मियों ने बताया कि ये सामान उन्हें आराध्य कंपनी ने ही लगाने के लिये उपलब्ध कराया है. जो सामान लगाए जा रहे हैं वो लोकल मेड की है. मजे की बात तो यह है कि जब मीडिया की टीम मामले की सूचना पर पड़ताल के लिये पहुंची तो कंपनी के लोग इधर-उधर भागने लगे.

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पत्रकार को रिश्वत देने की कोशिश

जब अवैध वसूली का कारण पूछा गया तो कैमरे के सामने पहले तो कर्मियों ने कुछ ग्रामीणों के पैसे लौटाए, जबकि शेष बचे लोगों को बाद में पैसे लाकर लौटा देने की बात कही. इतना ही नहीं भविष्य में ऐसी शिकायत का मौका नहीं देते हुए एजेंसी के एक कर्मी सागर वर्मा ने खबर नहीं दिखाने के लिए पत्रकार को रिश्वत तक देने की कोशिश की. जांगी पंचायत के ग्रामीणों को तो पैसे वापस मिल गए, लेकिन इस बात का बखूबी अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब एक छोटे से पंचायत में आराध्या कंपनी की ओर से बिजली विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से इतने बड़े पैमाने पर योजना के नाम पर अवैध वसूली की गई है तो जिले भर के विभिन्न गांव की क्या स्थिति होगी.

कठोर कार्रवाई का निर्देश

बिजली विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से न सिर्फ पीएम के ग्रामीण विद्युतीकरण के सपने चकनाचूर हो जाएंगे, बल्कि भ्रष्टाचार की दलदल में भी अति महत्वाकांक्षी योजनाएं दम तोड़ती नजर आएंगी. इस मामले में चतरा विद्युत आपूर्ति प्रमंडल प्रोजेक्ट के कार्यपालक अभियंता राजेश मिश्रा की भी भूमिका इस पूरे प्रकरण में है. वे कार्रवाई के बजाय एजेंसी के लोगों को ही बचाते नजर आएं. मामले में जिला उपायुक्त जितेंद्र कुमार सिंह को अवगत कराया तो उन्होंने तत्काल सिमरिया एसडीओ दीपू कुमार को जांच कर कठोर कार्रवाई का निर्देश दिया.

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