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चतराः बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे लोग, 8 साल बाद भी नहीं बना जलमीनार - सिमरिया में ग्रामीणों ने बनाया पानी का मुद्दा

सिमरिया में 8 सालों से लोगों को पानी नहीं मिल पा रहा है. सिस्टम की उदासीनता के कारण चतरा के बेलगड्ढा गांव में 22 लाख की लागत से जल मीनार का निर्माण करवाया गया है, लेकिन आजतक ग्रामीणों को उसका फायदा नहीं मिल पाया है.

जलमीनार से नहीं टपका पानी
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Published : Nov 15, 2019, 3:00 PM IST

चतरा: जिले के सिमरिया में आठ साल से लोग पानी का इंतजार कर रहे हैं. यहां चुनाव के समय में कई राजनेता और सरकार के नुमाईंदे पहुंचते हैं और आश्वासन देकर चले जाते हैं. ग्रामीण भी हर साल उम्मीद के आसरे वोट देते रहे हैं, लेकिन उनकी उम्मीद आज तक उम्मीद ही बनकर रह गयी है.

देखें पूरी खबर

सिमरिया में जलापूर्ति व्यवस्था 8 साल बाद भी शुरु नहीं हो सका है. चुनाव में भले ही राजनेता वादों की बौछार कर चले जाते हैं, लेकिन जलमीनार से आजतक एक बूंद पानी नहीं टपका. जिले में हर घर में लाखों खर्च कर जल की सुविधा देने के लिए नल लगाने का काम चल रहा है, लेकिन लोगों के पानी की कमी से हलक सुख रहे हैं. लोगों के घर में पानी का वनवास कब खत्म होगा यह भविष्य के गर्त में है.

इसे भी पढ़ें:- चतरा के गांव में रोज हजारों लीटर पानी होता है बर्बाद, मुखिया ने लोगों की जागरूकता पर उठाए सवाल

सिस्टम की उदासीनता के कारण चतरा से करीब 30 किमी दूर सिमरिया प्रखंड के बेलगड्ढा गांव में जलापूर्ति योजना के तहत 8 साल पहले ही जलमीनार का निर्माण करवाया गया है. लगभग 22 लाख रुपये की लागत से जलमीनार से कई गांव में पानी की आपूर्ति किया जाना था, जहां हर गली में पानी पहुंचाने के लिए पाइप बिछाई गई और घरों तक नल भी लगाया गया. इससे लोगों में हर्ष भी देखा गया, लेकिन नल से आज तक एक बूंद भी पानी नहीं टपका. सिमरिया में लोग आज भी बिजली, पानी, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं.

चतरा: जिले के सिमरिया में आठ साल से लोग पानी का इंतजार कर रहे हैं. यहां चुनाव के समय में कई राजनेता और सरकार के नुमाईंदे पहुंचते हैं और आश्वासन देकर चले जाते हैं. ग्रामीण भी हर साल उम्मीद के आसरे वोट देते रहे हैं, लेकिन उनकी उम्मीद आज तक उम्मीद ही बनकर रह गयी है.

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सिमरिया में जलापूर्ति व्यवस्था 8 साल बाद भी शुरु नहीं हो सका है. चुनाव में भले ही राजनेता वादों की बौछार कर चले जाते हैं, लेकिन जलमीनार से आजतक एक बूंद पानी नहीं टपका. जिले में हर घर में लाखों खर्च कर जल की सुविधा देने के लिए नल लगाने का काम चल रहा है, लेकिन लोगों के पानी की कमी से हलक सुख रहे हैं. लोगों के घर में पानी का वनवास कब खत्म होगा यह भविष्य के गर्त में है.

इसे भी पढ़ें:- चतरा के गांव में रोज हजारों लीटर पानी होता है बर्बाद, मुखिया ने लोगों की जागरूकता पर उठाए सवाल

सिस्टम की उदासीनता के कारण चतरा से करीब 30 किमी दूर सिमरिया प्रखंड के बेलगड्ढा गांव में जलापूर्ति योजना के तहत 8 साल पहले ही जलमीनार का निर्माण करवाया गया है. लगभग 22 लाख रुपये की लागत से जलमीनार से कई गांव में पानी की आपूर्ति किया जाना था, जहां हर गली में पानी पहुंचाने के लिए पाइप बिछाई गई और घरों तक नल भी लगाया गया. इससे लोगों में हर्ष भी देखा गया, लेकिन नल से आज तक एक बूंद भी पानी नहीं टपका. सिमरिया में लोग आज भी बिजली, पानी, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं.

Intro:बीत गए 8 साल एक बूंद नहीं टपका जलमीनार से पानी, ग्रामीणों का बना चुनावी मुद्दा

चतरा/सिमरिया: आठ साल बीत गए पानी के इंतजार में, हर चुनाव में गांव वासियों की उम्मीद और जवां हो जाती है कि शायद इस बार जलापूर्ति व्यवस्था आरंभ होगी। लेकिन, जनता की यह आकांक्षा हर बार अधूरी रह जाती है। चुनाव में भले ही वादों की बौछार होती है, लेकिन जलमीनार से न एक बूंद पानी टपकता है और न लोगों के हलक की प्यास बुझती है। पिछले पांच साल के कार्यकाल में भी यहां के लोगों को जलापूर्ति सुविधा मिलने का सपना इस बार फिर अधूरा रह गया। एक तरफ हर घर नल का जल सुविधा उपलब्ध कराने का कार्य चल रहा है। वही, लाखों खर्च के बावजूद लोगों के पानी की कमी से हलक सुख रहे है। इसके निर्माण पूरा होने के आठ वर्ष बीते गए लेकिन इसका वनवास कब खत्म होगा यह भविष्य के गर्त में है।

1.बाईट--- ग्रामीण, अंजुम आरा
2.बाईट--- ग्रामीण, सरवन कुमारBody:सिस्टम की उदासीनता कारण चतरा से करीब 30 किमी दूर सिमरिया प्रखंड के बेलगड्ढा गांव में सरकार द्वारा जलापूर्ति योजना के तहत 8 वर्ष पहले जल मीनार का निर्माण कार्य भी पूरा कर लिया गया। करीब 22 लाख रुपये की लागत से जलमीनार से कई गांव में पानी की आपूर्ति किया जाना था। जहां हर गली में पानी पहुंचाने के लिए पाइप बिछाई गई और घरों तक नल भी लगाया गया। इससे लोगों में हर्ष भी देखा गया। लेकिन नल से आज तक एक बूंद पानी भी नहीं टपका और लोगों की आशाओं पर पानी फिर गया। नल से पानी निकलने के इंतजार में 8 साल बीत गए। Conclusion:चुनाव दर चुनाव वादा करने वाले जनप्रतिनिधियों ने भी इसकी सुधि नहीं ली। इतना ही नहीं यह गांव सिस्टम की करतूतों की वजह से बिजली पानी सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से अब तक वंचित है।

मोहम्मद अरबाज ईटीवी भारत सिमरिया चतरा
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