चतरा: सशक्त समाज के निर्माण में स्वास्थ्य सुविधाएं का होना बहुत महत्वपूर्ण है. समाज के विकास के लिए स्वास्थ्य सुविधा और अस्पताल का होना जरूरी है, लेकिन चतरा के सिमरिया प्रखंड के पुंडरा गांव में बना अस्पताल भवन पिछले 24 सालों से डॉक्टरों के इंतजार में जर्जर हो चुका है.
महिलाओं को होती है परेशानी
समाज का गरीब से गरीब तबके के लोग अपने गांव में ही मुफ्त इलाज करा सकें, इसके लिए सरकार लाखों रुपए खर्च कर जनता के हित के लिए योजनाएं बनाती है. लाखों रुपये के लागत से बना पुंडरा गांव का अस्पताल भवन अब विभागीय उपेक्षा के कारण अपनी आखरी सांसे गिनने लगा है. जनता के बीच बैठे हुक्मरानों की उदासीनता के कारण विकास की यह महत्वाकांक्षी योजना जनता तक नहीं पहुंच सकी. इसको लेकर गांव की महिलाएं बताती हैं कि गांव में स्वास्थ्य सुविधा बहाल नहीं होने के कारण उन्हें दूर के अस्पतालों में जाना पड़ता है. गांव की गर्भवती महिलाओं को प्रसव पीड़ा के दौरान काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
24 साल पहले हुआ था उद्धाटन
चतरा के पुंडरा में बना अस्पताल भवन का 24 साल पहले उद्धाटन तो हुआ, लेकिन आज तक एक भी मरीज का इलाज नहीं हो सका. देखरेख के अभाव में अस्पताल भवन अब जर्जर हो चुका है. अस्पताल भवन की दीवारों पर दरारे आ चुकी है. ग्रामीणों ने बताया कि जब गांव में अस्पताल बना था तो उन्हें काफी उम्मीद थी कि अब गांव के लोगों को इलाज के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. इस संबंध में जब ईटीवी भारत की टीम ने क्षेत्र के जनप्रतिनिधि और अस्पताल भवन का उद्धाटन करने वाले विधायक से बात की तो उन्होंने इस मामले के संज्ञान में ही नहीं होने की बात कहीं. वहीं, विधायक ने भरोसा दिलाते हुए यह आश्वासन दिया कि इस मामले को लेकर जल्द ही वे आलाधिकारियों से बात करेंगे और अस्पताल को इलाज के तैयार करेंगे.
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जनप्रतिनिधि हैं बेखबर
बहरहाल, सरकार भले ही ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के तमाम दावे करे, लेकिन सरकार के दावों की जमीनी हकीकत पुंडरा गांव में जरूर देखने को मिलती है. सरकार भवनों का निर्माण तो करा देती है मगर भूल जाती है कि इन्हें जनता के उपयोग के लिए चलाना भी है. अब फिर से क्षेत्र के विधायक ने अस्पताल में सेवा शुरू करने की बात कही है. ऐसे में देखने वाली बात होगी की कब तक यहां इलाज की सुविधा उपलब्ध होती है.