चतराः शहर के व्यस्ततम इलाकों में नगरपालिका की ओर से स्वच्छ भारत मिशन के तहत विभिन्न स्थानों पर पांच मॉडलर टॉयलेट का निर्माण कराया गया था ताकि विभिन्न प्रखंडों से काम कराने शहर में पहुंचने वाले लोगों को सुविधा मिले सके. इसके लिए सरकार ने लाखों रुपये की लागत से नगर परिषद की ओर से समाहरणालय, विकास भवन, व्यवहार न्यायालय, एसबीआई मेन ब्रांच सहित अन्य स्थानों पर ऐसे शौचालय का निर्माण कराया, लेकिन ये शौचालय कितने कारगर हैं इसकी बानगी खुद बयां कर रहा है.
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इन शौचालय का हाल ऐसा है कि लोग इसका इस्तेमाल करना तो दूर इसके पास से गुजरना भी मुनासिब नहीं समझ रहे हैं. कारण है गंदगी और उससे निकलने वाली दुर्गंध. सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि सभी शौचालय ऐसे स्थानों पर बनाए गए है जहां से जिले के वरीय अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि तक दिन भर में कई बार जरूर गुजरते है, लेकिन उनका ध्यान इस ओर आज तक नहीं गया. इसमें ना तो पानी और ना ही सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित कराई गई. जिसके कारण लोगों को खास कर महिलाओं को खुले में शौच के लिए जाना पड़ रहा है. यूं कहें तो ये शौचालय नगर परिषद के विकास कार्यों और क्लीन चतरा के दावों की पोल खोलती है. जब इस मामले में नगर परिषद के अधिकारियों से जानने का प्रयास किया गया तो वे लॉकडाउन का बहाना बनाकर कुछ भी कहने से इनकार करते नजर आए.