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चतरा: किसानों के पास नहीं है सिंचाई की व्यवस्था, सरकार से मदद की 'दरकार'

सिमरिया प्रखंड में रह रहे किसानों को खेती के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिलता है. इससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है.

farmers are not getting enough water for farming In Chatra
किसानों के पास नहीं है सिंचाई की व्यवस्था
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Published : Feb 8, 2020, 12:39 PM IST

चतरा: सिमरिया प्रखंड में पिछले एक दशक से हजारों एकड़ जमीन पर सिंचाई की मुकम्मल व्यवस्था नहीं है. किसान अपनी फसल के पटवन के लिए अमानत नदी और तालाब पर निर्भर होते हैं. तालाब और नदी का पानी सूखने के कारण फसल को पानी नहीं मिल पाता है, जिसका सीधा असर फसल पर पड़ता है.

वीडियो में देखें पूरी खबर

फसल की पैदावार में तीन से चार बार पटवन जरूरी होता है. रबी फसल जैसे गेहूं, मक्का, सरसों में बीज बोने से लेकर फसल पकने तक पर्याप्त पानी की जरुरत होती है. किसानों का कहना है कि बोरिंग की व्यवस्था नहीं रहने पर पटवन में 15 दिनों की जगह पर एक महीने से ज्यादा दिन का समय लग जाता है. जिससे फसल बर्बाद हो जाते हैं और भारी नुकसान झेलना पड़ता है. सिमरिया के किसानों का कहना है कि पिछले एक दशक से सरकार और प्रशासन के तरफ से कोई मदद नहीं मिल रही है.

ये भी पढ़ें- मशरूम की खेती ने बदली तकदीर, कम लागत में हो रही लाखों की कमाई

मामले को लेकर कृषि पदाधिकारी अरुण कुमार ने कहा कि सिंचाई योजना बनाई गई है. इस योजना के तहत कंपनी किसान के खेतों का निरीक्षण करेगी. बहुत जल्द किसान को अनुदान पर बोरिंग की सुविधा मुहैया कराई जाएगी.

चतरा: सिमरिया प्रखंड में पिछले एक दशक से हजारों एकड़ जमीन पर सिंचाई की मुकम्मल व्यवस्था नहीं है. किसान अपनी फसल के पटवन के लिए अमानत नदी और तालाब पर निर्भर होते हैं. तालाब और नदी का पानी सूखने के कारण फसल को पानी नहीं मिल पाता है, जिसका सीधा असर फसल पर पड़ता है.

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फसल की पैदावार में तीन से चार बार पटवन जरूरी होता है. रबी फसल जैसे गेहूं, मक्का, सरसों में बीज बोने से लेकर फसल पकने तक पर्याप्त पानी की जरुरत होती है. किसानों का कहना है कि बोरिंग की व्यवस्था नहीं रहने पर पटवन में 15 दिनों की जगह पर एक महीने से ज्यादा दिन का समय लग जाता है. जिससे फसल बर्बाद हो जाते हैं और भारी नुकसान झेलना पड़ता है. सिमरिया के किसानों का कहना है कि पिछले एक दशक से सरकार और प्रशासन के तरफ से कोई मदद नहीं मिल रही है.

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मामले को लेकर कृषि पदाधिकारी अरुण कुमार ने कहा कि सिंचाई योजना बनाई गई है. इस योजना के तहत कंपनी किसान के खेतों का निरीक्षण करेगी. बहुत जल्द किसान को अनुदान पर बोरिंग की सुविधा मुहैया कराई जाएगी.

Intro:चतरा: सिंचाई के लिए नहीं है बोरिंग की व्यवस्था, किसानों के पैदावार पर पड़ रहा असर

चतरा जिले के सिमरिया प्रखंड में पिछले एक दशक से हजारों एकड़ जमीन पर सिंचाई की मुकम्मल व्यवस्था नहीं है। किसान अपनी फसल के पटवन के लिए मानत नदी और तालाब पर निर्भर होते हैं। तालाब और नदी का पानी सूखने के कारण फसल को पानी नहीं मिल पाता है। जिसका सीधा असर फसल पर पड़ता है। एक तरफ केंद्र और राज्य सरकार अपने अभिभाषण में किसानों की समस्या को लेकर दावे और वादे करते रहती है कि किसानों को सारी सुविधा दी जा रही है।

1.बाइट: सिमरिया, किसान
2.बाइट: सिमरिया, किसान
3.बाइट: कृषि पदाधिकारी, अरुण कुमारBody:वहीं, दूसरी ओर जिले की जमीनी हकीकत कुछ ओर ही बंया कर रही है। बता दें कि फसल के पैदावार में तीन से चार बार तक का पटवन जरूरी होता है। रबी फसल जैसे गेहूं, मक्का, सरसों में बीज बोने से लेकर फसल पकने तक पर्याप्त पानी की जरुरत होती है जो कि तालाब और नदी के पानी सूखने के कारण सीधा असर फसल पर पड़ता है। जिससे पौधा का ग्रोथ रुक जाता है और हर साल पैदावार पर इसका असर पड़ता है। वहीं, किसानों का कहना है कि बोरिंग की व्यवस्था नहीं रहने पर पटवन में 15 दिनों की जगह पर एक महीने से ज्यादा दिन का समय लग जाता है। जिससे फसल बरबाद हो जाता है और भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है। Conclusion:सिमरिया के किसानों का कहना है कि पिछले एक दशक से सरकार और प्रशासन के तरफ से कोई मदद नहीं मिल पा रहा है। जब किसानों की समस्याओं को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने कृषि पदाधिकारी अरुण कुमार से कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि सिंचाई योजना बनाई गई है। इस योजना के तहत कंपनी किसान के खेतों का निरीक्षण करेगी और बहुत जल्द किसान को अनुदान पर बोरिंग की सुविधा मुहैया किया जाएगा।

मोहम्मद अरबाज ईटीवी भारत चतरा
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