चतरा: सिमरिया प्रखंड में पिछले एक दशक से हजारों एकड़ जमीन पर सिंचाई की मुकम्मल व्यवस्था नहीं है. किसान अपनी फसल के पटवन के लिए अमानत नदी और तालाब पर निर्भर होते हैं. तालाब और नदी का पानी सूखने के कारण फसल को पानी नहीं मिल पाता है, जिसका सीधा असर फसल पर पड़ता है.
फसल की पैदावार में तीन से चार बार पटवन जरूरी होता है. रबी फसल जैसे गेहूं, मक्का, सरसों में बीज बोने से लेकर फसल पकने तक पर्याप्त पानी की जरुरत होती है. किसानों का कहना है कि बोरिंग की व्यवस्था नहीं रहने पर पटवन में 15 दिनों की जगह पर एक महीने से ज्यादा दिन का समय लग जाता है. जिससे फसल बर्बाद हो जाते हैं और भारी नुकसान झेलना पड़ता है. सिमरिया के किसानों का कहना है कि पिछले एक दशक से सरकार और प्रशासन के तरफ से कोई मदद नहीं मिल रही है.
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मामले को लेकर कृषि पदाधिकारी अरुण कुमार ने कहा कि सिंचाई योजना बनाई गई है. इस योजना के तहत कंपनी किसान के खेतों का निरीक्षण करेगी. बहुत जल्द किसान को अनुदान पर बोरिंग की सुविधा मुहैया कराई जाएगी.